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भारतीय अंतरिक्ष स्थिति आकलन रिपोर्ट (ISSAR) 2024

Sun 01 Jun, 2025

संदर्भ :

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा भारतीय अंतरिक्ष स्थिति आकलन रिपोर्ट (ISSAR) 2024 जारी की गई है।

मुख्‍य बिन्‍दु :

  • यह रिपोर्ट ISRO के सुरक्षित और सतत अंतरिक्ष संचालन प्रबंधन प्रणाली (IS4OM) द्वारा तैयार की गई है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष मलबे, प्राकृतिक खतरों, और अन्य जोखिमों से राष्ट्रीय अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

वैश्विक अंतरिक्ष गतिविधियाँ :

  • प्रक्षेपण सांख्यिकी: 2024 में वैश्विक स्तर पर 261 प्रक्षेपण प्रयास हुए, जिनमें से 254 सफल रहे। इनसे 2,578 नए परिचालन उपग्रह कक्षा में स्थापित हुए।
  • चंद्र अन्वेषण: पांच चंद्र मिशन प्रक्षेपित किए गए, जो चंद्रमा के प्रति बढ़ती वैश्विक रुचि को दर्शाते हैं।
  • अंतरिक्ष मलबा: तीन प्रमुख ऑन-ऑर्बिट विखंडन घटनाओं (जैसे लॉन्ग मार्च रॉकेट चरण) के कारण 3,665 मलबा वस्तुएँ कक्षा में जुड़ीं।

भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियाँ :

  • उपग्रह प्रक्षेपण: 2024 में 136 नए अंतरिक्ष यान प्रक्षेपित किए गए, जिनमें 22 LEO (निम्न भू-कक्षा) और 31 GEO (भू-समकालिक कक्षा) में सरकारी उपग्रह शामिल हैं।

सक्रिय गहरे अंतरिक्ष मिशन:

  • चंद्रयान-2 ऑर्बिटर चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है।
  • आदित्य-L1 सूर्य-पृथ्वी L1 बिंदु पर स्थित है।
  • टकराव से बचाव (CAMs): ISRO ने 10 CAMs संचालित किए, जिनमें 6 LEO और 4 GEO उपग्रह शामिल थे। यह संख्या पिछले वर्षों की तुलना में कम है, जो बेहतर पूर्वानुमान तकनीकों के कारण संभव हुआ।

अंतरिक्ष मलबा प्रबंधन:

  • वायुमंडलीय पुनःप्रवेश: 2024 में 9 भारतीय उपग्रह (जैसे कार्टोसैट-2) वायुमंडल में पुनः प्रवेश करके नष्ट हुए।

डी-ऑर्बिटिंग:

  • स्कैटसैट-1, INS-2B, और EOS-7 को मिशन समाप्ति के बाद सुरक्षित रूप से डी-ऑर्बिट किया गया।
  • PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (POEM-3 और POEM-4) के ऊपरी चरणों को 350 किमी की कक्षा में स्थानांतरित किया गया।
  • लक्ष्य: ISRO ने 2030 तक सभी भारतीय अंतरिक्ष मिशनों को मलबा-मुक्त (Debris Free) बनाने का लक्ष्य रखा है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं नेतृत्व

  • संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह: भारत वर्तमान में बाह्य अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता पर UN कार्य समूह की अध्यक्षता कर रहा है।
  • IADC की भूमिका: ISRO ने इंटर-एजेंसी डेब्रीस कोऑर्डिनेशन कमेटी (IADC) के 2023-24 सत्र की अध्यक्षता की और मलबा शमन दिशानिर्देशों के संशोधन में योगदान दिया।

भविष्य की चुनौतियाँ :

  • अंतरिक्ष यातायात प्रबंधन (STM): LEO में उपग्रहों और मलबे की बढ़ती संख्या के कारण STM की आवश्यकता तेजी से बढ़ रही है।
  • सौर गतिविधियाँ: 2024 में सौर चक्र 25 के चरम पर पहुँचने से 18 मजबूत और 2 चरम भू-चुंबकीय तूफान आए, जिससे उपग्रहों के कक्षीय क्षय में वृद्धि हुई।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) :

  • भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है
  • गठन : 1969
  • शुरुआत :1962
  • मुख्यालय :कर्नाटक, बेंगलुरु(भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) के रूप में, डॉ. विक्रम साराभाई द्वारा)

उद्देश्य:

  • भारत के लिए स्वदेशी उपग्रह व प्रक्षेपण यान तकनीक का विकास
  • अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग सामाजिक व आर्थिक विकास में करना
  • दूरसंचार, मौसम, टेलीमेडिसिन, संसाधन सर्वेक्षण में सहायता देना

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट (1975)
  • चंद्रयान-1 (2008), मंगलयान (2013), चंद्रयान-2 (2019) जैसे प्रमुख मिशन
  • 2017 में PSLV-C37 मिशन के तहत एक बार में 104 उपग्रह प्रक्षेपित कर विश्व रिकॉर्ड
  • आदित्य-L1, गगनयान, मंगलयान-2 जैसे आगामी मिशन
  • ISRO ने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) और भू-स्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) विकसित किए हैं

प्रमुख केंद्र:

  • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), तिरुवनंतपुरम – रॉकेट विकास
  • यू.आर. राव अंतरिक्ष केंद्र (URSC), बेंगलुरु – उपग्रह डिजाइन एवं विकास
  • सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC), श्रीहरिकोटा – उपग्रह एवं रॉकेट प्रक्षेपण
  • द्रव नोडन प्रणाली केंद्र (LPSC), वलियमाला और बेंगलुरु – क्रायोजेनिक इंजन विकास
  • राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC), हैदराबाद – सुदूर संवेदन डेटा प्रबंधन
  • अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (SAC), अहमदाबाद – संचार और सुदूर संवेदन अनुप्रयोग

नेतृत्व:

  • ISRO का अध्यक्ष अंतरिक्ष विभाग के सचिव भी होते हैं
  • जनवरी 2025 से डॉ. वी. नारायणन ISRO के अध्यक्ष हैं, जिन्होंने श्री एस. सोमनाथ का स्थान ग्रहण किया

वाणिज्यिक शाखा:

  • एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Antrix Corporation Limited) ISRO की वाणिज्यिक शाखा है, जो अंतरिक्ष उत्पादों और सेवाओं का विपणन करती है और तकनीकी हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाती है।

प्रमुख प्रक्षेपण यान (Launch Vehicles):

प्रक्षेपण यान का नाम विवरण
SLV (Satellite Launch Vehicle) ISRO का पहला प्रक्षेपण यान, 1980 के दशक में विकसित, छोटा भार (लगभग 40 किग्रा) प्रक्षेपित करता था
ASLV (Augmented Satellite Launch Vehicle) SLV का उन्नत संस्करण, 150 किग्रा तक उपग्रह प्रक्षेपित कर सकता था
PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) ISRO का सबसे विश्वसनीय और बहुप्रचलित प्रक्षेपण यान, 500-1500 किग्रा तक उपग्रह प्रक्षेपित करता है। चंद्रयान-1 और मंगलयान मिशन में उपयोग
GSLV (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) भूस्थिर कक्षा के लिए उपयुक्त, 2-4 टन तक उपग्रह प्रक्षेपित करता है, क्रायोजेनिक इंजन वाला रॉकेट
GSLV Mk III (LVM-3) ISRO का सबसे भारी प्रक्षेपण यान, 8 टन तक पृथ्वी की निचली कक्षा में और 4 टन तक भूस्थिर कक्षा में उपग्रह प्रक्षेपित कर सकता है। मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए विकसित।
SSLV (Small Satellite Launch Vehicle) छोटे उपग्रहों (10 से 500 किग्रा) के लिए नवीनतम प्रक्षेपण यान, कम लागत, तेज़ प्रक्षेपण, और लचीला

 

 

 

 

 

 

 

ऐतिहासिक मिशन:

चंद्रयान-1 (2008):

  • भारत का पहला चंद्र मिशन
  • चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचा और वैज्ञानिक डेटा संग्रह किया
  • इसमें ‘मून इम्पैक्ट प्रोब’ ने चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंडिंग की

मंगलयान / मंगल ऑर्बिटर मिशन (2013):

  • भारत का पहला मंगल मिशन
  • पहला सफल प्रयास में मंगल कक्षा में पहुंचा
  • विश्व में ऐसा करने वाला पहला एशियाई देश बना

चंद्रयान-2 (2019) :

  • चंद्रमा का ऑर्बिटर अब भी सक्रिय है।
  • लैंडर ‘विक्रम’ लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया।
  • मिशन का ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह का अध्ययन कर रहा है।

आदित्य-L1 (2023) :

  • सूर्य के अध्ययन के लिए मिशन।
  • सूर्य-पृथ्वी L1 बिंदु पर स्थित है।

चंद्रयान-3 (2023) :

  • भारत का तीसरा चंद्र मिशन।
  • 14 जुलाई 2023 को लॉन्च हुआ।
  • 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफल सॉफ्ट लैंडिंग की।
  • भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करने वाला पहला देश बना।
  • इसमें लैंडर और रोवर शामिल हैं, लेकिन ऑर्बिटर नहीं।

 

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