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प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के नौ वर्ष पूर्ण

Tue 10 Jun, 2025

संदर्भ :

  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है, इसने जून 2025 को 9 वर्ष किए।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • यह अभियान प्रत्‍येक माह की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं को निशुल्क और सुनिश्चित प्रसवपूर्व देखभाल प्रदान करने के लिए चलाया जाता है। इसलिए, 9 जून 2016 को इस अभियान का प्रथम दिन माना जाता है।
  • कार्यक्रम में निजी क्षेत्र के साथ सहभागिता के लिए एक व्यवस्थित नज़रिया अपनाया गया है, जिसमें अभियान के लिए निजी चिकित्सकों को स्वेच्छा से प्रेरित करना, जागरूकता फैलाने के लिए रणनीति विकसित करने में मदद करना तथा सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में विभिन्न अभियानों में भाग लेना शामिल है।
घटक वास्तविक संख्या( वर्तमान में)
पंजीकृत स्वयंसेवक 6,813
PMSMA सेवाएं प्रदान करने वाली सुविधाओं की संख्या 20,752

 

 

 

अभियान के प्रमुख उद्देश्य और विशेषताएं :

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: PMSMA के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसवपूर्व जाँच, परीक्षण, दवाइयां और परामर्श निःशुल्क उपलब्ध कराए जाते हैं।
  • उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की पहचान: अभियान में गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच के माध्यम से उच्च जोखिम वाली गर्भावस्थाओं (High-Risk Pregnancies) की पहचान कर उन्हें विशेष देखभाल और ट्रैकिंग सुनिश्चित की जाती है। 2025 तक 5.5 लाख से अधिक महिलाओं को उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था के रूप में चिन्हित किया गया और उन्हें विशेषज्ञों के पास रेफर किया गया है।
  • मातृ और नवजात मृत्यु दर में कमी: इस योजना के कारण भारत में मातृ मृत्यु दर (MMR) 2014-16 के 130 प्रति लाख जीवित जन्म से घटकर 2021-23 में 80 तक आ गई है, जो एक उल्लेखनीय सुधार है। नवजात मृत्यु दर में भी कमी आई है, जिससे मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।
  • विशेषज्ञों की भागीदारी: प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ (OBGY), रेडियोलॉजिस्ट, फिजिशियन और निजी डॉक्टरों सहित विभिन्न स्वास्थ्य सेवा प्रदाता इस योजना के तहत सेवाएं प्रदान करते हैं।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साथ समन्वय: PMSMA, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य + पोषण (RMNCAH+N) रणनीति के साथ जुड़ा हुआ है, जिससे मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं का समग्र विकास होता है।
  • आर्थिक प्रोत्साहन और सेवा विस्तार: 2022 में अभियान का विस्तारित संस्करण शुरू किया गया, जिसमें आर्थिक प्रोत्साहन के माध्यम से सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने पर जोर दिया गया है, खासकर उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं के लिए।

PMSMA के उद्देश्य :

  • PMSMA , राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य प्लस पोषण (RMNCAH+N) रणनीति के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप है।

मुख्य उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक गर्भवती महिला की दूसरी या तीसरी तिमाही के दौरान चिकित्सक/विशेषज्ञ द्वारा कम से कम एक बार जांच हो।
  • प्रसवपूर्व जांच के दौरान देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करना।
  • शुरूआती दौर में ही उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था (HRP) की पहचान करना और उसका प्रबंधन करना।
  • हर गर्भवती महिला के लिए उचित जन्म योजना और किसी भी जटिल स्थिति के लिए तैयारी सुनिश्चित करना।
  • कुपोषण से ग्रस्त महिलाओं का उचित प्रबंधन सुनिश्चित करना।
  • किशोरावस्था और प्रारंभिक गर्भावस्था पर विशेष ध्यान देना।

अभियान की उपलब्धियां :

  • अब तक 6.19 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं की जांच की जा चुकी है, जिसमें 25 लाख से अधिक जांच उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में की गई हैं।
  • 84 लाख से अधिक हीमोग्लोबिन जांच, 55 लाख HIV जांच, 41 लाख मधुमेह जांच, 33 लाख सिफिलिस जांच और 15 लाख से अधिक अल्ट्रासाउंड किए गए हैं, जो गर्भवती महिलाओं की व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करते हैं।
  • अभियान ने दूरदराज के क्षेत्रों में भी गर्भवती महिलाओं तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाने में सफलता हासिल की है।
  • मातृ स्वास्थ्य सुधार के लिए अन्य योजनाओं जैसे जननी सुरक्षा योजना (JSY), जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK), सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (SUMAN), प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) के साथ समन्वय से व्यापक प्रभाव पड़ा है।

 

विस्तारित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (E-PMSMA) :

  • विस्तारित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (E-PMSMA) भारत सरकार की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2022 में शुरू की गई पहल है, जो प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) का उन्नत संस्करण है। इसका मुख्य उद्देश्य उच्च जोखिम वाली गर्भवती (High Risk Pregnant - HRP) महिलाओं की सुरक्षित डिलीवरी सुनिश्चित करना है।

E-PMSMA की प्रमुख विशेषताएँ :

उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान:

  • E-PMSMA के तहत गर्भवती महिलाओं की नाम-आधारित लाइन लिस्टिंग की जाती है, जिससे उच्च जोखिम वाली महिलाओं की पहचान की जाती है। 31 दिसंबर 2024 तक 78.27 लाख से अधिक HRP महिलाओं की पहचान की जा चुकी है।

अतिरिक्त प्रसवपूर्व देखभाल सत्र:

  • जहां PMSMA के तहत हर माह की 9 तारीख को एक निर्धारित दिन प्रसवपूर्व देखभाल होती है, वहीं E-PMSMA में प्रति माह अधिकतम 4 अतिरिक्त PMSMA सत्र आयोजित किए जा सकते हैं, ताकि HRP महिलाओं को और अधिक निगरानी और देखभाल मिल सके।

व्यक्तिगत ट्रैकिंग और फॉलो-अप:

  • HRP महिलाओं की व्यक्तिगत ट्रैकिंग प्रसव के बाद 45 दिनों तक की जाती है, ताकि सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित हो सके और प्रसवोपरांत जटिलताओं को रोका जा सके।

डिजिटल और संचार प्रणाली:

  • लाभार्थी गर्भवती महिलाओं और आशा कार्यकर्ताओं (ASHA) को पंजीकरण, अनुवर्ती दौरे और आवश्यक सूचनाओं के लिए SMS अलर्ट भेजे जाते हैं, जिससे देखभाल में निरंतरता और जवाबदेही बनी रहती है।

वित्तीय प्रोत्साहन:

  • HRP महिलाओं और उनके साथ काम करने वाले आशा कार्यकर्ताओं को सुरक्षित प्रसव तक पहुंचाने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन भी प्रदान किया जाता है, जिससे उनकी भागीदारी और जागरूकता बढ़ती है।

 

PMSMA और E-PMSMA का महत्व

मातृ मृत्यु दर में कमी:

  • PMSMA के तहत भारत में मातृ मृत्यु दर (MMR) 2014-16 में प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 130 से घटकर 2021-23 में 80 हो गई है, जो 50 अंकों की उल्लेखनीय कमी दर्शाती है। E-PMSMA इस सुधार को और तेज करने में सहायक है।

गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल:

  • PMSMA के तहत गर्भवती महिलाओं को निःशुल्क प्रसवपूर्व जाँच, अल्ट्रासाउंड, दवाइयाँ (जैसे आयरन, फोलिक एसिड), और परामर्श उपलब्ध कराए जाते हैं। E-PMSMA के अतिरिक्त सत्रों से यह सेवाएँ और अधिक व्यापक और प्रभावी बनती हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों के साथ समन्वय:

  • PMSMA और E-PMSMA, जननी सुरक्षा योजना (JSY), जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK), प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) जैसे अन्य सरकारी योजनाओं के साथ समन्वित रूप से काम करते हैं, जिससे मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में समग्र सुधार होता है।

समग्र प्रभाव :

  • E-PMSMA ने मातृ स्वास्थ्य देखभाल में एक सक्रिय और लक्षित दृष्टिकोण अपनाया है, जो उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान देता है। डिजिटल ट्रैकिंग, अतिरिक्त देखभाल सत्र और वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से यह योजना सुरक्षित मातृत्व और नवजात स्वास्थ्य परिणामों में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों के साथ एकीकरण :

PMSMA, सरकार के अन्य मौजूदा कार्यक्रमों के लिए भी पूरक की तरह काम करता है जैसे:

  • जननी सुरक्षा योजना (JSY): सशर्त नकद हस्तांतरण के ज़रिए संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई। इस योजना से मार्च 2025 तक 11.07 करोड़ से अधिक महिलाओं को लाभ हुआ है।
  • जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके): निशुल्क संस्थागत प्रसव और नवजात शिशु देखभाल को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया। 2014-15 से अब तक 16.60 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को सेवा दी गई है।
  • लक्ष्य: प्रसव कक्षों में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए पहल
  • सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन): गर्भवती महिलाओं के लिए सम्मानजनक और गुणवत्तापूर्ण देखभाल को मजबूत करने के लिए शुरू किया गया। मार्च 2025 तक देश भर में 90,015 सुमन स्वास्थ्य सुविधाओं को अधिसूचित किया गया है।
  • पोषण अभियान: पोषण सेवाओं में सुधार करके सबसे कमजोर वर्गों - बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को लक्षित करने के लिए शुरू किया गया। वर्तमान में, देश भर में 6.97 करोड़ पोषण पखवाड़ा मनाए जा रहे हैं।
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY): संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और मातृ स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई यह योजना, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 5,000 रुपये का प्रत्यक्ष नकद लाभ प्रदान करती है।

 

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