04 August, 2025
देश की प्रथम हाइड्रोजन-चालित ट्रेन कोच का सफल परीक्षण
Sat 26 Jul, 2025
संदर्भ :
- भारतीय रेलवे ने 25 जुलाई 2025 को चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में देश की पहली हाइड्रोजन-चालित ट्रेन कोच का सफल परीक्षण किया।
मुख्य बिन्दु :
- यह उपलब्धि हरित और स्वच्छ परिवहन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
परीक्षण का विवरण :
- स्थान और तिथि: परीक्षण 25 जुलाई 2025 को चेन्नई के ICF में किया गया।
- कोच का प्रकार: डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) कोच को हाइड्रोजन-संचालित बनाया गया।
- प्रदर्शन: कोच ने अपेक्षित प्रदर्शन दिखाया, जो हाइड्रोजन तकनीक की व्यवहार्यता को दर्शाता है।
- शक्ति: 1,200 हॉर्सपावर (HP) की क्षमता, जो इसे विश्व की सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेनों में से एक बनाती है।
तकनीक और कार्यप्रणाली :
- हाइड्रोजन फ्यूल सेल सिस्टम: हाइड्रोजन गैस और ऑक्सीजन के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया से बिजली, गर्मी और पानी की भाप उत्पन्न होती है। यह शून्य-उत्सर्जन तकनीक है।
- उच्च दबाव टैंक: हाइड्रोजन गैस को उच्च दबाव में संग्रहित किया जाता है, जो फ्यूल सेल को आपूर्ति करता है।
- बैटरी सिस्टम: अधिक शक्ति की आवश्यकता होने पर बैटरी सहायता प्रदान करती है और फ्यूल सेल से चार्ज होती रहती है।
- स्वदेशी विकास: यह कोच पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है।
पर्यावरणीय लाभ
- शून्य उत्सर्जन: केवल पानी की भाप निकलती है, जिससे कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं होता।
- प्रदूषण में कमी: कोई धुआं या जहरीली गैस नहीं, जिससे वायु प्रदूषण कम होता है।
- शोर में कमी: डीजल ट्रेनों की तुलना में 60% कम शोर।
आर्थिक और परिचालन लाभ :
- लागत प्रभावी: शुरुआती लागत अधिक, लेकिन दीर्घकाल में कमी।
- गैर-विद्युतीकृत मार्गों के लिए उपयुक्त: विद्युतीकरण की तुलना में कम लागत।
- लंबी अवधि में बचत: परिचालन लागत में कमी।
भारतीय रेलवे और स्वच्छ ऊर्जा पहल :
- यह पहल रेलवे के बड़े "ग्रीन रेल्वे" मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य 2030 तक पूरी तरह से नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन हासिल करना है।
- हाइड्रोजन ट्रेनें डीजल इंजन वाली ट्रेनों के विकल्प के रूप में काम करेंगी, खासकर उन रूट्स पर जहां विद्युतीकरण (electrification) कठिन या महंगा हो।
- रेलवे ने स्वच्छ ऊर्जा टेक्नोलॉजी को अपनाकर ऑपरेशन लागत में भी कमी लाने का लक्ष्य रखा है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य :
- अन्य देश: जर्मनी और फ्रांस पहले से हाइड्रोजन ट्रेनों का उपयोग कर रहे हैं।
- विशिष्टता: भारत की 10 कोच वाली ट्रेन विश्व में पहली होगी।
भारतीय रेलवे
- स्थापना : 1853 (16 अप्रैल को पहली ट्रेन मुंबई से ठाणे तक चली)
- मुख्यालय : रेल भवन, नई दिल्ली
- निगरानी मंत्रालय : रेल मंत्रालय, भारत सरकार
- रेलवे ज़ोन : 19(19वां- मेट्रो रेलवे, कोलकाता)
- बुलेट ट्रेन परियोजना : मुंबई-अहमदाबाद (जापान के सहयोग से)
- हरित लक्ष्य : 2030 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन
भारतीय रेलवे के प्रमुख कोच फैक्ट्रियां :
फैक्ट्री का नाम | स्थान | विशेषताएं |
इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) | चेन्नई, तमिलनाडु | देश की प्रमुख यात्री कोच निर्माता इकाई। 2024-25 में 3,007 कोचों का उत्पादन। टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता तथा नवाचार पर जोर। 2025 में हाइड्रोजन कोच का सफल ट्रायल भी किया गया। |
रेल कोच फैक्ट्री (RCF) | कपूरथला, पंजाब | 1985 में स्थापित, व्यापक रूप से आधुनिक कोच बनाती है। विभिन्न श्रेणियों के कोच बनाती है। तकनीकी रूप से उन्नत उत्पादन। |
मॉडर्न कोच फैक्ट्री (MCF) | रायबरेली, उत्तर प्रदेश | 2024-25 में 2025 कोच उत्पादन का रिकॉर्ड। जल्द ही वंदे भारत ट्रेन के कोच भी बनाना शुरू करेगी। मजदूर उत्पादकता देश में सबसे बेहतर। एक्स-आर्मी जवानों को रोजगार देने का प्रयास। |