राजस्थान के खीचन (फलोदी) और मेनार (उदयपुर) का रामसर सूची में शामिल
 
  • Mobile Menu
HOME BUY MAGAZINEnew course icon
LOG IN SIGN UP

Sign-Up IcanDon't Have an Account?


SIGN UP

 

Login Icon

Have an Account?


LOG IN
 

or
By clicking on Register, you are agreeing to our Terms & Conditions.
 
 
 

or
 
 




राजस्थान के खीचन (फलोदी) और मेनार (उदयपुर) का रामसर सूची में शामिल

Thu 05 Jun, 2025

संदर्भ :-

  • 4 जून 2025 को भारत ने राजस्थान की दो आर्द्रभूमियों—खीचन (फलोदी) और मेनार (उदयपुर)—को अंतरराष्ट्रीय महत्व की रामसर साइट्स की सूची में शामिल किया।

मुख्‍य बिन्‍दु : -

  • यह घोषणा विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर की गई, जिससे भारत में अब कुल 91 रामसर स्थल हो गए हैं, जो एशिया में सबसे अधिक हैं।

मेनार वेटलैंड कॉम्प्लेक्स (उदयपुर, राजस्थान) :

  • उपनाम: पक्षी गांव
  • आकार: 104 हेक्टेयर
  • मेनार वेटलैंड वर्षा आधारित ताजे जल का आर्द्रभूमि परिसर है, जो तीन प्रमुख तालाबों — ब्रह्म तालाब, ढांढ तालाब और खेड़ा तालाब — तथा इन्हें जोड़ने वाली कृषि भूमि से मिलकर बना है।
  • अवस्थिति: राजस्थान के उदयपुर ज़िले में मेनार गाँव के समीप स्थित

प्रमुख विशेषताएँ:

  • मॉनसून के दौरान कृषि भूमि में जल भर जाने से यह क्षेत्र पक्षियों के लिए आदर्श आवास बन जाता है।
  • यहाँ 100 से अधिक जलपक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 67 प्रवासी प्रजातियाँ हैं।

यहाँ गंभीर संकटग्रस्त गिद्ध प्रजातियाँ :—

  • वाइट-रंप वल्चर (Gyps bengalensis)
  • लॉन्ग-बिल्ड वल्चर (Gyps indicus) — भी देखी जाती हैं।
  • लगभग 70 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • ब्रह्म तालाब के आसपास के आम के वृक्षों पर इंडियन फ्लाइंग फॉक्स (Pteropus giganteus) की बड़ी कॉलोनी निवास करती है।

सामुदायिक योगदान:

  • यह स्थल सामुदायिक संरक्षण का प्रमुख उदाहरण है।
  • स्थानीय लोग स्वयं शिकार और मछली पकड़ने पर रोक लगाते हैं, जिससे यह क्षेत्र पक्षियों के लिए सुरक्षित आश्रयस्थल बन गया है।

खीचन वेटलैंड (फालोदी, जोधपुर, राजस्थान):

  • अवस्थित: खीचन राजस्थान के जोधपुर जिले के फलोदी क्षेत्र में स्थित एक रेगिस्तानी गाँव है। यह जोधपुर शहर से लगभग 150 किलोमीटर पश्चिम में है और फलोदी कस्बे से करीब 3.4 किलोमीटर दूर है।
  • प्रसिद्धि: खीचन विश्व प्रसिद्ध है अपनी बड़ी संख्या में प्रवासी डेमोइसेल क्रेन (कुरजां) के लिए, जो हर साल अगस्त से मार्च तक यहाँ आती हैं। यह पक्षी प्रवासी मार्ग (Central Asian Flyway) पर पड़ता है।
  • इतिहास: 1970 के दशक में स्थानीय ग्रामीणों ने पक्षियों को दाना खिलाना शुरू किया, जिससे डेमोइसेल क्रेन की संख्या धीरे-धीरे बढ़ी। 2014 में लगभग 20,000 क्रेन यहाँ आती थीं।
  • पक्षी संरक्षण: स्थानीय लोगों ने पक्षियों के लिए चुग्गा घर बनाए और अनाज की व्यवस्था की, जिससे पक्षियों का संरक्षण हुआ।

 राजस्थान में अब 4 रामसर स्थल हैं, जिनमें सांभर झील (नागौर और जयपुर) तथा केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर) शामिल हैं।

रामसर कन्वेंशन:

  • आर्द्रभूमियों के संरक्षण और सतत उपयोग के लिए 1971 में ईरान के रामसर शहर में स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय संधि (UNESCO के तहत)।
  • इसका उद्देश्य उन आर्द्रभूमियों को अंतरराष्ट्रीय महत्व देना है, जो महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करती हैं, जैव विविधता का समर्थन करती हैं और स्थानीय आजीविका को बनाए रखती हैं।

भारत और रामसर कन्वेंशन:

  • भारत रामसर संधि पर हस्ताक्षरकर्ता बना: 1 फरवरी, 1982
  • प्रथम रामसर स्थल: चिल्का झील (ओडिशा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान), 1981
  • कुल रामसर स्थल (जून 2025 तक): 91
  • कुल कवरेज क्षेत्र: लगभग 13.59 लाख हेक्टेयर

भारत की वैश्विक रैंकिंग:

  • एशिया में प्रथम स्थान
  • विश्व स्तर पर तीसरा स्थान (यूके – 175, मैक्सिको – 142 के बाद)

राज्यवार शीर्ष स्थिति (जून 2025 तक):

  • तमिलनाडु: 20 रामसर स्थल (भारत में सर्वाधिक)
  • उत्तर प्रदेश: 10 रामसर स्थल

 

Latest Courses