SBI इकोरैप: भारतीय अर्थव्यवस्था का परिदृश्य – वित्त वर्ष 2025-26
 
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SBI इकोरैप: भारतीय अर्थव्यवस्था का परिदृश्य – वित्त वर्ष 2025-26

Mon 02 Jun, 2025

संदर्भ :

  • भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की आर्थिक अनुसंधान शाखा द्वारा जारी "SBI इकोरैप: भारतीय अर्थव्यवस्था का परिदृश्य – वित्त वर्ष 2025-26" रिपोर्ट में भारत की आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति, मौद्रिक नीति और संभावित जोखिमों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।

मुख्‍य बिन्‍दु : -

1. आर्थिक वृद्धि और विकास दर : 

  • भारत वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) में भी दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा, जहां GDP वृद्धि दर 6.3% से 6.5% के बीच रहने का अनुमान है।
  • FY25 की चौथी तिमाही (Q4) में GDP वृद्धि दर 7.4% रही, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 8.4% से थोड़ी कम है, लेकिन फिर भी अत्यंत सकारात्मक संकेत है।
  • FY25 के पूरे वर्ष के लिए GDP वृद्धि दर 6.5% रही, जो वैश्विक संदर्भ में भारत की मजबूत स्थिति को दर्शाती है।

2. विकास के प्रमुख स्तंभ : 

  • पूंजी निर्माण (Capital Formation): Q4 FY25 में पूंजी निर्माण में 9.4% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई, जो GDP वृद्धि का मुख्य स्तंभ रहा।
  • FY25 में कुल पूंजी निर्माण की वृद्धि दर 7.1% रही। यह वृद्धि कोर सेक्टर की मजबूती और उच्च-आवृत्ति संकेतकों में सुधार के कारण संभव हुई।
  • उद्योग और सेवा क्षेत्र: Q4 में उद्योग क्षेत्र ने 6.5% और सेवा क्षेत्र ने 7.3% की वृद्धि दर्ज की।
  • विशेष रूप से निर्माण क्षेत्र में 10.8% की तेज़ वृद्धि हुई, जो पिछले छह तिमाहियों में सबसे अधिक है। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 4.8% की सकारात्मक वृद्धि रही।
  • निजी उपभोग: FY25 में निजी उपभोग की वार्षिक वृद्धि दर 7.2% रही, हालांकि Q4 में इसमें थोड़ी धीमी गति देखी गई।
  • निर्यात और आयात: निर्यात में FY25 में 6.3% की वृद्धि हुई, जबकि आयात में 3.7% की गिरावट दर्ज की गई।
  • Q4 में आयात में 12.7% की बड़ी गिरावट ने GDP वृद्धि को और बल दिया।
  • यह निर्यात वृद्धि अमेरिका के टैरिफ अनिश्चितताओं के बीच निर्यात को प्राथमिकता देने से संभव हुई।

3. मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति : 

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, FY26 में मुद्रास्फीति लक्ष्य (CPI 4% ± 2%) के अनुरूप रहने की उम्मीद है।
  • मार्च 2025 में CPI मुद्रास्फीति 3.34% पर 67 महीने के निचले स्तर पर थी।
  • RBI ने रेपो दर में 25 आधार अंक की कटौती कर इसे 6% कर दिया है और नीतिगत रुख को ‘तटस्थ’ से ‘समर्थकारी’ में बदला है, जिससे विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • SBI अनुसंधान के अनुसार, FY26 में RBI द्वारा कुल 125-150 आधार अंक की कटौती की संभावना है, जो मुद्रास्फीति में कमी और विकास को समर्थन देने के लिए की जाएगी।

4. आर्थिक स्थिरता और जोखिम : 

  • भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक नींव, सशक्त वित्तीय प्रणाली और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता इसे वैश्विक अनिश्चितताओं और जियोपॉलिटिकल जोखिमों के बावजूद स्थिर और मजबूत विकास पथ पर बनाए रखेगी।
  • अमेरिकी टैरिफ नीतियों और वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताएं निर्यात और बाजार स्थिरता पर प्रभाव डाल सकती हैं, लेकिन भारत ने निर्यात को प्राथमिकता देकर इस चुनौती का सामना किया है।

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) 

  • भारतीय स्टेट बैंक की नींव 19वीं सदी के पहले दशक में 2 जून 1806 को बैंक ऑफ कलकत्ता के रूप में रखी गई थी, जिसे बाद में 2 जनवरी 1809 को बैंक ऑफ बंगाल कहा गया। इसके बाद बैंक ऑफ बॉम्बे (1840) और बैंक ऑफ मद्रास (1843) की स्थापना हुई।
  • ये तीनों बैंक ब्रिटिश भारत के प्रमुख प्रेसीडेंसी बैंक थे।
  • 27 जनवरी 1921 को इन तीनों बैंकों का विलय कर इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया बनाया गया, जो भारत का सबसे बड़ा बैंक था।
  • स्वतंत्रता के बाद, 1 जुलाई 1955 को भारतीय रिजर्व बैंक ने इसे राष्ट्रीयकृत कर इसका नाम भारतीय स्टेट बैंक (SBI) रखा।
  • इस प्रकार SBI इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का उत्तराधिकारी है।
  • मुख्यालय : मुंबई, महाराष्ट्र
  • वर्तमान अध्यक्ष: चल्ला श्रीनिवासुलु सेट्टी, 27वें अध्यक्ष
  • प्रथम अध्यक्ष: जॉन मथाई, 1955 में SBI के राष्ट्रीयकरण के बाद नियुक्त

सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product : GDP) 

  • किसी देश की सीमाओं के भीतर एक निश्चित अवधि में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है।
  • यह किसी देश के आर्थिक स्वास्थ्य का एक व्यापक माप है। जीडीपी विकास दर आर्थिक प्रदर्शन का एक महत्वपूर्ण संकेतक है, जो देश के स्वास्थ्य, विकास और प्रगति को दर्शाता है

GDP की गणना के तीन मुख्य तरीके:

(A) उत्पादन विधि (Production/Output Method)

  • इसमें देश में एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं की कुल बाजार कीमत जोड़ी जाती है।
  • सूत्र: GDP = सभी क्षेत्रों (कृषि, उद्योग, सेवा) द्वारा उत्पादित वस्तुओं/सेवाओं का कुल मूल्य – मध्यवर्ती लागत

(B) व्यय विधि (Expenditure Method)

  • इसमें देश के भीतर सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए कुल खर्च को जोड़ा जाता है।
  • सूत्र: GDP = C + I + G + (X – M)
    • C = उपभोग व्यय (Consumption)
    • I = निवेश व्यय (Investment)
    • G = सरकारी व्यय (Government Spending)
    • X = निर्यात (Exports)
    • M = आयात (Imports)

(C) आय विधि (Income Method)

  • इसमें देश के भीतर सभी उत्पादन कारकों (मजदूरी, किराया, ब्याज, लाभ) द्वारा अर्जित कुल आय को जोड़ा जाता है।
  • सूत्र: GDP = मजदूरी + किराया + ब्याज + लाभ + (कर – सब्सिडी)

GDP के प्रकार :

नॉमिनल GDP (Nominal GDP):

  • वर्तमान बाजार कीमतों पर मापी जाती है, इसमें मुद्रास्फीति का असर शामिल होता है।

रियल GDP (Real GDP):

  • स्थिर (base year) कीमतों पर मापी जाती है, जिससे मुद्रास्फीति का असर हट जाता है।
  • सूत्र: Real GDP = Nominal GDP ÷ GDP Deflator

प्रति व्यक्ति GDP (GDP Per Capita):

  • प्रति व्यक्ति औसत उत्पादन/आय को दर्शाती है।
  • सूत्र: GDP Per Capita = कुल GDP ÷ देश की जनसंख्या

GDP से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण मापक :

  • GDP at Market Price: बाजार मूल्य पर GDP, जिसमें अप्रत्यक्ष कर जोड़कर और सब्सिडी घटाकर प्राप्त किया जाता है।
  • GDP at Factor Cost: उत्पादन लागत पर GDP, जिसमें अप्रत्यक्ष कर घटाकर और सब्सिडी जोड़कर प्राप्त किया जाता है।
  • GNP (Gross National Product): देश के नागरिकों द्वारा देश और विदेश में अर्जित कुल आय।
  • NNP (Net National Product): GNP से मूल्यह्रास (Depreciation) घटाने के बाद

भारत में GDP गणना की पद्धति में बदलाव (2015 के बाद) :

  • Base Year: 2004-05 से बदलकर 2011-12 कर दिया गया।
  • GDP at Factor Cost के स्थान पर GDP at Market Price को अपनाया गया
  • डेटा स्रोत अधिक व्यापक और आधुनिक बनाए गए (जैसे – MCA 21 डेटा)
  • कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्रों की गणना और भी विस्तृत और सटीक की गई

नोट :--

  • वर्तमान स्थिति के अनुसार, भारत सरकार सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की गणना के लिए आधार वर्ष को 2011-12 से बदलकर 2022-23 करने की योजना बना रही है।
  • इस बदलाव का उद्देश्य देश की आर्थिक संरचना, उपभोग पैटर्न, और नए आर्थिक क्षेत्रों को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करना है, जिससे GDP आंकड़ों की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ेगी।

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