22 September, 2025
‘ग्लोबल SPECS 2030’ पहल
Tue 29 Jul, 2025
संदर्भ:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ‘ग्लोबल SPECS 2030’ पहल की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य है कि वर्ष 2030 तक सभी लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण नेत्र देखभाल सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। यह पहल विश्वभर में बढ़ती नेत्र समस्याओं और नेत्र देखभाल सेवाओं तक असमान पहुंच को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई है।
इस पहल की आवश्यकता क्यों?
- दुनिया में 2.2 अरब से अधिक लोग दृष्टि दोष से पीड़ित हैं, जिनमें से 1 अरब से अधिक मामलों को रोका या ठीक किया जा सकता है।
- कम आय वाले देशों में यह समस्या और अधिक गंभीर है क्योंकि वहां नेत्र विशेषज्ञों की कमी, कम जागरूकता और महंगी दृष्टि सेवाएं हैं।
SPECS 2030 का उद्देश्य:
- SPECS (Spectacle Services, Personnel, Education, Cost, Surveillance) का मतलब है चश्मे से संबंधित सेवाएं, जनशक्ति, शिक्षा, लागत और निगरानी।
- इस पहल का उद्देश्य है कि 2030 तक सभी को चश्मा और नेत्र परीक्षण सेवाएं सुलभ हों, विशेष रूप से विकासशील देशों में।
मुख्य 5 स्तंभ – SPECS मॉडल:
- S – सेवाएं (Services) : नेत्र परीक्षण और चश्मे की सेवाओं की गुणवत्ता व पहुंच में सुधार
- P – जनशक्ति (Personnel) : नेत्र विशेषज्ञों की संख्या व प्रशिक्षण में वृद्धि
- E – शिक्षा (Education) : नेत्र स्वास्थ्य के प्रति सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना
- C – लागत (Cost) : चश्मे और सेवाओं की लागत को कम करना
- S – निगरानी (Surveillance) : डेटा संग्रह और शोध को सुदृढ़ करना
कार्यान्वयन की रणनीतियाँ:
WHO ने इस पहल को धरातल पर उतारने के लिए चार प्रमुख रणनीतियाँ तय की हैं:
- मानदंड निर्धारण (Normative Work) : WHO तकनीकी दिशानिर्देश और संसाधन तैयार करेगा जिससे देश अपने प्राथमिक स्वास्थ्य ढांचे में नेत्र सेवाएं जोड़ सकें
- ग्लोबल SPECS नेटवर्क: यह एक वैश्विक मंच होगा जिसमें NGOs, संस्थाएं, स्वास्थ्य संस्थान और पेशेवर मिलकर कार्य करेंगे।
- निजी क्षेत्र की साझेदारी: ऑप्टिकल, दवा और तकनीकी उद्योग को जोड़ा जाएगा ताकि उपकरणों और सेवाओं में नवाचार हो सके।
- राष्ट्रीय और क्षेत्रीय जुड़ाव: देशों को स्थानीय जरूरतों के अनुसार नीतिगत सहायता और संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।
इसका व्यापक महत्व:
- दृष्टि दोष शिक्षा, रोजगार और उत्पादकता को प्रभावित करता है।
- दृष्टि सुधार में निवेश से लाभदायक परिणाम मिलते हैं।
- यह पहल सतत विकास लक्ष्यों (SDGs), विशेष रूप से SDG-3 (स्वास्थ्य) और SDG-4 (शिक्षा) से मेल खाती है।
भारत के लिए प्रासंगिकता:
- भारत जैसे देश में जहां दृष्टि दोष का बोझ बहुत अधिक है, SPECS 2030 जैसे वैश्विक कार्यक्रमों से राष्ट्रीय योजनाओं जैसे ‘नेत्रहीनता नियंत्रण कार्यक्रम’ (NPCB) और आयुष्मान भारत के तहत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को बल मिलेगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में चश्मे और नेत्र परीक्षण सुविधाएं अब भी सीमित हैं। यह पहल नीति निर्माताओं के लिए अवसर प्रदान करती है कि वे इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में जोड़ें।
आगे की राह:
- प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में नेत्र परीक्षण को एकीकृत करना आवश्यक है।
- स्कूलों में स्क्रीनिंग कार्यक्रम चलाना, बीमा योजनाओं में दृष्टि स्वास्थ्य को शामिल करना जरूरी है।
- WHO की भूमिका तकनीकी समर्थन व वैश्विक दिशा-निर्देशन देने में अहम होगी।