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विश्व बैंक गरीबी और समानता रिपोर्ट 2025

Sat 07 Jun, 2025

संदर्भ :

  • विश्व बैंक द्वारा जारी नवीनतम अनुमानों के अनुसार, भारत में अत्यंत गरीबों की संख्या 11 वर्षों में 344 मिलियन से घटकर 75 मिलियन हो गई है।

1. अत्यधिक गरीबी में कमी: आंकड़े और रुझान

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2011-12 से 2022-23 के बीच अत्यधिक गरीबी में उल्लेखनीय कमी हासिल की है। प्रमुख आंकड़े इस प्रकार हैं:

  • अत्यधिक गरीबी दर:
    • 2011-12 में: 27.1% (3.00 डॉलर प्रतिदिन, 2021 की कीमतों पर)
    • 2022-23 में: 5.3%
    • परिणाम: 269 मिलियन (26.9 करोड़) लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए।
  • पुराने मानक (2.15 डॉलर प्रतिदिन, 2017 की कीमतों पर):
    • 2011-12 में: 16.2% (205.93 मिलियन लोग)
    • 2022 में: 2.3% (33.66 मिलियन लोग)
  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कमी:
    • ग्रामीण: 18.4% से 2.8%
    • शहरी: 10.7% से 1.1%
  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI):
    • 2005-06 में: 53.8%
    • 2019-21 में: 16.4%
    • 2022-23 में: 15.5%

विश्लेषण:

  • भारत ने न केवल आय-आधारित गरीबी (3.00 डॉलर और 2.15 डॉलर प्रतिदिन) में कमी की, बल्कि बहुआयामी गरीबी (स्वास्थ्य, शिक्षा, और जीवन स्तर जैसे कारकों को शामिल करते हुए) में भी प्रगति की। यह संतुलित विकास का संकेत है।
  • ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में गरीबी में कमी दर्शाती है कि नीतिगत हस्तक्षेपों का प्रभाव व्यापक रहा है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां गरीबी की दर में 15.6% की गिरावट आई।

2. प्रमुख राज्यों की भूमिका

  • उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, और मध्य प्रदेश ने गरीबी उन्मूलन में दो-तिहाई योगदान दिया। ये राज्य 2011-12 में देश के 65% अत्यधिक गरीब आबादी का घर थे।

विश्लेषण:

  • उत्तर प्रदेश और बिहार: ये राज्य ऐतिहासिक रूप से उच्च गरीबी दर और कम मानव विकास सूचकांकों के लिए जाने जाते हैं। इन राज्यों में गरीबी में कमी संभवतः ग्रामीण विकास, डीबीटी, और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन का परिणाम है।
  • महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल: इन राज्यों में शहरीकरण और औद्योगिक विकास ने शहरी गरीबी को कम करने में मदद की, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और बुनियादी ढांचे में निवेश प्रभावी रहा।
  • मध्य प्रदेश: यहाँ ग्रामीण विकास और सामाजिक योजनाओं ने विशेष रूप से आदिवासी और सीमांत समुदायों को लाभ पहुँचाया।

3. सरकार की योजनाओं का योगदान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को सरकार की योजनाओं और नीतियों का परिणाम बताया। प्रमुख योजनाएँ और उनके प्रभाव इस प्रकार हैं:

3.1. पीएम आवास योजना (PMAY)

  • उद्देश्य: सभी आवासहीन और कच्चे घरों में रहने वाले परिवारों को पक्का घर प्रदान करना।
  • प्रभाव: ग्रामीण क्षेत्रों में ₹1,20,000 और पहाड़ी/कठिन क्षेत्रों में ₹1,30,000 की वित्तीय सहायता ने लाखों परिवारों को स्थायी आवास प्रदान किया। स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण के लिए ₹12,000 की अतिरिक्त सहायता ने जीवन स्तर में सुधार किया।

3.2. पीएम उज्ज्वला योजना

  • उद्देश्य: गरीब परिवारों को स्वच्छ रसोई गैस कनेक्शन प्रदान करना।
  • प्रभाव: इससे विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ, क्योंकि पारंपरिक ईंधन (जैसे लकड़ी) से होने वाले स्वास्थ्य जोखिम कम हुए।

3.3. जन धन योजना

  • उद्देश्य: वित्तीय समावेशन के माध्यम से बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच प्रदान करना।
  • प्रभाव: करोड़ों लोगों को बैंक खातों से जोड़ा गया, जिससे डीबीटी के माध्यम से सब्सिडी और वित्तीय सहायता सीधे लाभार्थियों तक पहुँची।

3.4. आयुष्मान भारत

  • उद्देश्य: गरीबों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना।
  • प्रभाव: स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से लाखों लोगों को गंभीर बीमारियों के इलाज में सहायता मिली, जिसने आर्थिक संकट को कम किया और गरीबी में वापसी (relapse into poverty) को रोका।

3.5. प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) और डिजिटल सेवाएँ

  • उद्देश्य: सरकारी योजनाओं का लाभ पारदर्शी और त्वरित तरीके से पहुँचाना।
  • प्रभाव: डीबीटी ने भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका को कम किया। डिजिटल सेवाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय और प्रशासनिक सेवाओं तक पहुँच बढ़ाई।

3.6. ग्रामीण विकास

  • उद्देश्य: ग्रामीण बुनियादी ढांचे और आजीविका के अवसरों में सुधार।
  • प्रभाव: ग्रामीण सड़कों, स्वच्छ पेयजल, और बिजली जैसी सुविधाओं ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति दी और रोजगार के अवसर बढ़ाए।

विश्लेषण:

  • इन योजनाओं ने न केवल बुनियादी सुविधाएँ प्रदान कीं, बल्कि गरीबों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया। उदाहरण के लिए, उज्ज्वला योजना ने महिलाओं के समय और स्वास्थ्य को बचाया, जिससे उनकी उत्पादकता बढ़ी। जन धन और डीबीटी ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया, जिससे लोग बचत और निवेश के लिए प्रोत्साहित हुए।
  • इन योजनाओं का प्रभाव बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) में कमी के रूप में भी दिखता है, क्योंकि ये योजनाएँ स्वास्थ्य, शिक्षा, और जीवन स्तर जैसे क्षेत्रों को संबोधित करती हैं।

4. नीतिगत और संरचनात्मक कारक

  • इंफ्रास्ट्रक्चर विकास: सड़क, बिजली, और डिजिटल कनेक्टिविटी में निवेश ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आर्थिक अवसरों को बढ़ाया।
  • पारदर्शिता और समावेशन: डीबीटी और डिजिटल सेवाओं ने सरकारी योजनाओं के लाभ को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने में पारदर्शिता सुनिश्चित की।
  • आर्थिक विकास: विश्व बैंक की अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत की GDP वृद्धि (2022-23 में 6.9%) ने रोजगार सृजन और आय वृद्धि में योगदान दिया।

5. चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा

  • धीमी प्रगति: कोविड-19 महामारी के दौरान गरीबी में कमी की गति धीमी हुई थी, जो 2021-22 से फिर से तेज हुई। यह दर्शाता है कि बाहरी झटके भारत की प्रगति को प्रभावित कर सकते हैं।
  • असमानता: यद्यपि गरीबी कम हुई, आय असमानता और क्षेत्रीय असंतुलन अभी भी चुनौतियाँ हैं। शहरी क्षेत्रों में गरीबी ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में तेजी से कम हुई, जो ग्रामीण-शहरी असमानता को दर्शाता है।
  • सतत विकास: नीति आयोग का लक्ष्य बहुआयामी गरीबी को 1% से नीचे लाना है। इसके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार में निरंतर निवेश आवश्यक है।

विश्व बैंक :

  • इसे अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) के रूप में भी जाना जाता है
  • एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठन है जो विकासशील देशों को ऋण, वित्तीय सलाह और तकनीकी सहायता प्रदान करता है
  • इसमें पांच संस्थाएं शामिल हैं जो गरीबी उन्मूलन और साझा समृद्धि के निर्माण के लिए काम करती हैं
  • स्थापना: 1944
  • मुख्यालय: वाशिंगटन डी.सी
  • वर्तमान अध्यक्ष : अजय बंगा
  • उद्देश्य: विकासशील देशों में गरीबी कम करना और सतत विकास को बढ़ावा देना
  • कार्य: विकास परियोजनाओं को वित्तपोषण, तकनीकी सहायता और नीतिगत सलाह प्रदान करना
  • नारा (Motto): "Working for a World Free of Poverty" ("गरीबी मुक्त विश्व के लिए कार्य")

पांच संस्थाएं शामिल हैं:

  • IBRD (अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक): मध्यम आय वाले और ऋण योग्य निम्न आय वाले देशों को ऋण और वित्तीय सलाह प्रदान करता है
  • IDA (अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ): विश्‍व के सबसे गरीब देशों को ब्याज मुक्त ऋण, अनुदान और तकनीकी सहायता प्रदान करता है
  • IFC (अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम): निजी क्षेत्र के विकास में निवेश करता है और निजी कंपनियों को वित्तीय सलाह प्रदान करता है
  • MIGA (बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी): विकासशील देशों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देता है
  • ICSID (अंतर्राष्ट्रीय निवेश विवाद निपटान केंद्र): निवेश विवादों का निपटान करता है

प्रकाशित प्रमुख रिपोर्टें :

रिपोर्ट का नाम विवरण (संक्षेप में)
विश्व विकास रिपोर्ट (World Development Report) प्रत्येक वर्ष एक विशिष्ट विकास विषय (जैसे गरीबी, शिक्षा, श्रम बाजार) पर आधारित व्यापक विश्लेषण।
ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट (Ease of Doing Business Report) विभिन्न देशों में व्यापार शुरू करने और संचालन की सुगमता पर रैंकिंग और विश्लेषण (2021 में बंद)।
गरीबी और समानता संक्षिप्त रिपोर्ट (Poverty and Equity Brief) गरीबी, असमानता और सामाजिक विकास से संबंधित आंकड़े और विश्लेषण।
वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट (Global Economic Prospects) वैश्विक और क्षेत्रीय आर्थिक विकास का पूर्वानुमान और विश्लेषण।
देश जलवायु और विकास रिपोर्ट (Country Climate and Development Report - CCDR) देश विशेष के जलवायु परिवर्तन और विकास के बीच संबंधों का अध्ययन।
लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (Logistics Performance Index - LPI) विश्व भर के देशों के लॉजिस्टिक्स (ढुलाई, व्यापार आपूर्ति) प्रदर्शन का आकलन।
रचनात्मक वित्त रिपोर्ट (Innovative Finance Reports) विकास परियोजनाओं के लिए वैकल्पिक और अभिनव वित्तीय साधनों का विश्लेषण।
आर्थिक अद्यतन रिपोर्ट्स (Country-specific Economic Updates) किसी विशेष देश की आर्थिक स्थिति और चुनौतियों का विश्लेषण। (जैसे: India Development Update)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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