18 August, 2025
फेनोम इंडिया "नेशनल बायोबैंक" का उद्घाटन
Tue 08 Jul, 2025
संदर्भ :
- केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली स्थित CSIR-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (CSIR-IGIB) में भारत के प्रथम 'फेनोम इंडिया नेशनल बायोबैंक' का उद्घाटन किया।
मुख्य बिन्दु :
- उद्देश्य: भारत का पहला अनुदैर्ध्य स्वास्थ्य डेटाबेस तैयार करना, जिससे प्रत्येक भारतीय को उसकी आनुवंशिक संरचना, जीवनशैली और पर्यावरण के अनुसार व्यक्तिगत इलाज मिल सके।
बायोबैंक की संरचना और कार्यप्रणाली :
- डेटा संग्रह: पूरे भारत से 10,000 व्यक्तियों का जीनोमिक, क्लिनिकल और लाइफस्टाइल डेटा एकत्र किया जाएगा।
- प्रेरणा स्रोत: UK Biobank मॉडल से प्रेरित, लेकिन भारतीय भूगोल, जातीयता और सामाजिक-आर्थिक विविधता के अनुसार अनुकूलित।
- लाभ: मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग और दुर्लभ आनुवंशिक विकारों का प्रारंभिक निदान और बेहतर उपचार। AI आधारित डायग्नोस्टिक्स और जीन-गाइडेड थैरेपी को बढ़ावा।
फेनोम इंडिया नेशनल बायोबैंक की मुख्य विशेषताएँ :
बिंदु | विवरण |
स्थान | CSIR-IGIB, नई दिल्ली |
परियोजना | फेनोम इंडिया (PI-CHeCK) |
प्रेरणा | यूके बायोबैंक मॉडल, लेकिन भारतीय विविधता के अनुरूप डिज़ाइन |
प्रतिभागी | देशभर से 10,000 विविध भारतीय नागरिक |
एकत्रित डेटा | जीनोमिक, जीवनशैली, नैदानिक, स्वास्थ्य संबंधी डेटा |
उद्देश्य | व्यक्तिगत उपचार (Personalized Medicine), शीघ्र निदान, दीर्घकालिक स्वास्थ्य अध्ययन |
अनुसंधान फोकस | मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग, दुर्लभ आनुवंशिक विकार, कार्डियो-मेटाबोलिक रोग |
दीर्घकालिक लाभ | AI आधारित निदान, जीन-आधारित इलाज, भारतीय संदर्भ में स्वास्थ्य नीति निर्माण |
उद्घाटन का महत्व :
- भारतीय संदर्भ में अनुकूल: यह बायोबैंक भारत की भौगोलिक, जातीय, और सामाजिक-आर्थिक विविधता को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, जिससे शोध भारतीय आबादी के लिए अधिक प्रासंगिक और उपयोगी होगा।
- व्यक्तिगत चिकित्सा की ओर कदम: एकत्रित डेटा के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति को उसकी आनुवंशिक बनावट, जीवनशैली और पर्यावरण के अनुसार व्यक्तिगत उपचार मिल सकेगा।
- रोग अनुसंधान में क्रांति: वैज्ञानिक अब डायबिटीज, कैंसर, हृदय रोग, और दुर्लभ आनुवंशिक बीमारियों को बेहतर समझ सकेंगे, जिससे शीघ्र निदान और लक्षित उपचार संभव होंगे।
- AI और जीन-आधारित समाधान: भविष्य में AI आधारित और जीन-आधारित इलाज के लिए उच्च-गुणवत्ता वाला भारतीय डेटा उपलब्ध होगा।
सामाजिक व वैज्ञानिक प्रभाव :
- स्वास्थ्य नीति निर्माण: बायोबैंक से प्राप्त डेटा सरकार और नीति-निर्माताओं को सटीक, डेटा-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियाँ बनाने में मदद करेगा।
- वैज्ञानिक नवाचार: CRISPR, क्वांटम टेक्नोलॉजी, और रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) जैसे क्षेत्रों में भारतीय नेतृत्व को मजबूती मिलेगी।
- सामाजिक समावेशन: विभिन्न क्षेत्रों, आयु समूहों और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के लोगों की भागीदारी से समावेशी स्वास्थ्य समाधान विकसित होंगे।
फेनोम इंडिया प्रोजेक्ट:
- वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की एक प्रमुख स्वास्थ्य निगरानी और अनुसंधान परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारत में गैर-संचारी (कार्डियो-मेटाबोलिक) रोगों के जोखिम कारकों का मूल्यांकन करना और भारत-विशिष्ट पूर्वानुमान मॉडल विकसित करना है।
मुख्य उद्देश्य:
- कार्डियो-मेटाबोलिक रोगों (मधुमेह, हृदय रोग, यकृत रोग आदि) के लिए भारत-विशिष्ट जोखिम पूर्वानुमान मॉडल विकसित करना।
- भारतीय आबादी में आनुवंशिक, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव का अध्ययन करना।
- स्वास्थ्य नीति निर्माण के लिए दीर्घकालिक, डेटा-आधारित समाधान तैयार करना।
प्रमुख विशेषताएँ :
बिंदु | विवरण |
परियोजना की शुरुआत | दिसंबर 2023 |
प्रतिभागी | 10,000+ प्रतिभागी, 17 राज्यों व 24 शहरों से |
डेटा संग्रह | जीनोमिक, जीवनशैली, नैदानिक, आहार, मानवशास्त्रीय, जैव रासायनिक व आणविक डेटा |
प्रेरणा | यूके बायोबैंक मॉडल, भारतीय विविधता के अनुसार अनुकूलित |
मुख्य फोकस | मधुमेह, हृदय रोग, यकृत रोग, दुर्लभ आनुवंशिक विकार |
संचालन संस्था |
CSIR व IGIB, नई दिल्ली |
परियोजना का महत्व :
- राष्ट्रव्यापी अनुदैर्ध्य अध्ययन: पहली बार भारत में इतने बड़े पैमाने पर कार्डियो-मेटाबोलिक रोगों के लिए दीर्घकालिक अध्ययन।
- भारतीय संदर्भ में समाधान: पश्चिमी देशों के डेटा पर आधारित एल्गोरिद्म भारतीय आबादी के लिए उपयुक्त नहीं हैं, इसलिए भारत-विशिष्ट मॉडल विकसित करना अनिवार्य है।
- व्यक्तिगत चिकित्सा की ओर: आनुवंशिक व जीवनशैली डेटा के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनुकूल उपचार रणनीति संभव होगी।
- नीति निर्माण में सहयोग: सरकार व नीति-निर्माताओं को सटीक, डेटा-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियाँ बनाने में मदद।
वैज्ञानिक व सामाजिक प्रभाव :
- रोकथाम व प्रबंधन: कार्डियो-मेटाबोलिक विकारों के जोखिम स्तरीकरण, रोकथाम व प्रबंधन के लिए नई रणनीतियाँ विकसित होंगी।
- डेटा-आधारित नवाचार: जैविक नमूनों व स्वास्थ्य डेटा के संग्रह से AI-संचालित निदान व जीन-आधारित चिकित्सा को बढ़ावा मिलेगा।
- समावेशी भागीदारी: देश के विभिन्न क्षेत्रों, जातीयताओं व सामाजिक-आर्थिक समूहों की भागीदारी सुनिश्चित।