01 June, 2025
विकसित कृषि संकल्प अभियान
Wed 11 Jun, 2025
संदर्भ :
- केंद्रिय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 29 मई से 12 जून 2025 तक 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' का आयोजन किया गया।
मुख्य बिन्दु :
- यह अभियान भारतीय कृषि के आधुनिकीकरण, वैज्ञानिक प्रसार, स्थायी कृषि प्रथाओं और किसान सशक्तीकरण के उद्देश्य से देशभर में चलाया गया।
- अवधि और आवृत्ति: यह अभियान वर्ष में दो बार (खरीफ और रबी फसलों की बुवाई से पहले) आयोजित किया जाता है, ताकि समयबद्ध तरीके से किसानों को मार्गदर्शन मिल सके।
कवरेज:
- 723 से अधिक जिलों में 65,000 गाँवों को शामिल किया गया।
- 1.3 से 1.5 करोड़ किसानों तक पहुँचने का लक्ष्य।
- 2,170 टीमें गठित की गईं, जिनमें 16,000 से अधिक वैज्ञानिक, 731 कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), 113 ICAR संस्थान, और कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन विभागों के अधिकारी शामिल हैं।
- विशेष ध्यान: आदिवासी बहुल क्षेत्र, सीमावर्ती गाँव, और चुनौतीपूर्ण कृषि-पारिस्थितिकी वाले क्षेत्र।
उद्देश्य
- वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा: किसानों को उन्नत बीज, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, संतुलित उर्वरकों, और आधुनिक कृषि यंत्रों (जैसे ड्रोन) के उपयोग की जानकारी देना।
- जागरूकता और सशक्तीकरण: सरकारी योजनाओं (जैसे PM Kisan Samman Nidhi, PM Fasal Bima Yojana) और नीतियों के बारे में जागरूक करना।
- उत्पादकता और आय वृद्धि: लागत कम करके और उपज बढ़ाकर खेती को लाभकारी बनाना।
- स्थायी कृषि: प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण, और जलवायु-सहिष्णु तकनीकों को बढ़ावा देना।
- दोतरफा संवाद: वैज्ञानिकों और किसानों के बीच संवाद स्थापित करना, ताकि किसानों की चुनौतियों का डेटा एकत्र हो और उनके नवाचारों का दस्तावेजीकरण हो।
- परंपरागत ज्ञान का संरक्षण: किसानों के पारंपरिक ज्ञान को दस्तावेजीकृत कर भविष्य के अनुसंधान को व्यावहारिक बनाना।
प्रमुख विशेषताएँ
- लैब टू लैंड दृष्टिकोण: वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रयोगशालाओं से खेतों तक ले जाना।
- क्षेत्रीय स्तर पर मार्गदर्शन: मृदा, जलवायु, और स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर फसल चयन और प्रबंधन की सलाह।
प्रशिक्षण और जागरूकता शिविर:
- खरीफ फसलों (जैसे धान, सोयाबीन, मक्का) के लिए बीज उपचार, कतार बोनी, और कीट प्रबंधन की जानकारी।
- पशुपालन, मत्स्य पालन, और बागवानी पर प्रशिक्षण।
- उदाहरण: अंडमान और निकोबार में 42 जागरूकता शिविरों में 3,239 किसानों ने भाग लिया।
- पर्यावरणीय पहल: 'एक पेड़ माँ के नाम' अभियान के तहत वृक्षारोपण को प्रोत्साहन।
- डिजिटल और ICT का उपयोग: सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के माध्यम से जानकारी प्रसार, जैसे बिहार कृषि विश्वविद्यालय के यूट्यूब चैनल और सामुदायिक रेडियो।
कार्यान्वयन :
- प्रमुख एजेंसी: कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) मुख्य कार्यान्वयन एजेंसी है, जो ICAR, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, और अन्य विभागों के साथ समन्वय करता है।
क्षेत्रीय उदाहरण:
- उत्तराखंड: 95 विकास खंडों, 670 न्याय पंचायतों, और 11,440 गाँवों में अभियान। ब्याज-मुक्त ऋण (3 लाख तक) और 80% सब्सिडी पर कृषि मशीनरी।
- बिहार: कटिहार में 72 गाँवों में 8,293 किसानों को प्रशिक्षित किया गया।
- उत्तर प्रदेश: महराजगंज में ट्रैक्टर और उन्नत बीज वितरित।
- सुकमा (छत्तीसगढ़): आदिवासी क्षेत्रों में मृदा परीक्षण और कृषि ड्रोन पर जोर।
- पिथौरागढ़: मोटे अनाज और प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण।
- वैज्ञानिक भागीदारी: वैज्ञानिक गाँव-गाँव जाकर किसानों से मिलते हैं, जैसे इंदौर में सोयाबीन और मक्का पर प्रशिक्षण।
- नवाचार दस्तावेजीकरण: किसानों के फीडबैक और नवाचारों को एकत्र कर अनुसंधान को दिशा देना।
प्रभाव और उपलब्धियाँ :
किसानों तक पहुँच:
- बांका (बिहार) में 9 पंचायतों के 900+ किसानों ने भाग लिया।
- कटिहार में 14,893 कृषि साहित्य वितरित।
आर्थिक सहायता:
- PM Kisan Samman Nidhi के तहत 6,000 रुपये वार्षिक सहायता।
- गेहूं का MSP 2,425 रुपये और मसूर का 6,700 रुपये प्रति क्विंटल।
- स्थानीय नवाचार: उत्तराखंड में जैविक चाय बागान और सुगंध घाटियों का विकास।
- सामाजिक समावेशन: महिला किसानों और आदिवासी समुदायों को विशेष रूप से शामिल किया गया।
- अप्रत्याशित सफलता: केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने X पर उल्लेख किया कि अभियान को देशभर में अप्रत्याशित सफलता मिली।
चुनौतियाँ :
- जागरूकता की कमी: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं की जानकारी का अभाव।
- बुनियादी ढाँचा: कुछ क्षेत्रों में सिंचाई, बिजली, और बाजार तक पहुँच सीमित।
- जलवायु परिवर्तन: अनियमित मानसून और जलवायु परिवर्तन से फसलों को खतरा।
- डिजिटल डिवाइड: ICT और डिजिटल संसाधनों तक पहुँच में असमानता।
- वित्तीय बाधाएँ: छोटे और सीमांत किसानों के लिए उन्नत तकनीकों को अपनाने की लागत।