भारत का प्रथम मेक-इन-इंडिया ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट
 
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भारत का प्रथम मेक-इन-इंडिया ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट

Wed 06 Aug, 2025

संदर्भ :

  • कांडला स्थित दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण (DPA) ने भारत के प्रथम "मेक-इन-इंडिया" ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट को चालू किया।

परियोजना का अवलोकन :

  • स्थान: दीनदयाल बंदरगाह, कांडला, गुजरात
  • क्षमता: 1 मेगावाट (10 मेगावाट की विस्तार योजना का हिस्सा)
  • उद्घाटन: 30 जुलाई 2025
  • प्रमुख विशेषता: पूर्णतः स्वदेशी तकनीक, जिसमें भारत में निर्मित इलेक्ट्रोलाइज़र शामिल
  • उत्पादन क्षमता: प्रति वर्ष लगभग 140 मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन
  • निष्पादन समय: केवल चार महीनों में पूरा
  • प्रमुख योगदानकर्ता: दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण (DPA) और लार्सन एंड टुब्रो (L&T)

 यह संयंत्र भारत का पहला बंदरगाह-आधारित ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट है, जो 'मेक-इन-इंडिया' पहल के तहत स्वदेशी इंजीनियरिंग और तकनीक का उपयोग करता है।

ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन :

  • ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे सौर या पवन) से प्राप्त बिजली का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से होता है
  • इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रोलाइज़र पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करते हैं, बिना किसी कार्बन उत्सर्जन के। कांडला प्लांट में उपयोग किए गए इलेक्ट्रोलाइज़र एलएंडटी के हजीरा (गुजरात) स्थित विनिर्माण संयंत्र में निर्मित हैं

स्केलेबिलिटी :

  • यह 1 मेगावाट संयंत्र 10 मेगावाट की बड़ी परियोजना का हिस्सा है, जिसकी आधारशिला प्रधानमंत्री मोदी ने 26 मई 2025 को कच्छ में रखी थी

पर्यावरणीय प्रभाव :

नेट-जीरो विजन :

  • यह संयंत्र भारत के 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को समर्थन देता है। ग्रीन हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन है, जो जीवाश्म ईंधनों का पर्यावरण-अनुकूल विकल्प प्रदान करता है।
  • यह समुद्री क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन को बढ़ावा देता है, विशेष रूप से बंदरगाह संचालन में, जो पारंपरिक रूप से डीजल पर निर्भर है।

स्थिरता :

  • प्रति वर्ष 140 मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन बंदरगाह के संचालन को पर्यावरण के अनुकूल बनाने में योगदान देता है।
  • यह परियोजना मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 के तहत ग्रीन पोर्ट दिशानिर्देशों के अनुरूप है, जो बंदरगाहों को स्थिरता की ओर ले जाता है।

ग्रीन हाइड्रोजन

  • एक स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा स्रोत है, जिसे पानी (H2O) को इलेक्ट्रोलिसिस नामक प्रक्रिया द्वारा हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करके बनाया जाता है।
  • इस प्रक्रिया में नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग होता है, इसलिए इसमें कोई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन नहीं होता है।

मुख्य उद्देश्य:

  1. स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग
  2. कार्बन उत्सर्जन को कम करना
  3. ऊर्जा आयात पर निर्भरता घटाना
  4. ऊद्योग, परिवहन, उर्वरक और इस्पात उद्योग में हरित विकल्प प्रदान करना

अन्य प्रकार के हाइड्रोजन:

  • ग्रे हाइड्रोजन: प्राकृतिक गैस (मीथेन) से बनाया जाता है, जिसमें उच्च कार्बन उत्सर्जन होता है।
  • ब्लू हाइड्रोजन: ग्रे हाइड्रोजन की तरह बनता है, लेकिन कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) तकनीक का उपयोग करके उत्सर्जन कम किया जाता है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन: पूरी तरह नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित, शून्य-उत्सर्जन वाला

भारत में पहल:

राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission):

  • घोषणा: 15 अगस्त 2021
  • शुरुआत: जनवरी 2023

लक्ष्य:

  • 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन
  • ₹19,744 करोड़ का कुल बजट
  • भारत को वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाना
  • निर्यात और घरेलू उपयोग दोनों में बढ़ावा देना

मेक-इन-इंडिया पहल

  • शुभारंभ:
  • तिथि: 25 सितंबर 2014
  • शुभारंभकर्ता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
  • प्रमुख मंत्रालय: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय

उद्देश्य:

  • भारत में उत्पादन और निवेश को बढ़ावा देना
  • रोजगार सृजन और कौशल विकास
  • भारत को निर्माण के लिए आकर्षक गंतव्य बनाना
  • मेक-इन-इंडिया से निर्यात को प्रोत्साहन
  • एफडीआई (FDI) को बढ़ावा देना

प्रमुख क्षेत्र :

  • मेक-इन-इंडिया 25 प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है : ऑटोमोबाइल, विमानन, रक्षा विनिर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, सूचना प्रौद्योगिकी (IT), रेलवे, कपड़ा और परिधान, रसायन और उर्वरक

उपलब्धियां :

  • FDI में वृद्धि: मेक-इन-इंडिया शुरू होने के बाद भारत में FDI में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। 2023-24 में भारत ने $70 बिलियन से अधिक का FDI आकर्षित किया।
  • स्वदेशी उत्पादन: स्मार्टफोन, रक्षा उपकरण, और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों का स्थानीय उत्पादन बढ़ा।
  • वैश्विक ब्रांड्स का आकर्षण: Apple, Samsung, और Tesla जैसे वैश्विक ब्रांड्स ने भारत में विनिर्माण इकाइयां स्थापित कीं या विस्तार की योजना बनाई।
  • रक्षा क्षेत्र में प्रगति: स्वदेशी रक्षा उपकरणों (जैसे तेजस विमान, INS विक्रांत) का निर्माण और निर्यात बढ़ा।
  • नवीकरणीय ऊर्जा: सौर और पवन ऊर्जा उपकरणों के स्थानीय उत्पादन में वृद्धि, जैसे कि कांडला में ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट।

आत्मनिर्भर भारत

  • घोषणा:
  • तिथि: 12 मई 2020
  • घोषणाकर्ता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
  • पृष्ठभूमि: COVID-19 महामारी के दौरान वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में आई बाधाओं के बीच

मुख्य उद्देश्य:

  • भारत को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाना
  • स्थानीय उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना
  • निर्यात में वृद्धि और आयात पर निर्भरता में कमी
  • नवाचार, स्टार्टअप और तकनीक को प्रोत्साहन देना
  • रोज़गार सृजन और ग्रामीण व शहरी विकास में तेजी

5 प्रमुख स्तंभ:

  • आर्थिक व्यवस्था (Economy) – ग्रोथ को प्रेरित करने वाली
  • इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure) – भविष्य का आधार
  • प्रौद्योगिकी चालित व्यवस्था (Technology-driven System)
  • जनसंख्या (Demography) – भारत की शक्ति
  • मांग (Demand) – घरेलू मांग को बढ़ावा

प्रमुख क्षेत्रों में फोकस:

  • उद्योग और विनिर्माण (Make in India)
  • कृषि सुधार
  • स्वास्थ्य और दवा क्षेत्र
  • MSME सेक्टर
  • डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप्स
  • रक्षा, अंतरिक्ष और ऊर्जा क्षेत्र

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