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जैव विविधता के संरक्षण के लिए उत्‍तर प्रदेश के सक्रिय प्रयास

Wed 04 Jun, 2025

संदर्भ :

  • उत्तर प्रदेश सरकार जैव विविधता के संरक्षण के लिए सक्रिय प्रयास कर रही है, जिसके सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • हाल ही में प्रकाशित सर्वेक्षण रिपोर्टों के अनुसार, भारत में नदी डॉल्फ़िन की सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में पाई गई है, वहीं राज्य में बाघों (टाइगर) की संख्या भी 2018 की 173 से बढ़कर 2022 में 205 तक पहुँच चुकी है।

सर्वाधिक नदी डॉल्फ़िन :

कुल आँकड़े और सर्वेक्षण :

  • भारत के इतिहास में पहली बार नदी डॉल्फ़िन का विस्तृत सर्वेक्षण (28 नदियों में) किया गया, जिसमें देशभर में कुल 6,327 डॉल्फ़िन पाई गईं। इनमें से अकेले उत्तर प्रदेश में 2,397 डॉल्फ़िन की उपस्थिति दर्ज की गई, जो लगभग 40% हिस्सा है।
  • इसके पश्चात् प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में यह सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी हुई, जहाँ यह जानकारी दी गई कि यूपी में सर्वाधिक डॉल्फ़िन हैं और इसके बाद बिहार (2,220), पश्चिम बंगाल (815) व असम (635) का क्रम है।

डॉल्फ़िन की प्रजातियाँ और वितरण :

  • सबसे अधिक पाए जाने वाले डॉल्फ़िन गंगा नदी के गंगोट्रिय डॉल्फ़िन (Gangetic River Dolphin) हैं, जो मुख्यतः गंगा, यमुना, घाघरा, थपेली, राप्ती और गरुआ नदियों में देखी जाती हैं।
  • यूपी शासन ने 17 अक्टूबर 2023 को गंगा डॉल्फ़िन को राज्य का जल-जंतु घोषित किया, जिससे संरक्षण की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई। ऐसे कानूनी दर्जे से संरक्षण संबंधी नीतियाँ सुदृढ़ होंगी।

संरक्षण प्रयास और परियोजनाएँ :

  • Project Dolphin: 2021 में भारत सरकार ने ‘प्रोजेक्ट डॉल्फ़िन’ प्रारंभ किया, जिसके तहत नदी व समुद्री दोनों प्रजातियों के डॉल्फ़िन संरक्षण के लिए कार्ययोजनाएँ बनाई गईं। इसका उद्देश्य डॉल्फ़िन के आवास की निगरानी, बचाव-कार्य योजनाएँ और मछुआरों में जागरूकता फैलाना है।

बाघों की संख्या में वृद्धि : -

बुनियादी आँकड़े :

  • 2018 में यूपी में बाघों की कुल संख्या 173 थी, जो 2022 के लिए हुई गणना में बढ़कर 205 हो गई। इसका मतलब है कि चार साल में बाघों की संख्या में लगभग 18.49% की बढ़ोतरी हुई।
  • इस वृद्धि से प्रदेश का स्थान राष्ट्रीय स्तर पर आठवें स्थान पर आ गया, जहाँ शिवालिक परिदृश्य (जिसमें यूपी, बिहार और उत्तराखंड शामिल हैं) के अंतर्गत कुल 819 बाघ थे, जिनमें से 205 यूपी के हिस्से के थे।

मुख्य संरक्षित क्षेत्र तथा रिज़र्व :

दुधवा टाइगर रिज़र्व (Dudhwa Tiger Reserve):

  • 2018 में रिज़र्व में 82 बाघ थे, जो 2022 में बढ़कर 135 हो गए।
  • रिज़र्व के आसपास के क्षेत्रों में भी बाघों की संख्या 107 (2018) से बढ़कर 153 (2022) हो गई।
  • इस रिज़र्व ने “TX2” अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त किया, क्योंकि ये 2006 के 109 से 2022 में 205 तक की वृद्धि दर को दोगुना करने वाला एक उदाहरण है।
  • अन्य यूपी के रिज़र्व जैसे अमरकंटक, रुपनपुर, कालिंजर आदि भी बाघ आबादी के प्रसारण में योगदान दे रहे हैं।

Conservation Efforts (संरक्षण प्रयास) :

  • Project Tiger: भारत सरकार द्वारा 1973 में शुरू की गई परियोजना जिसके अंतर्गत 58 टाइगर रिज़र्व बनाए गए। यूपी के कई रिज़र्व इसके अंतर्गत आते हैं। 2023 तक देश में कुल 3,682 बाघ पाए गए, जिनमें से यूपी के हिस्से का 205 शामिल था।

राष्ट्रीय स्तर पर तुलना और प्रभाव :

  • 2018 से 2022 के बीच पूरे देश में बाघों की संख्या 2,967 से बढ़कर 3,682 हुई, जो लगभग 6% वार्षिक वृद्धि दर्शाती है। यूपी में हुई 18.49% की वृद्धि इस राष्ट्रीय रुझान से भी कुल मिलाकर बेहतर है।
  • शेष राज्यों में भी तेजी से संरक्षण कार्यक्रमों का विस्तार हुआ। उदाहरणतः उत्तराखंड में बाघ 442 से बढ़कर 560 (26.7% वृद्धि) और बिहार में 31 से बढ़कर 54 (74% वृद्धि) हुए। इससे स्पष्ट होता है कि यूपी समेत पूरे शिवालिक झील-गंगा मैदान क्षेत्र में संरक्षण गतिविधियाँ प्रभावी हुई हैं।

कछुआ संरक्षण के प्रयास :

  • उत्‍तर प्रदेश सरकार धार्मिक एवं पर्यावरण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले धरती के सबसे पुराने जीव कछुओं के अवैध शिकार एवं इनके व्यावसायिक उपयोग पर अंकुश लगाने के साथ इनके संरक्षण का भी प्रयास कर रही है।
  • साथ ही लोगों को जैव विविधता के महत्व के बारे में भी जागरूक कर रही है। इसके लिए सरकार कछुआ संरक्षण योजना चला रही है।
  • इस क्रम में उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित किया जा रहा है। सारनाथ और कुकरैल में कछुआ प्रजनन केंद्र स्थापित किए गए हैं।
  • गंगा नदी कछुओं का स्वाभाविक आवास रही है इसलिए गंगा के किनारे बसे मेरठ, मुजफ्फरनगर, हापुड़, बिजनौर, अमरोहा और बुलंदशहर पर खास फोकस है।

पौधरोपण और नदियों के किनारे हरित क्षेत्र :

  • प्रदेश सरकार का जोर सभी प्रमुख नदियों के किनारे और अमृत सरोवरों के किनारे पौधरोपण पर है।
  • इस क्रम में सरकार वर्ष 2017-2018 से 2024-2025 के दौरान 204.65 करोड़ पौधारोपण करा चुकी है। इस साल भी 35 करोड़ पौधे लगवाने का लक्ष्य है।
  • गंगा नदी के किनारे पहले ही गंगा वन के नाम से पौधारोपण का कार्यक्रम जारी है।
  • इस बार गंगा सहित यमुना, चंबल, बेतवा, केन, गोमती, छोटी गंडक, हिंडन, राप्ती, रामगंगा और सोन आदि नदियों के किनारे 14 करोड़ से अधिक पौधारोपण की योजना है।

हरित क्षेत्र में वृद्धि :

  • भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR-2023) के अनुसार उत्तर प्रदेश में वन क्षेत्र 559.19 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है।
  • सरकार का लक्ष्य साल 2030 तक राज्य का हरित आवरण 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का है।

वेटलैंड और प्राकृतिक खेती :

  • जैव विविधता के लिए ही सरकार वेटलैंड्स को संरक्षित कर रही है।
  • विषमुक्त प्राकृतिक खेती भी जैव विविधता में मददगार बन रही है।

गिद्ध संरक्षण :

  • प्राकृतिक सफाईकर्मी माने जाने वाले लुप्तप्राय हो रहे गिद्धों के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा गोरखपुर में जटायु संरक्षण केंद्र की स्थापना भी इस संबंध में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उत्तर प्रदेश में पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियाँ :

वर्ग प्रजातियों की संख्या
स्तनधारी 56 प्रजातियाँ
पक्षी 552 प्रजातियाँ
सरीसृप 47 प्रजातियाँ
उभयचर 19 प्रजातियाँ
मछलियाँ 79 प्रजातियाँ

 

 

 

 

 

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