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सतत् विकास रिपोर्ट (SDR) 2025

Wed 25 Jun, 2025

संदर्भ :

  • संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क ने सतत विकास रिपोर्ट (SDR), 2025 जारी किया है, जिसके अनुसार भारत ने पहली बार शीर्ष 100 में स्थान हासिल किया है।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • 2025 की सतत विकास रिपोर्ट (SDR) में कुल 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों को शामिल किया गया है, और इन्हीं सभी देशों की 17 सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्रगति को मापा और रैंक किया गया है।
  • केवल 17% SDG लक्ष्यों पर 2030 तक समय पर उपलब्धि की संभावना है
  • 2025 संस्करण SDR का 10वां संस्करण है, जिसमें नए संकेतकों को शामिल किया गया है और यह बताया गया है कि 2015 से अब तक किन देशों ने सबसे अधिक प्रगति की है।
  • प्रमुख कारण: संघर्ष, संरचनात्मक कमजोरियां और सीमित वित्तीय संसाधन जैसे कारण प्रमुख हैं, जो SDGs के प्रभावी क्रियान्वयन में बाधा बन रहे हैं।

वैश्विक परिदृश्य :

  • शीर्ष देश: फिनलैंड (1), स्वीडन (2), डेनमार्क (3)। शीर्ष 20 में 19 देश यूरोप से हैं।
  • एशिया की प्रगति: पूर्वी और दक्षिण एशिया के देशों ने 2015 के बाद सबसे तेज प्रगति की है, जिसमें नेपाल, कंबोडिया, फिलीपींस, बांग्लादेश और मंगोलिया उल्लेखनीय हैं।
  • निचले पायदान पर: संघर्ष, अस्थिरता या सीमित संसाधनों वाले देश जैसे दक्षिण सूडान, यमन, सोमालिया, चाड सबसे नीचे हैं।

भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि :

  • रैंकिंग: भारत ने पहली बार 99वें स्थान पर पहुँचकर शीर्ष 100 देशों में जगह बनाई है
  • स्कोर: भारत को 66.95 (कुछ स्रोतों में 67) अंक मिले हैं
  • पिछली प्रगति: 2024 में भारत 109वें, 2023 में 112वें, 2022 में 121वें और 2021 में 120वें स्थान पर था

भारत के पड़ोसी देश :

  • चीन: 74.39 अंकों के साथ 49वां स्थान
  • मालदीव: 53वां स्थान
  • भूटान: 70.5 अंकों के साथ 74वां स्थान
  • नेपाल: 68.6 अंकों के साथ 85वां स्थान
  • श्रीलंका: 93वां स्थान
  • बांग्लादेश: 63.9 अंकों के साथ 114वां स्थान
  • पाकिस्तान: 57 अंकों के साथ 140वां स्थान

भारत की प्रगति के प्रमुख क्षेत्र :

भारत ने कई सतत विकास लक्ष्यों में उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है, जो इस प्रकार हैं:

  • SDG 1 (गरीबी उन्मूलन): नीति आयोग की राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023 के अनुसार, 2015-16 से 2019-22 के बीच भारत में बहुआयामी गरीबी 24.85% से घटकर 14.96% हो गई। इससे 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले, जिससे भारत SDG 1.2 (2030 तक गरीबी को आधा करने) के लक्ष्य को समय से पहले प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है।
  • SDG 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण): स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार हुआ है। आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने स्वास्थ्य बीमा कवरेज को बढ़ाया है, जिससे मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में कमी आई है।
  • SDG 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता): जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की पहुंच बढ़ी है। 2019 से अब तक लाखों घरों में नल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं।
  • SDG 7 (सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा): प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के माध्यम से स्वच्छ रसोई गैस (LPG) कनेक्शन प्रदान किए गए, जिससे ऊर्जा पहुंच और पर्यावरणीय स्थिरता में सुधार हुआ।
  • SDG 8 (उचित काम और आर्थिक विकास): भारत ने डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देकर रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में प्रगति की है।
  • SDG 11 (टिकाऊ शहर और समुदाय): प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4 करोड़ से अधिक घरों का निर्माण हुआ, जिससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आवास की स्थिति में सुधार हुआ।

भारत के समक्ष चुनौतियां :

रिपोर्ट में भारत के सामने कुछ प्रमुख चुनौतियों का भी उल्लेख किया गया है, जो SDG प्रगति में बाधक हैं:

  • SDG 2 (शून्य भूख): मोटापा और कुपोषण की दोहरी चुनौती बनी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण की दर अभी भी चिंताजनक है, और खाद्य अपशिष्ट को कम करने के लिए नीतियों में सुधार की आवश्यकता है।
  • SDG 13 (जलवायु कार्रवाई): जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं (बाढ़, सूखा, हीटवेव) ने भारत की प्रगति को प्रभावित किया है। विशेष रूप से आठ राज्यों (बिहार, तेलंगाना, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पंजाब, झारखंड) में SDG 13 के तहत स्कोर में गिरावट देखी गई है।
  • SDG 15 (भूमि पर जीवन): वनों की कटाई और जैव विविधता हानि एक प्रमुख चिंता है। समावेशी और पारदर्शी निगरानी प्रणालियों की आवश्यकता है।
  • SDG 16 (शांति, न्याय और मजबूत संस्थान): प्रेस स्वतंत्रता और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों में सुधार की आवश्यकता है।
  • वित्तीय बाधाएं: सीमित राजकोषीय स्थान और संरचनात्मक कमजोरियां SDG लक्ष्यों के लिए आवश्यक वित्तपोषण को सीमित करती हैं।

सतत विकास लक्ष्य (SDG):

  • सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals - SDG) संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 में निर्धारित 17 वैश्विक लक्ष्यों का एक समूह है, जिनका उद्देश्य 2030 तक सभी देशों के लिए एक बेहतर, न्यायसंगत और टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करना है। ये लक्ष्य गरीबी, भूख, स्वास्थ्य, शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वच्छ जल, स्वच्छ ऊर्जा, आर्थिक विकास, असमानता, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण आदि प्रमुख वैश्विक चुनौतियों के समाधान पर केंद्रित हैं।
  • आरंभ: 25 सितंबर 2015 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में 193 सदस्य देशों द्वारा अपनाए गए।
  • लक्ष्य: कुल 17 लक्ष्य और 169 उप-लक्ष्य (टार्गेट्स) निर्धारित किए गए हैं।
  • समयसीमा: 2016 से 2030 तक
  • कानूनी स्थिति: ये लक्ष्य कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन सभी देशों से अपेक्षा की जाती है कि वे इन्हें अपने राष्ट्रीय विकास एजेंडा में शामिल करें और प्रगति सुनिश्चित करें
  • मूल सिद्धांत: सार्वभौमिकता (सभी देशों पर लागू), एकीकरण (सभी लक्ष्य आपस में जुड़े हैं), किसी को पीछे न छोड़ना (कमजोर और हाशिए के समूहों को प्राथमिकता), बहु-हितधारक दृष्टिकोण (सरकार, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज की साझेदारी)

17 सतत विकास लक्ष्य (SDG) :

क्रमांक लक्ष्य (Goal)
1 गरीबी की समाप्ति
2 भूखमरी की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा एवं पोषण
3 सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण
4 गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
5 लैंगिक समानता
6 स्वच्छ जल और स्वच्छता
7 सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा
8 सतत आर्थिक वृद्धि और सम्मानजनक कार्य
9 उद्योग, नवाचार और आधारभूत संरचना
10 असमानता में कमी
11 सतत शहर और समुदाय
12 जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन
13 जलवायु परिवर्तन की रोकथाम
14 जल-जीवन (समुद्री संसाधनों का संरक्षण)
15 स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण
16 शांति, न्याय और सशक्त संस्थान
17

लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु वैश्विक साझेदारी

 

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