02 July, 2025
प्रथम राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय की आधारशिला
Sun 06 Jul, 2025
संदर्भ :
- केंद्रीय सहकारिता एवं गृह मंत्री अमित शाह ने 5 जुलाई 2025 को गुजरात के आणंद जिले में भारत के प्रथम राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय ‘त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय’ (Tribhuvan Sahkari Vishwavidyalaya) की आधारशिला रखी।
मुख्य बिन्दु :
- इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्ति : गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और अन्य
लागत:
- विश्वविद्यालय का निर्माण 125 एकड़ भूमि पर लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा
- त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय सहकारी प्रबंधन, वित्त, कानून और ग्रामीण विकास में विशेष पाठ्यक्रम प्रदान करेगा।
- इसका लक्ष्य अगले पांच वर्षों में 20 लाख से अधिक सहकारी पेशेवरों को प्रशिक्षित करना है, जिनमें डेयरी, मत्स्य पालन और कृषि ऋण समितियों के लोग भी शामिल हैं।
नामकरण:
- इसका नाम भारत में सहकारी आंदोलन के अग्रदूत और अमूल के संस्थापक त्रिभुवनदास किशीभाई पटेल के नाम पर रखा गया है
- त्रिभुवनदास किशीभाई पटेल जन्म 1903 में खेड़ा, आनंद में हुआ था और 1994 में उनकी मृत्यु हो गई।
मुख्य उद्देश्य:
- सहकारी क्षेत्र में भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) और अपारदर्शिता को समाप्त करना
- इस क्षेत्र में प्रशिक्षित और पेशेवर मानव संसाधन तैयार करना, जिससे केवल योग्य और प्रशिक्षित युवाओं को ही रोजगार मिले
- सहकारी प्रबंधन, वित्त, कानून, ग्रामीण विकास, अकाउंटेंसी, तकनीकी विशेषज्ञता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मार्केटिंग जैसे क्षेत्रों में विशेष शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के अवसर प्रदान करना
- सहकारी संस्थाओं के लिए योग्य कर्मचारी और नेतृत्व तैयार करना, जिससे भारत में सहकारी आंदोलन को नई दिशा और मजबूती मिले।
- विश्वविद्यालय क्षेत्र के शैक्षिक ढांचे को मजबूत करने के लिए चार वर्षों के भीतर 200 से अधिक मौजूदा सहकारी संस्थानों को जोड़ेगा।
शैक्षणिक ढांचा
- NEP 2020 पर आधारित: पीएचडी, डिग्री, डिप्लोमा, और प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम
- विषय-विशिष्ट स्कूल: सहकारी प्रबंधन, वित्त, कानून, और ग्रामीण विकास में विशेष शिक्षा
- NCERT मॉड्यूल: स्कूली छात्रों के लिए सहकारिता सिद्धांतों पर मॉड्यूल
कानूनी आधार:
- त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 को लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने पारित किया है।
- लोकसभा में पारित: 26 मार्च 2025
- राज्यसभा में पारित: 1 अप्रैल 2025
संविधानिक और विधिक प्रावधान:
- संविधान (97वां संशोधन) अधिनियम, 2011 के तहत सहकारी समितियों को मौलिक अधिकार का दर्जा मिला है।
- सहकारी समिति अधिनियम, 1912 और बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत सहकारी क्षेत्र का नियमन होता है।
- MSCS (संशोधन) अधिनियम, 2023 बहु-राज्य सहकारी समितियों में पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ाता है
भारत में सहकारिता :
- एक ऐसी सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था है जिसमें लोग स्वैच्छिक रूप से एक संगठन बनाकर सामूहिक रूप से काम करते हैं ताकि सभी को लाभ मिल सके।
- "Each for all and all for each" – सभी के लिए एक, और एक के लिए सभी
भारत में सहकारिता की शुरुआत:
- 1904: सहकारी ऋण समितियां अधिनियम (Co-operative Credit Societies Act)
- 1912: सहकारी समितियां अधिनियम (Co-operative Societies Act)
- 1951 के बाद: पंचवर्षीय योजनाओं में सहकारिता को प्राथमिकता
- 1991 के बाद: उदारीकरण के बावजूद सहकारिता का महत्व बना रहा
प्रमुख क्षेत्र जहाँ सहकारिता सक्रिय है:
क्षेत्र | उदाहरण |
कृषि | सहकारी क्रय-बिक्री समितियाँ |
डेयरी | अमूल, सुधा, आदि |
उपभोक्ता | अपेक्स उपभोक्ता समितियाँ |
ऋण/वित्त | सहकारी बैंक, PACS |
हाउसिंग | हाउसिंग कोऑपरेटिव सोसाइटीज़ |
श्रम | श्रमिक सहकारी समितियाँ |
महत्वपूर्ण संस्थाएँ:
क्षेत्र | प्रमुख उदाहरण/संस्थाएँ |
कृषि | सहकारी क्रय-बिक्री समितियाँ, प्राथमिक कृषि साख समितियाँ (PACS), इफको, कृभको |
डेयरी | अमूल (AMUL), सुधा डेयरी, नेशनल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया |
उपभोक्ता | अपेक्स उपभोक्ता समितियाँ, नेफेड (NAFED) |
ऋण/वित्त | सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक, जिला सहकारी बैंक, PACS |
हाउसिंग | हाउसिंग कोऑपरेटिव सोसाइटीज़, राष्ट्रीय सहकारी आवास संघ |
श्रम | श्रमिक सहकारी समितियाँ, निर्माण श्रमिक सहकारी समितियाँ |
मत्स्य पालन | मछुआरा सहकारी समितियाँ, राष्ट्रीय मछुआरा सहकारी संघ |
उर्वरक/चीनी | सहकारी चीनी मिलें, इफको, कृभको |
महिला कल्याण | महिला सहकारी समितियाँ, स्वयं सहायता समूह (SHG) |
- अमूल भारत की सबसे सफल सहकारी संस्था है, जिसने श्वेत क्रांति को गति दी
- इफको और कृभको जैसी संस्थाएँ उर्वरक उत्पादन और वितरण में अग्रणी हैं
- नेफेड कृषि उपज विपणन में प्रमुख भूमिका निभाता है
- राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC), राष्ट्रीय सहकारी आवास संघ, राष्ट्रीय मछुआरा सहकारी संघ आदि देशभर में सहकारी क्षेत्र को संगठित और सशक्त बनाने में सहायक हैं।
97वां संविधान संशोधन, 2011 :
- भारत में सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा और संरक्षण प्रदान करता है
मुख्य प्रावधान:
- अनुच्छेद 19(1)(c) में संशोधन: नागरिकों को सहकारी समितियां बनाने का अधिकार मौलिक अधिकार के रूप में दिया गया
- अनुच्छेद 43B का समावेश: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) में जोड़ा गया, जिसमें सहकारी समितियों के स्वैच्छिक गठन, स्वायत्तता, लोकतांत्रिक नियंत्रण और व्यावसायिक प्रबंधन को बढ़ावा देने का निर्देश है
- भाग IX-B (अनुच्छेद 243ZH से 243ZT) का समावेश: संविधान में नया भाग IX-B जोड़ा गया, जिसमें सहकारी समितियों के गठन, चुनाव, बोर्ड की संरचना, कार्यकाल, पारदर्शिता, लेखा परीक्षा आदि के लिए विस्तृत प्रावधान किए गए