21 September, 2025
RBI ने फ्लोटिंग-रेट लोन पर पूर्व-भुगतान या फोरक्लोजर शुल्क लगाने पर प्रतिबंध लगाया
Thu 03 Jul, 2025
संदर्भ :
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 3 जुलाई 2025 को बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे फ्लोटिंग-रेट (चर ब्याज दर) वाले लोन के हस्तांतरण या समय से पहले भुगतान पर लगने वाले जुर्माने को समाप्त करें।
मुख्य बिंदु:
- लागू ऋण प्रकार: यह नियम केवल फ्लोटिंग-रेट लोन (जैसे होम लोन, पर्सनल लोन, कार लोन) पर लागू होता है, जो गैर-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए व्यक्तियों द्वारा लिए गए हैं। व्यावसायिक ऋणों पर यह लागू नहीं होगा
- प्रभावी तिथि: 1 जनवरी 2026 से
- उद्देश्य: उधारकर्ताओं को वित्तीय लचीलापन प्रदान करना, पारदर्शिता बढ़ाना, और ऋणदाताओं द्वारा अनुचित शुल्क वसूली को रोकना
फ्लोटिंग-रेट (चर ब्याज दर) वाले लोन की प्रकृति:
- परिभाषा : फ्लोटिंग रेट लोन वह लोन होता है जिसकी ब्याज दर बाजार की स्थितियों के अनुसार समय-समय पर बदलती रहती है। यह एक निश्चित (फिक्स्ड) ब्याज दर से अलग होता है, जहां ब्याज दर लोन की पूरी अवधि में स्थिर रहती है।
फ्लोटिंग-रेट लोन के लाभ:
- कम प्रारंभिक दरें: फ्लोटिंग-रेट लोन की ब्याज दरें आमतौर पर फिक्स्ड-रेट लोन से कम होती हैं, जिससे प्रारंभिक EMI कम हो सकती है।
- ब्याज दरों में कमी का लाभ: यदि बाजार में ब्याज दरें कम होती हैं (जैसे हाल ही में RBI द्वारा रेपो रेट को 6.5% से 6.25% करने का निर्णय), तो उधारकर्ता को कम EMI या कम कुल ब्याज लागत का लाभ मिल सकता है।
- लचीलापन: उधारकर्ता ब्याज दरों में कमी की उम्मीद में इन लोन को चुनते हैं।
फ्लोटिंग-रेट लोन की चुनौतियाँ:
- ब्याज दरों में वृद्धि का जोखिम: यदि ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो EMI या लोन अवधि बढ़ सकती है, जिससे उधारकर्ता पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है।
- अनिश्चितता: ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के कारण मासिक भुगतान की राशि में अनिश्चितता रहती है, जिससे बजट बनाना मुश्किल हो सकता है।
समय से पहले भुगतान (Prepayment) और लोन हस्तांतरण (Loan Transfer) की प्रक्रिया :
- समय से पहले भुगतान : ऋणग्राही अपने लोन की शेष राशि को निर्धारित अवधि से पहले चुका सकता है। इससे ब्याज की कुल राशि कम हो जाती है क्योंकि ब्याज की गणना कम अवधि के लिए होती है।
- लोन हस्तांतरण : ऋणग्राही किसी बैंक या वित्तीय संस्था से लोन लेकर बाद में उसे दूसरे बैंक/संस्था को ट्रांसफर कर सकता है, आमतौर पर बेहतर ब्याज दर या सुविधाओं के लिए
RBI का नया निर्देश: जुर्माने को खत्म करने का कारण :
- उपभोक्ता हित संरक्षण : जुर्माने के कारण ऋणग्राही पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता था, जो उपभोक्ता हितों के खिलाफ था।
- वित्तीय समावेशन और पारदर्शिता : जुर्माने हटाने से लोन लेने वालों को बेहतर विकल्प चुनने की स्वतंत्रता मिलती है।
- बाजार प्रतिस्पर्धा बढ़ाना : बैंक और वित्तीय संस्थान बेहतर सेवा और ब्याज दरों के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे, जिससे ग्राहकों को लाभ होगा।
- आर्थिक लचीलापन : ऋणग्राही आर्थिक स्थिति के अनुसार लोन का पुनर्गठन या समय से पहले भुगतान कर सकेंगे।
तुलनात्मक विश्लेषण: फिक्स्ड बनाम फ्लोटिंग-रेट लोन :
यह निर्णय फ्लोटिंग-रेट लोन को और अधिक आकर्षक बनाता है, लेकिन उधारकर्ताओं को फिक्स्ड और फ्लोटिंग-रेट लोन के बीच चयन करने से पहले निम्नलिखित कारकों पर विचार करना चाहिए:
पहलू | फिक्स्ड-रेट लोन | फ्लोटिंग-रेट लोन |
ब्याज दर | स्थिर, लोन अवधि के दौरान नहीं बदलती | बाजार की स्थितियों के आधार पर बदलती रहती है |
EMI | निश्चित, बजट बनाना आसान | परिवर्तनशील, अनिश्चितता हो सकती है |
प्री-पेमेंट शुल्क | आमतौर पर लागू (1-5%) | 1 जनवरी 2026 से कोई शुल्क नहीं |
जोखिम | ब्याज दरों में कमी का लाभ नहीं मिलता | ब्याज दरों में वृद्धि का जोखिम |
लचीलापन | सीमित, प्री-पेमेंट पर प्रतिबंध | अधिक, अब बिना शुल्क के हस्तांतरण/फोरक्लोजर |
भारतीय रिजर्व बैंक :
स्थापना वर्ष | स्थापना : 1 अप्रैल, 1935 को RBI अधिनियम, 1934 के तहत |
राष्ट्रीयकरण | 1949 में |
प्रथम गवर्नर | सर ओसबोर्न स्मिथ (1935-1937) |
प्रथम भारतीय गवर्नर | सी.डी. देशमुख (1943-1949) |
मुख्यालय | मुंबई, महाराष्ट्र |
मुद्रा जारी | RBI अधिनियम की धारा 22 RBI को देश में मुद्रा जारी करने अधिकार प्रदान करती है |
मौद्रिक नीति समिति (MPC) | रेपो दर निर्धारित करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए 2016 में गठित |
रेपो दर | वह दर जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को उधार देता है |
नकद आरक्षित अनुपात (CRR) | बैंकों को RBI के पास जमाराशि का कितना प्रतिशत रखना होगा। |
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) | बैंकों को शुद्ध मांग और सावधि देयताओं का प्रतिशत तरल परिसंपत्तियों में रखना चाहिए। |