02 July, 2025
निपाह वायरस के त्वरित परीक्षण हेतु पोर्टेबल टेस्ट किट विकसित
Fri 27 Jun, 2025
संदर्भ :
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अंतर्गत पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) ने निपाह वायरस का त्वरित पता लगाने के लिए एक पोर्टेबल ‘पॉइंट-ऑफ-केयर’ टेस्ट किट विकसित की है।
तकनीकी विशेषताएँ:
- यह किट लूप-मेडिएटेड आइसोथर्मल एम्प्लिफिकेशन (LAMP) तकनीक पर आधारित है, जो वायरस के DNA/RNA की आइसोथर्मल एम्प्लीफिकेशन करती है, यानी तापमान को स्थिर रखते हुए आनुवंशिक सामग्री की पहचान करती है।
- इस तकनीक के कारण किट प्रयोगशाला के बाहर भी कुछ ही मिनटों में तेज, सटीक और विश्वसनीय परिणाम दे सकती है।
- किट को पेटेंट भी कराया गया है और इसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा।
महत्त्व और उपयोगिता:
त्वरित निदान:
- यह किट कुछ ही मिनटों में निपाह वायरस संक्रमण का पता लगा सकती है, जिससे समय रहते उपचार और आइसोलेशन संभव हो जाता है। त्वरित परिणाम महामारी की रोकथाम में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
सुलभता और पोर्टेबिलिटी:
- यह किट छोटी, हल्की और बैटरी से चलने वाली होती है, जिससे इसे दूरदराज़, ग्रामीण या संसाधन-विहीन क्षेत्रों में भी आसानी से ले जाया जा सकता है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ती है।
प्रारंभिक नियंत्रण:
- प्रारंभिक स्तर पर संक्रमण की पहचान होने से मरीज को तुरंत अलग किया जा सकता है, जिससे वायरस के फैलाव को रोका जा सकता है और समुदाय में संक्रमण की श्रृंखला टूटती है।
स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा:
- जल्द पहचान से स्वास्थ्यकर्मी उचित सुरक्षा उपाय अपना सकते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है।
महामारी प्रबंधन:
- बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग और त्वरित जांच से स्वास्थ्य विभाग को संक्रमण के हॉटस्पॉट्स की त्वरित पहचान और नियंत्रण में मदद मिलती है।
उपयोगिता :
फील्ड टेस्टिंग:
- यह किट अस्पतालों, क्वारंटाइन सेंटर, हवाई अड्डों, सीमावर्ती क्षेत्रों और भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर तुरंत जांच के लिए बेहद उपयोगी है।
मास स्क्रीनिंग:
- संभावित संपर्क वाले लोगों की बड़े पैमाने पर जांच की जा सकती है, जिससे समय पर रोकथाम के उपाय लागू किए जा सकते हैं।
कम लागत:
- लैब-आधारित परीक्षणों की तुलना में यह किट सस्ती होती है, जिससे कम संसाधनों वाले क्षेत्रों में भी जांच संभव है।
रोगी प्रबंधन:
- पॉजिटिव केस की त्वरित पहचान से इलाज, ट्रैकिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में तेजी आती है।
निपाह वायरस (Nipah Virus - NiV) :
- एक ज़ूनोटिक वायरस है (जानवरों से इंसानों में संचरित होता है)
- ह वायरस पहली बार मलेशिया के एक गांव 'निपाह' में 1998 में पहचाना गया था।
- भारत में पहला मामला 2001 में पश्चिम बंगाल और बाद में केरल में सामने आया।
- यह मुख्यतः फ्रूट बैट्स (फल खाने वाले चमगादड़) से फैलता है
- निपाह वायरस इंसेफेलाइटिस के लिये उत्तरदायी जीव पैरामाइक्सोविरिडे श्रेणी तथा हेनिपावायरस जीनस/वंश का एक RNA अथवा राइबोन्यूक्लिक एसिड वायरस है तथा हेंड्रा वायरस से निकटता से संबंधित है।
संक्रमण का स्रोत:
- संक्रमित चमगादड़ या सुअर
- संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले द्रव (saliva, urine, blood)
- संक्रमित फल या रस (जैसे खजूर का रस)
- लक्षण (Symptoms): तेज बुखार, सिरदर्द, चक्कर आना, भ्रम की स्थिति, सांस लेने में कठिनाई, दौरे (Seizures), कोमा में चले जाना
- 1998 से 2018 तक भारत, मलेशिया और बांग्लादेश में 700 से ज़्यादा मामले सामने आए।
- भारत में पहला मामला 2001 में पश्चिम बंगाल में दर्ज किया गया था, जहाँ मृत्यु दर 74 प्रतिशत थी।
- 2007 में इसी क्षेत्र में हुए प्रकोप में मृत्यु दर 100 प्रतिशत थी।
- भारत में निपाह का पहला मामला 2001 में पश्चिम बंगाल में सामने आया था।
- राज्य में 2007 में दूसरा प्रकोप देखा गया। तीसरा बड़ा प्रकोप 2018 में केरल में हुआ, जिसके परिणामस्वरूप 16 मौतें हुईं।