05 August, 2025
सारनाथ यूनेस्को विश्व धरोहर के लिए नामांकित
Thu 07 Aug, 2025
संदर्भ :
- भारत ने वर्ष 2025-26 के नामांकन चक्र में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची के लिए 'प्राचीन बौद्ध स्थल, सारनाथ' को आधिकारिक रूप से नामांकित किया है।
मुख्य बिन्दु :
- सारनाथ वर्ष 1998 से यूनेस्को की “अस्थायी सूची” में शामिल है।
नामांकन प्रक्रिया और समय-सीमा :
- एक ही नामांकन अनुमति: UNESCO की 2024 की संशोधित संचालनात्मक दिशा-निर्देशों के अनुसार हर सदस्य-देश केवल एक संपत्ति ही हर नामांकन चक्र में भेज सकता है।
- समय-सीमा: नामांकन की प्रक्रिया आमतौर पर लगभग 1.5 वर्ष में पूरी होती है, जिसमें तकनीकी समीक्षा, सलाहकार निकायों की सलाह, और विश्व धरोहर समिति की अंतिम स्वीकृति शामिल है।
संरक्षण और तैयारियाँ :
- ASI की भूमिका: सभी संरक्षित स्मारकों की देखभाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) करता है, जो बजट उपलब्धता व आवश्यकता के अनुसार संरक्षण कार्य करता है। इसमें डिजिटल तकनीक का प्रयोग और संग्रहालय योजनाएं शामिल हैं।
- संग्रहालय और जागरूकता: ASI वर्तमान में 52 साइट संग्रहालयों का प्रबंधन करता है और यात्रा अनुभवों को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल उपकरण अपनाया जा रहा है। युवा वर्ग में सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने हेतु आउटरीच प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं।
सारनाथ सामान्य जानकारी
पहलू | विवरण (हिन्दी) |
स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
ऐतिहासिक महत्व प्रमुख स्मारक |
गौतम बुद्ध ने 528 ईसा पूर्व में पहला उपदेश दिया, जिसे "धर्मचक्र प्रवर्तन" कहा जाता है
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प्रमुख स्थल |
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काल | तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 12वीं शताब्दी ईस्वी (मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त काल; मुगल-युग में चौखंडी स्तूप का पुनर्निर्माण) |
पुरातात्विक महत्व | बौद्ध कला, वास्तुकला और शहरी नियोजन का केंद्र; अशोक स्तंभ मौर्य काल की उत्कृष्ट कला और बौद्ध संरक्षण का प्रतीक |
आध्यात्मिक महत्व | चार प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों में से एक (लुंबिनी, बोधगया, कुशीनगर के साथ); बौद्ध भिक्षुओं और तीर्थयात्रियों का पवित्र स्थल |
सांस्कृतिक विशेषता | बौद्ध धर्म के प्रारंभिक विकास का साक्षी; मौर्य, गुप्त और मुगल काल की वास्तुकला का समन्वय; जैन और हिंदू अवशेष भी उपस्थित |
यूनेस्को सामान्य जानकारी
- पूरा नाम: संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन
- अंग्रेज़ी नाम: United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization (UNESCO)
- स्थापना: 1945
- मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस
- प्रमुख उद्देश्य: शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और संचार के माध्यम से शांति और सतत विकास को बढ़ावा देना
- विश्व धरोहर सम्मेलन 1972 में यूनेस्को द्वारा बनाया गया एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है
- अक्टूबर 2024 तक, 196 देशों में 1,223 विश्व धरोहर स्थल हैं (952 सांस्कृतिक, 231 प्राकृतिक, 40 मिश्रित)
- भारत में 43 विश्व धरोहर स्थल हैं , जिनमें आगरा किला, ताजमहल, अजंता और एलोरा गुफाएं 1983 में पहली बार सूचीबद्ध किये गये थे
- नवीनतम जोड़ असम का मोइदम (अहोम राजवंश की टीला-दफन प्रणाली) है, जिसे जुलाई 2024 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया।
- प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है(इस वर्ष (2025) का विषय : "आपदाओं और संघर्षों से खतरे में विरासत: ICOMOS की 60 वर्षों की कार्रवाइयों से तैयारी और सीख")
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहल
पुरावशेषों की पुनर्प्राप्ति:
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सांस्कृतिक संपदा के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
- सरकार ने वर्ष 1976 से 2024 तक विदेशों से 655 पुरावशेषों को पुनर्प्राप्त किया है, जिनमें से 642 पुरावशेष 2014 के बाद से पुनर्प्राप्त किए गए हैं।
'एक विरासत अपनाएँ' योजना:
- "एक विरासत अपनाएँ" कार्यक्रम 2017 में शुरू किया गया था और 2023 में इसे "एक विरासत अपनाएँ 2.0" के रूप में नया रूप दिया गया।
- यह निजी और सार्वजनिक समूहों को अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) निधियों का उपयोग करके संरक्षित स्मारकों में सुविधाओं के विकास में मदद करने की अनुमति देता है।
- इस कार्यक्रम के तहत अब तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और विभिन्न राज्यों के विभिन्न सहयोगी संगठनों के बीच 21 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं ।
विश्व धरोहर समिति का 46वाँ सत्र:
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय ने 21 से 31 जुलाई 2024 तक दिल्ली में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र का सफलतापूर्वक आयोजन किया।
- इस बैठक का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया और इसमें 140 से अधिक देशों के लगभग 2900 अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
- प्रतिनिधि सांस्कृतिक, प्राकृतिक और मिश्रित विरासत के संरक्षण पर चर्चा और सहयोग के लिए एकत्र हुए, जो विरासत संरक्षण में भारत की वैश्विक भूमिका में एक महत्वपूर्ण कदम है।
राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों का निर्माण:
- भारत में 3,697 प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल राष्ट्रीय महत्व के घोषित हैं।
भारत में सांस्कृतिक विरासत का डिजिटलीकरण:
- 2007 में स्थापित राष्ट्रीय स्मारक एवं पुरावशेष मिशन (एनएमएमए) भारत की विरासत और पुरावशेषों का डिजिटलीकरण और दस्तावेज़ीकरण करने का कार्य करता है।
- अब तक, 12.3 लाख से अधिक पुरावशेषों और 11,406 विरासत स्थलों का अभिलेखीकरण किया जा चुका है।
- 2024-25 के लिए, इस मिशन को ₹20 लाख आवंटित किए गए हैं।
शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा:
- 3 अक्टूबर, 2024 को, सरकार ने असमिया, मराठी, पाली, प्राकृत और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया, जिससे शास्त्रीय भारतीय भाषाओं की कुल संख्या 11 हो गई।
- यह कदम भारत की अपनी विविध और प्राचीन भाषाई विरासत के संरक्षण के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत का पहला पुरातात्विक अनुभवात्मक संग्रहालय:
- केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने 16 जनवरी 2025 को वडनगर में पुरातात्विक अनुभवात्मक संग्रहालय का उद्घाटन किया।
हुमायूँ का मकबरा विश्व धरोहर स्थल संग्रहालय:
- 29 जुलाई 2024 को, नई दिल्ली स्थित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, हुमायूँ के मकबरे में 1,00,000 वर्ग फुट में फैले एक अत्याधुनिक संग्रहालय का उद्घाटन किया गया।