21 July, 2025
‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ को मंजूरी
Thu 17 Jul, 2025
संदर्भ :
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs : CCEA) ने ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDKY)’ को मंजूरी प्रदान की।
मुख्य बिन्दु :
- योजना का उद्देश्य : कृषि उत्पादकता में बढ़ोत्तरी, फसल विविधीकरण और संधारणीय कृषि पद्धतियों को अपनाना, कटाई के बाद पंचायत और प्रखंड स्तर पर भंडारण क्षमता में वृद्धि, सिंचाई सुविधा में सुधार और दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक ऋण उपलब्धता सुगम बनाना
- लक्ष्य: देश के चयनित 100 कृषि जिलों में पैदावार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना; गरीब उत्पादकता वाले जिलों को सशक्त बनाना
समयावधि और वित्तीय प्रावधान :
- अवधि: छह वर्षों (2025–26 से 2030–31 तक)
- वार्षिक बजट: ₹24,000 करोड़ प्रति वर्ष
मुख्य रणनीतियाँ :
- 36 योजनाओं का एकीकरण: 11 मंत्रालयों की मौजूदा योजनाएँ जैसे कृषि, सिंचाई, बीज, अनुसंधान, बीमा आदि को संलिप्त कर समन्वित कार्य किया जाएगा ।
- प्रेरणा मॉडल: यह “अभिलाषी जिलों” (Aspirational Districts) की तर्ज़ पर बनाया गया पहल है।
चयन मानदंड और क्षेत्रों का दायरा :
- चयन के संकेतक:
- कम कृषि उत्पादकता
- कम फसल कटाव (cropping intensity)
- कम कृषि संबंधी ऋण वितरण
- 100 जिलों की भूमिका: प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश से कम से कम 1 जिला; अधिक से अधिक संख्या फसल कटाव और कृषि क्षेत्र के आधार पर चयनित।
कार्यान्वयन संरचना :
- तीन-स्तरीय समिति: राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर अगुवाई; जिला स्तर पर “District Dhan Dhaanya Samiti” बनेगी
- उपस्थिति: प्रत्येक जिला में कृषि विश्वविद्यालय तकनीकी साझेदार होंगे।
- मासिक मॉनिटरिंग: 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों पर डिजिटल डैशबोर्ड के माध्यम से निगरानी
- निति आयोग की भूमिका: रणनीतिक सलाह और समीक्षा हेतु शामिल ।
प्रमुख घटक :
- पैदावार वृद्धि
- फसल विविधीकरण और सतत कृषि
- पंचायत/ब्लॉक स्तर पर पोस्ट-हार्वेस्ट भंडारण
- सिंचाई प्रणाली का सुधार
- ऋण तक आसान पहुँच
- मृदा/जल स्वास्थ्य का संरक्षण
- कंपनी और निजी साझेदारी से तकनीक हस्तांतरण
लाभार्थी और अपेक्षित प्रभाव :
- लाभार्थी किसान: लगभग 1.7 करोड़ किसान प्रती वर्ष लाभान्वित होंगे
कदमों का प्रभाव:
- उत्पादकता और आय में वृद्धि
- ग्रामीण रोजगार में सुधार
- आत्मनिर्भर और सतत कृषि मॉडल
- देश की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक वृद्धि में योगदान
कृषि उत्पादकता बढ़ाने हेतु प्रमुख सरकारी पहलें :
योजना / नीति | शुरुआत (वर्ष) | उद्देश्य/मुख्य घटक |
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) | 2007-08 | चावल, गेहूं, दाल, मोटे अनाज, तिलहन व पोषक-अनाजों (कदन्न) के उत्पादन व उत्पादकता में टिकाऊ वृद्धि; बेहतर कृषि विस्तार, तकनीक हस्तांतरण, क्षेत्र विस्तार, आय संवर्धन |
प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना | 2015 | सिंचाई कवरेज बढ़ाना ("हर खेत को पानी"); जल उपयोग दक्षता पर जोर ("प्रति बूंद अधिक फसल"); व्यापक सिंचाई अवसंरचना विकास व जल संचयन. |
पीएम-किसान योजना | 2019 | पात्र किसानों को वार्षिक ₹6,000 की प्रत्यक्ष आय सहायता, तीन किस्तों में; किसानों की न्यूनतम आय सुरक्षा एवं कृषि निवेश में बढ़ोत्तरी. |
कृषि अवसंरचना निधि | 2020-21 | फसल कटाई के बाद के प्रबंधन (post-harvest) व सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों में निवेश हेतु मध्यम/दीर्घकालिक ऋण की सुविधा; भंडारण, लॉजिस्टिक्स व मूल्य संवर्धन. |
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वृद्धि | 2018-19 | खरीद केंद्रों पर प्रमुख फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि, ताकि किसानों को उत्पादन लागत पर कम से कम 50% लाभ मिले (A2+FL लागत का 1.5x)[बाक़ायदा सरकारी मापदंड के अनुसार] |
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना | 1998 (विस्तार: 2019) | फसली ऋण पर आसान व सस्ता वित्त (working capital); 2019 में पशुपालन, डेयरी व मछली पालन को भी KCC के दायरे में लाया गया. |
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना | 2016 | प्राकृतिक आपदा, कीट, रोग आदि से फसल नुकसान की स्थिति में बीमा सुरक्षा, किसानों की आय व निवेश सुरक्षा; प्रीमियम में सब्सिडी, व्यापक जोखिम कवर. |
पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) नीति | 2010 | नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटाश (K) व सल्फर आदि पर पौष्टिक तत्व आधारित सब्सिडी; संतुलित उर्वरक प्रयोग व मृदा स्वास्थ्य सुधार. |