02 July, 2025
‘रासायनिक उद्योग: वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी को सशक्त बनाना’ नामक रिर्पोट
Sat 05 Jul, 2025
संदर्भ :
- नीति आयोग ने ‘रासायनिक उद्योग: वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी को सशक्त बनाना’ नामक रिर्पोट जारी की है, जो भारत के रासायनिक उद्योग को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (Global Value Chains - GVC) में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने के लिए रणनीतिक रोडमैप प्रस्तुत करती है।
मुख्य बिन्दु :
- भारत का रासायनिक क्षेत्र, स्वरुप और जीडीपी योगदान में महत्वपूर्ण होने के बावजूद, बुनियादी ढांचे की कमी, नियामक अक्षमताओं और कम अनुसंधान और विकास गतिविधियों के कारण खंडित और बाध्य बना हुआ है
- वैश्विक रासायनिक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की 3.5 प्रतिशत की भागीदारी और वर्ष 2023 में 31 बिलियन अमरीकी डॉलर का रासायनिक क्षेत्र व्यापार घाटा, आयातित कच्चे सामान और विशेष रसायनों पर इसकी अधिक निर्भरता को रेखांकित करता है।
- राजकोषीय और गैर-राजकोषीय हस्तक्षेपों की एक व्यापक श्रेणी को शामिल करने वाले लक्षित सुधारों के साथ भारत वर्ष 2040 तक 1 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर का रासायनिक क्षेत्र का व्यापार करने और 12 प्रतिशत जीवीसी भागीदारी प्राप्त करने में सक्षम होगा और वैश्विक रासायनिक उद्योग महाशक्ति बनेगा।
भारत के रासायनिक क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ :
- भारत का रासायनिक उद्योग क्षेत्र कई संरचनात्मक चुनौतियों का सामना कर रहा है जो इसकी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में बाधा उत्पन्न करती है।
- वर्ष 2023 में सीमित घरेलू पिछड़े एकीकरण ने 31 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार घाटे में बड़ा योगदान दिया।
- बुनियादी ढाँचे की कमी, पुराने औद्योगिक क्षेत्र और उच्च रसद लागत ने अन्य देशों की तुलना में लागत में बढ़ोत्तरी की है।
- इसके अतिरिक्त, अनुसंधान और विकास में वैश्विक औषत 2.3 प्रतिशत के मुकाबले में भारत में केवल 0.7 प्रतिशत का निवेश, उच्च मूल्य वाले रसायनों में स्वदेशी नवाचार पर रोक लगाता है।
- इसके अतिरिक्त, क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की 30 प्रतिशत कमी है।
प्रस्तावित नीतिगत हस्तक्षेप (Policy Interventions) और संभावित प्रभाव (Potential Impact) – 2030 तक :
प्रमुख नीतिगत हस्तक्षेप:
- विश्वस्तरीय केमिकल हब्स की स्थापना : भारत में विश्वस्तरीय रासायनिक हब्स स्थापित करना
- पोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास : रसायनों के भंडारण और हैंडलिंग के लिए बंदरगाह अवसंरचना का विकास
- आयात-निर्भर रसायनों के लिए शीर्ष निकाय : उच्च आयात निर्भरता, निर्यात क्षमता और अंतिम बाजार की महत्ता वाले रसायनों के लिए शीर्ष निकाय की स्थापना
- तकनीकी नवाचार और आत्मनिर्भरता : आत्मनिर्भरता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी विकास
- तेज पर्यावरणीय मंजूरी : पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया को तेज करना
- एफटीए (FTA) के माध्यम से समर्थन : उद्योग की वृद्धि के लिए मुक्त व्यापार समझौतों (Free Trade Agreements) को सुरक्षित करना
- प्रतिभा और कौशल उन्नयन : रासायनिक उद्योग में प्रतिभा और कौशल का उन्नयन।
- संभावित प्रभाव (Potential Impact) – 2030 तक
- 7 लाख (700,000) नई नौकरियां : 2030 तक अतिरिक्त रोजगार सृजन
- वैश्विक मूल्य श्रृंखला में 5-6% हिस्सेदारी: 2023 के 3-3.5% से बढ़कर 2030 में 5-6% हिस्सेदारी
- 35-40 अरब डॉलर (billion) अतिरिक्त निर्यात : 2023 की तुलना में
- 220-280 अरब डॉलर का रासायनिक उत्पादन : 2030 तक भारत में
- Net Zero (शून्य) व्यापार घाटा : 2030 तक रसायनों में व्यापार संतुलन
नीति आयोग (NITI Aayog) :
विषय | विवरण |
पूरा नाम | National Institution for Transforming India |
प्रकार | भारत सरकार का प्रमुख नीति थिंक टैंक |
स्थापना | 1 जनवरी 2015 (योजना आयोग का स्थान लिया) |
मुख्य उद्देश्य | सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना, समावेशी और न्यायसंगत आर्थिक विकास सुनिश्चित करना, केंद्र और राज्य सरकारों को रणनीतिक और तकनीकी सलाह प्रदान करना |
अध्यक्ष | भारत के प्रधानमंत्री |
उपाध्यक्ष | प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त |
क्षेत्रीय परिषद | विशिष्ट क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान हेतु मुख्यमंत्रियों व उपराज्यपालों की बैठक (प्रधानमंत्री या नामित व्यक्ति की अध्यक्षता) |
पदेन सदस्य | प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अधिकतम 4 सदस्य |
तदर्थ सदस्य | अग्रणी अनुसंधान संस्थानों से बारी-बारी से 2 सदस्य |
मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) | भारत सरकार का सचिव स्तर अधिकारी, प्रधानमंत्री द्वारा एक निश्चित कार्यकाल के लिए नियुक्त |
विशेष आमंत्रित | प्रधानमंत्री द्वारा नामित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ |
मुख्य कार्य |
मध्यम और दीर्घकालिक नीतियों और कार्यक्रमों को डिजाइन करना राज्यों के साथ मिलकर नीति समर्थन और पहल करना सामाजिक न्याय और समावेशिता को बढ़ावा देना सक्रिय मूल्यांकन और निगरानी करना |
प्रमुख पहलें | SDG इंडिया इंडेक्स (2018)
समग्र जल प्रबंधन सूचकांक (2019) अटल इनोवेशन मिशन - AIM (2016) आकांक्षी जिला कार्यक्रम (2018) |