18 August, 2025
भारतीय रिज़र्व बैंक का वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-Index) 2025
Fri 08 Aug, 2025
संदर्भ :
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए वित्तीय समावेशन सूचकांक (Financial Inclusion Index – FI-Index) 67.0 जारी किया, जो मार्च 2024 के 64.2 की तुलना में 4.3% अधिक है।
मुख्य बिन्दु :
उप-सूचकांकों में सुधार:
- सभी तीन उप-सूचकांकों (पहुँच, उपयोग और गुणवत्ता) में वृद्धि दर्ज की गई।
- विशेष रूप से उपयोग और गुणवत्ता आयामों में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई, जो वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के साथ गहरी भागीदारी और वित्तीय साक्षरता के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
FI-Index के प्रमुख घटक
FI-Index तीन प्रमुख पैरामीटरों पर आधारित है, जिनका विवरण निम्नलिखित है:
1. पहुँच (Access - 35% वेटेज):
- यह पैरामीटर वित्तीय सेवाओं की उपलब्धता को मापता है, जैसे कि बैंक शाखाओं, एटीएम, डिजिटल भुगतान प्लेटफार्मों, और बीमा व पेंशन योजनाओं तक पहुंच।
- 2025 में, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं और डिजिटल अवसंरचना के विस्तार के कारण पहुंच में सुधार हुआ है।
2. उपयोग (Usage - 45% वेटेज):
- यह पैरामीटर वित्तीय सेवाओं के वास्तविक उपयोग को मापता है, जैसे कि बैंक खातों में नियमित लेन-देन, डिजिटल भुगतान, बीमा पॉलिसी खरीद, और निवेश।
- 2025 में उपयोग में वृद्धि का मुख्य कारण डिजिटल लेन-देन (जैसे UPI) और वित्तीय उत्पादों के बढ़ते उपयोग को माना जा रहा है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
3. गुणवत्ता (Quality - 20% वेटेज):
- यह पैरामीटर वित्तीय साक्षरता, उपभोक्ता संरक्षण, और सेवाओं की समानता और प्रभावशीलता को मापता है।
- वित्तीय साक्षरता अभियानों और उपभोक्ता जागरूकता में सुधार ने गुणवत्ता पैरामीटर को मजबूत किया है।
प्रगति के प्रमुख कारण
FI-Index में 4.3% की वृद्धि के पीछे कई कारक हैं:
डिजिटल वित्तीय सेवाओं का विस्तार:
- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और अन्य डिजिटल भुगतान प्लेटफार्मों ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में वित्तीय लेन-देन को आसान और सुलभ बनाया है।
- फिनटेक कंपनियों की बढ़ती भागीदारी ने डिजिटल भुगतान ऐप्स की उपलब्धता को बढ़ाया है, जिससे नकद रहित लेन-देन को बढ़ावा मिला है।
सरकारी योजनाओं का प्रभाव:
- प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY): जनवरी 2025 तक 54.58 करोड़ बैंक खाते खोले गए, जिनमें ₹2.46 लाख करोड़ की जमा राशि है।
- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY): 22.52 करोड़ लोगों का नामांकन, ₹17,600 करोड़ की राशि 8.8 लाख दावों के लिए वितरित।
- प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY): 49.12 करोड़ लोगों को कवर किया गया, ₹2,994.75 करोड़ की राशि दुर्घटना दावों के लिए वितरित।
- अटल पेंशन योजना (APY): 7.33 करोड़ नामांकन, जिसमें FY 2024-25 में 89.95 लाख नए नामांकन शामिल हैं।
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY): ₹32.36 लाख करोड़ के 51.41 करोड़ ऋण स्वीकृत, जिनमें 68% महिलाओं और 50% SC/ST/OBC वर्गों को दिए गए।
- स्टैंड-अप इंडिया योजना: ₹53,609 करोड़ के ऋण 2.36 लाख उद्यमियों को स्वीकृत।
वित्तीय साक्षरता और शिक्षा:
- RBI द्वारा शुरू की गई वित्तीय साक्षरता केंद्र (CFL) परियोजना और वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति (2020-2025) ने लोगों में वित्तीय जागरूकता बढ़ाई है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय साक्षरता अभियानों ने लोगों को वित्तीय सेवाओं के प्रति समझ और भरोसा बढ़ाने में मदद की है।
ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार:
- ग्रामीण और छोटे कस्बों में बैंकिंग नेटवर्क का विस्तार और डिजिटल अवसंरचना में सुधार ने वित्तीय सेवाओं की पहुंच को बढ़ाया है।
- वित्तीय समावेशन का महत्व :
- वित्तीय समावेशन भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। FI-Index में वृद्धि के निम्नलिखित लाभ हैं:
आर्थिक सशक्तीकरण:
- वित्तीय समावेशन व्यक्तियों और छोटे व्यवसायों को ऋण, बचत, और बीमा जैसी सेवाओं तक पहुंच प्रदान करता है, जिससे उद्यमिता और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति:
- यह 17 सतत विकास लक्ष्यों में से 7 को प्राप्त करने में सहायक है, जैसे गरीबी उन्मूलन, लैंगिक समानता, और आर्थिक वृद्धि।
महिलाओं का सशक्तीकरण:
- PMMY और स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाओं ने महिलाओं को वित्तीय सेवाओं से जोड़कर उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ाया है।
जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन:
- वित्तीय समावेशन लोगों और व्यवसायों को प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में वित्तीय स्थिरता प्रदान करता है।
आर्थिक स्थिरता:
- औपचारिक वित्तीय प्रणाली में अधिक लोगों को शामिल करने से आर्थिक स्थिरता बढ़ती है और अनौपचारिक वित्तीय प्रणालियों पर निर्भरता कम होती है।
वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-Index)
- वित्तीय समावेशन सूचकांक भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी एक वार्षिक समग्र सूचकांक है।
- इसका उद्देश्य देश में वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) की प्रगति को मापना है।
- यह बैंकिंग, बीमा, पेंशन, निवेश और डाक सेवाओं जैसे सभी औपचारिक वित्तीय क्षेत्रों को शामिल करता है।
शुरुआत :
- RBI ने FI-Index को अगस्त 2021 में पहली बार पेश किया।
- यह सूचकांक 0 से 100 के पैमाने पर मापा जाता है:
- 0 = पूर्ण वित्तीय बहिष्करण
- 100 = पूर्ण वित्तीय समावेशन
संरचना (Structure) :
- FI-Index तीन मुख्य घटकों पर आधारित है:
- Access (35%) – वित्तीय सेवाओं की पहुँच
- Usage (45%) – इन सेवाओं का वास्तविक उपयोग
- Quality (20%) – सेवाओं की गुणवत्ता, वित्तीय साक्षरता, उपभोक्ता संरक्षण
डेटा स्रोत :
- सरकारी और निजी एजेंसियों से डेटा लिया जाता है।
- इसमें RBI, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA), बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI), और डाक विभाग शामिल हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक
स्थापना वर्ष | स्थापना : 1 अप्रैल, 1935 को RBI अधिनियम, 1934 के तहत |
राष्ट्रीयकरण | 1949 में |
प्रथम गवर्नर | सर ओसबोर्न स्मिथ (1935-1937) |
प्रथम भारतीय गवर्नर | सी.डी. देशमुख (1943-1949) |
मुख्यालय | मुंबई, महाराष्ट्र |
मुद्रा जारी | RBI अधिनियम की धारा 22 RBI को देश में मुद्रा जारी करने का एकमात्र अधिकार प्रदान करती है |
मौद्रिक नीति समिति (MPC) | रेपो दर निर्धारित करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए 2016 में गठित |
रेपो दर | वह दर जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को उधार देता है |
नकद आरक्षित अनुपात (CRR) | बैंकों को RBI के पास जमाराशि का कितना प्रतिशत रखना होगा। |
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) | बैंकों को शुद्ध मांग और सावधि देयताओं का प्रतिशत तरल परिसंपत्तियों में रखना चाहिए। |