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पृथ्वी-II और अग्नि-I बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण

Sat 19 Jul, 2025

संदर्भ :

  • रक्षा मंत्रालय ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों - पृथ्वी-II और अग्नि-I का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • यह परीक्षण स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड (SFC) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की देखरेख में आयोजित किया गया।
  • उद्देश्य: मिसाइलों की सटीकता, परिचालन विश्वसनीयता, और तकनीकी प्रदर्शन की पुष्टि। दोनों मिसाइलों ने सभी मानकों को पूरा किया

दोनों मिसाइलों का विस्तृत विवरण :

विशेषता पृथ्वी-II अग्नि-I
प्रकार शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) शॉर्ट/मीडियम-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM)
मारक क्षमता 250–350 किमी 700–900 किमी
वज़न (पेलोड) 500–1000 किलोग्राम लगभग 1000 किलोग्राम
प्रणोदन द्रव ईंधन ठोस ईंधन
नेविगेशन उन्नत जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली उन्नत इलेक्ट्रॉनिक और जड़त्वीय नेविगेशन
उपयोग परमाणु और पारंपरिक युद्धक क्षमता परमाणु और पारंपरिक दोनों प्रकार के पेलोड
प्रतिष्ठान SFC / 2003 से सेवा में SFC में सेवा
प्रक्षेपण स्थल चांदीपुर, ITR अब्दुल कलाम द्वीप

 

पृथ्वी-II :

  • स्वदेशी रूप से विकसित DRDO द्वारा।
  • सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल, परमाणु हथियार ले जाने में पूरी तरह सक्षम।
  • उच्च सटीकता; मुख्यतः रणनीतिक कमान द्वारा ऑपरेट की जाती है।
  • विभिन्न प्रकार के वारहेड्स यथा हाई एक्सप्लोसिव, क्लस्टर, टैक्टिकल न्यूक्लियर व ब्लास्ट वर्शन से लैस की जा सकती है.

अग्नि-I :

  • DRDO द्वारा विकसित पहली अग्नि-सिरीज़ की मिसाइल।
  • सिंगल स्टेज, ठोस ईंधन आधारित, तेज़ लॉन्चिंग की क्षमता।
  • मोबाइल प्लेटफॉर्म (सड़क/रेल) से प्रक्षेपण योग्य।
  • परमाणु पेलोड की त्वरित डिलीवरी और मीडियम रेंज के लिए उपयुक्त.
  • परीक्षण का सामरिक/रणनीतिक महत्व
  • ये परीक्षण दिखाते हैं कि भारत की रणनीतिक मिसाइल क्षमता पूर्णतः ऑपरेशनल और विश्वसनीय है।
  • देश की परमाणु नीति के "प्रतिरोधक क्षमता" पक्ष को मजबूती मिलती है।
  • तकनीकी दृष्टि से, DRDO व भारतीय सेना की तैयारियों और स्वदेशीकरण (Indigenization) को बल मिलता है।
  • भारत पड़ोसी देशों की चुनौतियों के मद्देनज़र अत्याधुनिक तकनीक और प्रतिक्रिया संबंधी क्षमताओं को बढ़ा रहा है

पृथ्वी मिसाइल: 

  • भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित सतह-से-सतह पर मार करने वाली शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) है।

विकास और इतिहास :

  • विकास: पृथ्वी मिसाइल का विकास 1980 के दशक में शुरू हुआ, और इसे DRDO ने भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) के सहयोग से निर्मित किया।
  • पहला परीक्षण: पृथ्वी-I का पहला सफल परीक्षण 25 फरवरी 1988 को किया गया।
  • सेवा में शामिल: 2003 में भारतीय सेना और स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड (SFC) में शामिल की गई।
  • उद्देश्य: सामरिक युद्धक्षेत्र में दुश्मन के ठिकानों, जैसे कमांड सेंटर, सैन्य अड्डों, और बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन।

पृथ्वी मिसाइल के प्रकार :

संस्करण प्रकार रेंज (किमी) पेलोड क्षमता (किग्रा) प्रणोदन तैनाती प्रमुख उपयोगकर्ता अन्य विशेषताएँ
पृथ्वी-I SRBM 150 1,000 तरल ईंधन 2003 भारतीय सेना भूमि से लॉन्च, उच्च सटीकता
पृथ्वी-II SRBM 250 - 350 500–1,000 तरल ईंधन 2003 सामरिक बल कमान (SFC), वायुसेना इनर्शियल नेविगेशन, रात में लॉन्च संभव
पृथ्वी-III* SRBM (Dhanush - नौसेना) ~350 500–1,000 तरल ईंधन 2012 (नौसेना) भारतीय नौसेना समुद्र से लॉन्च योग्य, पोत आधारित

 

  • पृथ्वी-III को 'धनुष' के नाम से नौसेना के लिए अभिकल्पित किया गया है

विस्तृत विशेषताएँ :

  • प्रणोदन: सभी वेरिएंट में एकल-चरण तरल ईंधन सिस्टम।
  • पेलोड: पारंपरिक/परमाणु वारहेड दोनों ले जाने में सक्षम।
  • सटीकता: CEP (Circular Error Probable) ~10-15 मीटर (पृथ्वी-II).
  • मारक क्षमता: सामरिक (Tactical) व रणनीतिक दोनों प्रकार के उपयोग।
  • नेविगेशन: उन्नत जड़त्वीय (INS) व GPS-आधारित मार्गदर्शन प्रणाली.
  • लॉन्च प्लेटफॉर्म: मोबाइल लॉन्चर, समुद्री पोत (धनुष हेतु)।

प्रमुख विशेषताएँ और उपयोग :

  • सटीक हमला: पृथ्वी मिसाइलें उच्च सटीकता के साथ दुश्मन के ठिकानों, जैसे हवाई अड्डों, रडार स्टेशनों, और कमांड सेंटर, को नष्ट करने में सक्षम हैं।
  • नौसैनिक उपयोग: पृथ्वी-III विशेष रूप से नौसेना के लिए डिज़ाइन की गई है, जो समुद्री लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।
  • तैनाती में लचीलापन: मोबाइल लॉन्चर और त्वरित तैनाती क्षमता इसे आधुनिक युद्ध के लिए उपयुक्त बनाती है।

अग्नि मिसाइल

  • भारत की स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइलों की एक श्रृंखला है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है
  • अग्नि मिसाइलें परमाणु और पारंपरिक हथियार ले जाने में सक्षम हैं और भारत की रक्षा नीति में न्यूनतम विश्वसनीय निवारण (Credible Minimum Deterrence) को सुनिश्चित करती हैं।
  • यह मिसाइल श्रृंखला भारत की सामरिक और परमाणु निवारण रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो कम दूरी से लेकर अंतरमहाद्वीपीय दूरी तक की मारक क्षमता प्रदान करती है

विकास और इतिहास :

  • विकास: अग्नि मिसाइल का विकास 1980 के दशक में एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के तहत शुरू हुआ। इसे DRDO और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) ने निर्मित किया।
  • पहला परीक्षण: अग्नि-I का पहला सफल परीक्षण 22 मई 1989 को हुआ।
  • उद्देश्य: क्षेत्रीय और वैश्विक खतरों, विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन, के खिलाफ सामरिक और परमाणु निवारण सुनिश्चित करना।
  • सेवा में शामिल: अग्नि मिसाइलें स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड (SFC) के तहत भारतीय सेना, नौसेना, और वायुसेना में तैनात हैं।

अग्नि मिसाइल के प्रकार :

अग्नि मिसाइल श्रृंखला में विभिन्न रेंज और क्षमताओं वाली मिसाइलें शामिल हैं:

प्रमुख वेरिएंट एवं उनकी क्षमताएं :

सीरीज प्रकार रेंज (किमी) पेलोड क्षमता (किग्रा) संचालित इंजन विशेषताएं
अग्नि-1 शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) 700–1,250 ~1,000 ठोस तेज़ लॉन्च, मोबाइल लांचिंग योग्य
अग्नि-2 इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल 2,000–3,000 ~1,000 ठोस दो-चरणीय, उन्नत नेविगेशन
अग्नि-3 इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल 3,500–5,000 ~1,500 ठोस उच्च सटीकता, परमाणु मिसाइल
अग्नि-4 इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल 3,000–4,000 1,000 ठोस बेहतर एवियोनिक्स व इलेक्ट्रॉनिक गाइडेंस
अग्नि-5 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) 5,000–8,000 1,000+ ठोस (3-stage) MIRV तकनीक, कैनिस्टर लॉन्च क्षमता, रोड मोबाइल
अग्नि-6* सुपर-ICBM (निर्माणाधीन) 8,000–12,000+ 3,000 (अनुमानित) ठोस MIRV, सबमरीन लॉन्च/भूमि से लॉन्च*

 

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