21 July, 2025
वैश्विक प्लास्टिक संधि
Sun 20 Jul, 2025
प्लास्टिक प्रदूषण की बढ़ती वैश्विक समस्या के समाधान हेतु, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA) ने मार्च 2022 में प्रस्ताव 5/14 के तहत वैश्विक प्लास्टिक संधि पर बातचीत शुरू की। इस संधि का उद्देश्य 2025 तक प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक संधि तैयार करना है।
हालांकि, इस प्रयास के साथ एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा भी जुड़ा है — “न्यायोचित संक्रमण” (Just Transition), जो खासतौर से अनौपचारिक कचरा बीनने वाले श्रमिकों की सुरक्षा और आजीविका से संबंधित है।
क्या है न्यायोचित संक्रमण (Just Transition)?
न्यायोचित संक्रमण का अर्थ है — जब अर्थव्यवस्था सतत विकास और हरित तकनीकों की ओर बढ़े, तो उसमें काम करने वाले श्रमिकों और समुदायों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सुरक्षित रखा जाए।
न्यायोचित संक्रमण के प्रमुख उद्देश्य:
- हरित नौकरियों (Green Jobs) का सृजन
- अनौपचारिक क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना
- नए कौशल और प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध कराना
- पर्यावरण सुधार के साथ सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना
पांचवीं अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC-5.1) — बुसान सत्र, 2024
INC-5.1 का आयोजन बुसान, दक्षिण कोरिया में हुआ, जिसमें न्यायोचित संक्रमण को वैश्विक प्लास्टिक संधि में समाविष्ट करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
मुख्य बिंदु:
- अनौपचारिक कचरा बीनने वालों के योगदान को स्वीकार किया गया
- प्लास्टिक मूल्य श्रृंखला में काम करने वाले लाखों लोगों के आर्थिक विस्थापन की आशंका जताई गई
- इनके लिए कानूनी सुरक्षा और स्पष्ट भूमिका सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल
ड्राफ्ट संधि में कमियाँ:
- अनुच्छेद 8 और 9 में सिर्फ प्रोत्साहन का उल्लेख है, बाध्यकारी प्रावधान नहीं
- अनुच्छेद 11 में न्यायोचित संक्रमण के लिए कोई वित्तीय तंत्र नहीं
- अनौपचारिक श्रमिकों की भूमिका स्पष्ट नहीं, जिससे उनके हाशिये पर चले जाने का खतरा
भारत का दृष्टिकोण — INC-5.1 में भारत का पक्ष
भारत की स्थिति | स्पष्टीकरण |
राष्ट्रीय संदर्भ में क्रियान्वयन | हर देश को अपनी सामाजिक और कानूनी व्यवस्था के अनुरूप इसका क्रियान्वयन करना चाहिए |
संधि का दायरा स्पष्ट हो | संधि मौजूदा समझौतों — बेसल, रॉटरडैम, स्टॉकहोम समझौते और WTO के साथ ओवरलैप न करे |
रियो घोषणापत्र के सिद्धांत | साझा लेकिन विभेदित जिम्मेदारियाँ (CBDR) और विकास का अधिकार प्रमुख सिद्धांत होने चाहिए |
भारत ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी वैश्विक समझौते में विकासशील देशों के हितों, उनकी प्राथमिकताओं और विकास के अधिकार का सम्मान होना चाहिए।
प्लास्टिक प्रदूषण और न्यायोचित संक्रमण का संबंध
मुद्दा | प्रभाव |
प्लास्टिक प्रतिबंध | उत्पादन से लेकर निस्तारण तक जुड़े श्रमिकों के विस्थापन का खतरा |
नीति से बहिष्करण | अनौपचारिक श्रमिकों के हाशिए पर चले जाने की आशंका |
वित्तीय समर्थन की कमी | बिना वित्तीय सहायता के न्यायोचित संक्रमण कार्यक्रम लागू करना कठिन |
निष्कर्ष
प्लास्टिक प्रदूषण का समाधान सिर्फ पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से न्यायसंगत भी होना चाहिए।