23 June, 2025
GK Update
Tue 24 Jun, 2025
संदर्भ :
- केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 24 जून 2025 को वाराणसी में मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक की अध्यक्षता की।
मुख्य बिन्दु :
- पहली बार वाराणसी में आयोजन: बैठक का आयोजन पहली बार राजधानी से बाहर वाराणसी में किया गया, जो क्षेत्रीय असमानता को कम करने की केंद्र सरकार की नीति को दर्शाता है।
- सहकारी संघवाद: बैठक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद" के दृष्टिकोण को मजबूत किया।
- अमित शाह की भूमिका: गृह मंत्री के रूप में शाह ने केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय को बढ़ावा दिया।
प्रमुख प्रतिभागी :
- मुख्यमंत्री: योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश), मोहन यादव (मध्य प्रदेश), पुष्कर सिंह धामी (उत्तराखंड), विष्णुदेव साय (छत्तीसगढ़)
- अन्य: राज्यों के मुख्य सचिव, वरिष्ठ मंत्री, नीति आयोग के प्रतिनिधि, और अंतर-राज्यीय परिषद सचिवालय के सदस्य।
चर्चा के प्रमुख मुद्दे :
क्षेत्रीय सहयोग:
- अंतर-राज्यीय विवादों (जल, सीमा, संपत्ति) का समाधान
- प्राकृतिक संसाधनों का समान उपयोग
सुरक्षा:
- सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क और संचार व्यवस्था
- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए त्वरित अदालतें
- 112 हेल्पलाइन का प्रचार
विकास:
- पोषण, स्वास्थ्य, और शिक्षा
- गांवों में बैंकिंग सुविधाएं
- वाइब्रेंट विलेज योजना और भारत नेट का विस्तार
पर्यावरण और पर्यटन:
- पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन विकास।
सहकारिता:
- सहकारी प्रणाली और प्रशासनिक समन्वय
GI उत्पाद:
- क्षेत्रीय उत्पादों का प्रचार
परिणाम :
- संघीय एकता: योगी आदित्यनाथ ने इसे "टीम इंडिया" दृष्टिकोण का हिस्सा बताया
- विकास का रोडमैप: सुरक्षा, विकास, और समन्वय के लिए रणनीति
- विवाद समाधान: अंतर-राज्यीय मुद्दों पर बातचीत का मंच
- क्षेत्रीय समावेशिता: वाराणसी में आयोजन से क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा
क्षेत्रीय परिषदें :
- गठित: राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 15 से 22 के अंतर्गत
- अध्यक्ष: केंद्रीय गृह मंत्री
- उपाध्यक्ष: सदस्य राज्यों में से एक मुख्यमंत्री (प्रत्येक वर्ष बदलते हैं)
- सदस्य: संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल/प्रशासक
कुल क्षेत्रीय परिषदें: 5
भारत में क्षेत्रीय परिषदें:
क्षेत्रीय परिषद | मुख्यालय | सदस्यों |
उत्तरी क्षेत्रीय परिषद | नई दिल्ली | हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख |
मध्य क्षेत्रीय परिषद | इलाहाबाद | उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश |
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद | कोलकाता | बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा |
पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद | मुंबई | गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव |
दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद | चेन्नई | आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी |
नोट: पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक अलग निकाय, पूर्वोत्तर परिषद (North Eastern Council), 1971 में स्थापित किया गया, जो असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, और सिक्किम को कवर करता है।
प्रासंगिक तथ्य:
- ये परिषदें संवैधानिक नहीं बल्कि वैधानिक निकाय (Statutory Bodies) हैं
- इनके निर्णय सलाहात्मक (advisory) होते हैं, बाध्यकारी नहीं
- ये परिषदें विकेंद्रीकरण, संघवाद और सहयोगात्मक संघवाद (Cooperative Federalism) की भावना को मजबूत करती हैं