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ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2025

Fri 13 Jun, 2025

संदर्भ :

  • विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा जारी ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2025 के अनुसार, भारत 148 देशों में से 131वें स्थान पर है, जो 2024 के 129वें स्थान से दो पायदान नीचे है। भारत का समग्र लैंगिक समानता स्कोर 64.1% है, जबकि 2024 में यह 64.4% था।

मुख्‍य बिन्‍दु :

प्रकाशन: विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा 2006 से प्रतिवर्ष प्रकाशित।

उद्देश्य: लैंगिक समानता में देशों की प्रगति को मापना, जिसमें चार प्रमुख आयाम शामिल हैं:

  1. आर्थिक भागीदारी और अवसर (Economic Participation and Opportunity)
  2. शैक्षिक प्राप्ति (Educational Attainment)
  3. स्वास्थ्य और जीवन रक्षा (Health and Survival)
  4. राजनीतिक सशक्तीकरण (Political Empowerment)

स्कोरिंग: 0 (पूर्ण असमानता) से 1 (पूर्ण समानता) के बीच स्कोर। वैश्विक स्तर पर 2025 में लैंगिक अंतर 68.8% बंद हुआ है।

लैंगिक अंतर की स्थिति:

  • 2025 में वैश्विक स्तर पर लैंगिक समानता 68.8% तक पहुँची।
  • यह कोविड-19 महामारी के बाद की सबसे तेज प्रगति मानी गई है।
  • मौजूदा गति से पूरी समानता पाने में अभी भी 123 वर्ष लगेंगे।

शीर्ष 5 देश:

रैंक देश समानता (%)
1 आइसलैंड ~93%
2 फिनलैंड ~88%
3 नॉर्वे ~87%
4 यूनाइटेड किंगडम ~86%
5 न्यूज़ीलैंड ~85%

 

भारत का प्रदर्शन:

सूचकांक स्कोर / रैंक प्रगति/गिरावट
कुल रैंक 131/148 2024 में 129 से गिरावट
कुल स्कोर 64.1% हल्की वृद्धि
आर्थिक भागीदारी 40.7% सुधार, खासकर आय समानता (28.6% → 29.9%)
शैक्षणिक उपलब्धि 97.1% उच्च स्तर की समानता
स्वास्थ्य और उत्तरजीविता मध्यम स्तर लिंगानुपात और जीवन प्रत्याशा में कुछ सुधार
राजनीतिक सशक्तिकरण गिरावट महिलाओं का संसद प्रतिनिधित्व 14.7% → 13.8%, मंत्री पद 6.5% → 5.6%

 

 

 

 

 

 

 

दक्षिण एशिया में भारत की तुलना:

देश रैंक (2025) स्थिति
बांग्लादेश 24वाँ दक्षिण एशिया में शीर्ष
भूटान 119वाँ भारत से बेहतर
नेपाल 125वाँ भारत से बेहतर
श्रीलंका 130वाँ भारत से बेहतर
भारत 131वाँ  
पाकिस्तान 148वाँ सबसे नीचे

 

 

 

 

 

 

 

भारत की प्रगति के क्षेत्र:

1. नीति और विधायी सुधार:

  • नारी शक्ति वंदन अधिनियम (2023): संसद और विधानसभा में महिलाओं के लिए आरक्षण।
  • लैंगिक-संवेदनशील शासन को बढ़ावा देने की नीतियाँ।

2. शिक्षा व कौशल विकास:

  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, विज्ञान ज्योति जैसी योजनाओं से STEM शिक्षा में लड़कियों की भागीदारी बढ़ी।
  • महिला GER (Gross Enrollment Ratio) 2017-18 में 42.5% → 2022-23 में 46.3%।

3. आर्थिक भागीदारी:

  • महिला श्रम भागीदारी दर 23.3% (2017-18) → 41.7% (2023-24)।
  • स्टैंड-अप इंडिया, महिला ई-हाट जैसी योजनाओं से महिला उद्यमिता को बढ़ावा।

4. वित्तीय समावेशन:

  • 28 करोड़+ महिला जनधन खाताधारी।
  • PMJDY, मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया के तहत महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता।

5. स्वास्थ्य व प्रजनन अधिकार:

  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, NHM से मातृ देखभाल में सुधार।
  • MMR (मातृ मृत्यु दर): 174 (2013-15) → 97 (2018-20)

 

भारत में प्रमुख चुनौतियाँ:

1. महिला श्रमबल भागीदारी में असमानता:

  • PLFS 2023-24: 41.7%, परंतु ज्यादातर महिलाएँ असंगठित क्षेत्र में।
  • कार्यस्थलों पर सुरक्षा, बाल देखभाल सेवाओं का अभाव।

2. शिक्षा में असमानता और ड्रॉपआउट:

  • महिला साक्षरता: ~65% बनाम पुरुषों की ~82%।
  • 15-18 वर्ष की ~40% लड़कियाँ स्कूल नहीं जातीं।
  • Menstrual hygiene से जुड़ी सुविधाओं का अभाव।

3. आर्थिक मूल्यांकन और वेतन भेदभाव:

  • महिलाएँ प्रतिदिन 289 मिनट अवैतनिक घरेलू कार्य करती हैं।
  • तकनीकी क्षेत्रों में उन्हें पुरुषों की तुलना में केवल 60% वेतन मिलता है।
  • ₹22.7 लाख करोड़ (GDP का 7.5%) के अवैतनिक कार्य का कोई औपचारिक मूल्य नहीं।

4. नीतियों में क्रियान्वयन की कमी:

  • योजनाओं की अंतिम छोर तक पहुँच में बाधा।
  • जागरूकता, लैंगिक रूप से संवेदनशील निगरानी, और प्रभावी वितरण प्रणाली का अभाव।

5. कॉर्पोरेट क्षेत्र में महिला नेतृत्व की कमी:

  • केवल 17% प्रमुख पदों और 20% बोर्ड पदों पर महिलाएँ आसीन।

 

भारत में लैंगिक असमानता को कम करने हेतु सरकार की प्रमुख पहले/योजनांए :

  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (BBBP): 2015 में शुरू, यह योजना बालिका शिक्षा, जागरूकता, और लिंगानुपात सुधार पर केंद्रित है, विशेष रूप से कम लिंगानुपात वाले जिलों में।
  • महिला शक्ति केंद्र (MSK): 2017 में लॉन्च, यह ग्रामीण स्तर पर महिलाओं को सरकारी योजनाओं और कौशल विकास तक पहुँच प्रदान करता है।
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY): 2016 में शुरू, गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त LPG कनेक्शन प्रदान कर स्वास्थ्य और समय की बचत करता है।
  • सुकन्या समृद्धि योजना: 2015 में लॉन्च, बालिकाओं की शिक्षा और विवाह के लिए वित्तीय बचत को प्रोत्साहित करती है।
  • महिला ई-हाट: 2016 में शुरू, यह ऑनलाइन मंच महिला उद्यमियों को अपने उत्पाद बेचने के लिए सशक्त बनाता है।
  • राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण नीति (2001, संशोधित): महिलाओं की समग्र उन्नति, शिक्षा, और आर्थिक सशक्तीकरण के लिए नीतिगत ढांचा प्रदान करती है।
  • महिला नेतृत्व विकास कार्यक्रम: NIRD&PR द्वारा संचालित, यह महिलाओं को नेतृत्व और राजनीतिक भागीदारी के लिए कौशल विकास प्रदान करता है।
  • मातृत्व लाभ कार्यक्रम (PMMVY): 2017 में शुरू, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • वन स्टॉप सेंटर (सखी): 2015 में लॉन्च, हिंसा प्रभावित महिलाओं को कानूनी, चिकित्सा, और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करता है।
  • महिला हेल्पलाइन (181): महिलाओं के लिए 24/7 आपातकालीन सहायता, हिंसा और उत्पीड़न से सुरक्षा के लिए।
  • नारी शक्ति पुरस्कार: महिलाओं की उत्कृष्ट उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए वार्षिक पुरस्कार।
  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM): स्वयं सहायता समूहों (SHG) के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं के लिए रोज़गार और स्वरोजगार को बढ़ावा।
  • सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (SUMAN): 2019 में शुरू, मातृ और नवजात स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएँ।
  • नमो ड्रोन दीदी योजना: 2023 में शुरू, ग्रामीण महिलाओं को ड्रोन प्रशिक्षण और सब्सिडी प्रदान कर कृषि और तकनीकी सशक्तीकरण को बढ़ावा देती है।
  • जेंडर बजटिंग: 2005-06 से लागू, सरकारी बजट में महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता के लिए विशेष धन आवंटन।

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum - WEF):

  • स्थापना : 1971
  • संस्थापक : प्रो. क्लाउस श्वाब (Klaus Schwab)
  • मुख्यालय : कोलोन, जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड
  • प्रकृति : स्वतंत्र, गैर-सरकारी एवं गैर-लाभकारी संगठन
  • उद्देश्य : विश्व के हालात को सुधारना (Improving the state of the world)
  • मुख्य कार्य : वैश्विक, क्षेत्रीय और औद्योगिक मुद्दों पर नीति संवाद को बढ़ावा देना
  • मुख्य मंच : दावोस शिखर सम्मेलन (हर वर्ष जनवरी में दावोस, स्विट्ज़रलैंड में)

प्रमुख रिपोर्टें:

  • Global Gender Gap Report : लैंगिक समानता पर रिपोर्ट
  • Global Competitiveness Report : वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक
  • Global Risks Report : वैश्विक जोखिमों का मूल्यांकन
  • Future of Jobs Report : भविष्य की नौकरियों व कौशलों की भविष्यवाणी
  • Energy Transition Index : ऊर्जा बदलाव व स्थिरता का आकलन

अन्य तथ्य:

  • पहले नाम : European Management Forum (1971–1987)
  • नाम परिवर्तन : 1987 में 'World Economic Forum' नाम अपनाया
  • निर्णय शक्ति नहीं, परंतु वैश्विक नीति निर्माण को प्रभावित करता है

 

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