04 August, 2025
बायोस्टिमुलेंट्स
Mon 21 Jul, 2025
हाल ही में आयोजित विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री ने भारत में बायोस्टिमुलेंट्स की अनियंत्रित बिक्री पर चिंता जताई और स्पष्ट किया कि केवल उन्हीं बायोस्टिमुलेंट्स को अनुमति दी जाएगी जो वैज्ञानिक रूप से प्रभावी पाए जाएंगे।
क्या हैं बायोस्टिमुलेंट्स?
बायोस्टिमुलेंट्स ऐसे पदार्थ या सूक्ष्मजीव होते हैं जो बीज, पौधों या मिट्टी पर प्रयोग किए जाने पर पौधों की प्राकृतिक प्रक्रियाओं को उत्तेजित करते हैं। यह उर्वरकों की तरह सीधे पोषक तत्व नहीं देते, बल्कि पौधों की वृद्धि, पोषक तत्वों के अवशोषण, और प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं।
मुख्य कार्य:
- सूखा, लवणीयता, तापमान जैसे जैविक तनाव से पौधों की रक्षा
- पोषक तत्वों के अवशोषण और उनकी कुशलता में वृद्धि
- मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देना
- फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार
- बायोस्टिमुलेंट्स के प्रकार और उदाहरण
श्रेणी | विवरण | उदाहरण |
ह्युमिक व फुल्विक एसिड | पौधों, जानवरों व सूक्ष्मजीवों के अपघटित कार्बनिक पदार्थ | पीट, लियोनार्डाइट, कोमल कोयला |
समुद्री शैवाल निष्कर्ष | विभिन्न विधियों से प्राप्त समुद्री शैवाल उत्पाद | घुलनशील पाउडर, तरल निष्कर्ष |
तरल खाद कम्पोस्टिंग | गोबर को सूक्ष्मजीव संवर्धक पदार्थों के साथ मिलाकर तैयार | कम्पोस्ट से प्राप्त जैव उर्वरक |
लाभकारी सूक्ष्मजीव | पौधों की जड़ वृद्धि में सहायक बैक्टीरिया व कवक | बैसिलस, राइजोबियम फंजाई |
सतत कृषि में बायोस्टिमुलेंट्स की भूमिका
- जैविक तनाव से निपटना:
बायोस्टिमुलेंट्स पौधों को सूखा, लवणीयता, पाला और अत्यधिक तापमान से बचाने में मदद करते हैं।
- पोषक तत्वों का बेहतर उपयोग:
यह पौधों की जड़ प्रणाली को स्वस्थ बनाकर पोषक तत्वों के अवशोषण को बेहतर बनाते हैं।
- मिट्टी स्वास्थ्य में सुधार:
यह मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे मिट्टी उपजाऊ बनी रहती है।
- फसल की गुणवत्ता व उत्पादकता में वृद्धि:
स्वस्थ पौधे अधिक और अच्छी गुणवत्ता की फसल देते हैं।
भारत में बायोस्टिमुलेंट्स बाजार की स्थिति
- 2024 में भारत में बायोस्टिमुलेंट्स बाजार का मूल्य लगभग 355–362 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। अनुमान है कि यह बाजार 2032 तक 1.13 से 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा। यह किसानों के सतत व जैविक कृषि की ओर बढ़ते रुझान को दर्शाता है।
भारत में नियामक ढांचा
भारत में बायोस्टिमुलेंट्स को उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 (FCO) के तहत नियंत्रित किया जाता है, जो कि आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत जारी किया गया था।
2024 और 2025 में किए गए संशोधनों के बाद प्रमुख प्रावधान:
- वैज्ञानिक प्रमाण आधारित पंजीकरण
- कृषि सहकारिता विभाग के अंतर्गत पंजीकरण अनिवार्य
- गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य
जैविक व सतत कृषि से संबंधित सरकारी योजनाएं
योजना | प्रारंभ वर्ष | उद्देश्य |
राष्ट्रीय जैविक कृषि परियोजना (NPOF) | 2004 | जैविक कृषि को बढ़ावा देना |
परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) | 2015 | जैविक खेती को प्रोत्साहित करना |
उत्तर-पूर्व क्षेत्र हेतु जैविक मूल्य श्रृंखला मिशन (MOVCDNER) | 2015 | पूर्वोत्तर राज्यों में जैविक कृषि श्रृंखला का विकास |