20 May, 2025
‘उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ के तहत 100% साक्षरता हासिल : गोवा
Sat 31 May, 2025
संदर्भ :
- गोवा ने 30 मई 2025 को अपने 39वें राज्य स्थापना दिवस पर ‘उल्लास – नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ (ULLAS) के तहत 100% साक्षरता का लक्ष्य प्राप्त किया।
मुख्य बिन्दु :
- यह उपलब्धि उसे मिज़ोरम के बाद देश का दूसरा पूर्ण साक्षर राज्य बनाती है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दृष्टिकोण को साकार करते हुए, गोवा ने न केवल 95% के राष्ट्रीय मानक को पार किया, बल्कि कार्यात्मक साक्षरता (पढ़ना, लिखना, संख्यात्मक कौशल) के सभी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया।
रणनीति और कार्यान्वयन :
- सम्पूर्ण-सरकार दृष्टिकोण: गोवा सरकार ने पंचायती राज, नगर प्रशासन, समाज कल्याण, योजना एवं सांख्यिकी, महिला एवं बाल विकास जैसे विभागों के समन्वय से निरक्षरों की पहचान और उन तक पहुंच सुनिश्चित की।
- स्वयंसेवकों की भूमिका: स्वयंपूर्ण मित्रों और क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर निरक्षरों की पहचान, नामांकन और उन्हें साक्षरता प्रमाणपत्र दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
- जागरूकता अभियान: समाज में साक्षरता के महत्व को लेकर जागरूकता अभियान चलाए गए, जिससे समुदाय की भागीदारी बढ़ी और वयस्क शिक्षा को बल मिला।
कार्यक्रम की विशेषताएँ :
- ULLAS कार्यक्रम: यह केंद्र सरकार की पहल है, जिसका उद्देश्य 2030 तक देशभर में 100% साक्षरता प्राप्त करना है।
- कार्यात्मक साक्षरता: केवल पढ़ना-लिखना ही नहीं, बल्कि दैनिक जीवन के लिए आवश्यक संख्यात्मक कौशल और व्यावहारिक ज्ञान पर भी ज़ोर दिया गया।
- साक्षरता दर: गोवा ने अपने सर्वेक्षण के आधार पर 100% साक्षरता का दावा किया, जबकि PLFS 2023-24 के अनुसार राज्य की साक्षरता दर 93.6% थी। यह अंतर राज्य सरकार के आंतरिक प्रयासों और केंद्र की मान्यता के आधार पर है।
सामाजिक और नीतिगत प्रभाव :
- रोल मॉडल: गोवा की यह उपलब्धि नीति निर्माताओं और अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणा है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक समन्वय और समुदाय की भागीदारी से साक्षरता के उच्च लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।
- समावेशी विकास: महिला, वंचित और ग्रामीण समुदायों की भागीदारी से सामाजिक समावेशन को बढ़ावा मिला।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रभाव: NEP 2020 के तहत वयस्क शिक्षा, सतत शिक्षा और जीवन कौशल पर विशेष ज़ोर दिया गया, जिसे गोवा ने जमीनी स्तर पर लागू किया।
‘उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ (ULLAS : Nav Bharat Saaksharta Karyakram):
- एक केंद्र प्रायोजित योजना है
- भारत सरकार ने 2022-2027 की अवधि के लिए लागू किया है।
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है
- इसका उद्देश्य देश के 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के उन वयस्कों को साक्षर बनाना है, जो औपचारिक स्कूली शिक्षा से वंचित रह गए हैं।
मुख्य उद्देश्य :
- बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता (Foundational Literacy & Numeracy) प्रदान करना
- महत्वपूर्ण जीवन कौशल (Critical Life Skills) जैसे वित्तीय, डिजिटल, स्वास्थ्य, बाल देखभाल, पारिवारिक कल्याण आदि सिखाना
- बुनियादी शिक्षा (Basic Education) : प्राथमिक, माध्यमिक और समकक्ष शिक्षा
- व्यावसायिक कौशल विकास (Vocational Skills) : स्थानीय रोजगार के लिए
- सतत शिक्षा (Continuing Education) : कला, विज्ञान, तकनीक, संस्कृति, खेल आदि में वयस्कों के लिए पाठ्यक्रम
कार्यान्वयन की प्रमुख बातें :
- स्वयंसेवा आधारित मॉडल: यह योजना स्वयंसेवकों के माध्यम से लागू की जाती है, जो शिक्षार्थियों को मार्गदर्शन और प्रशिक्षण देते हैं।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म: ‘ULLAS’ मोबाइल ऐप, दीक्षा पोर्टल व अन्य डिजिटल साधनों के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण, अध्ययन और मूल्यांकन की सुविधा उपलब्ध है।
- प्रमाणपत्र: साक्षरता प्रमाणपत्र NIOS और DSEL द्वारा संयुक्त रूप से दिए जाते हैं
- लक्ष्य: 2022-27 के दौरान 5 करोड़ वयस्कों को साक्षर बनाना (प्रति वर्ष 1 करोड़ लक्ष्य)
- वित्तीय परिव्यय: कुल 1037.90 करोड़ रुपये (केंद्र: 700 करोड़, राज्य: 337.90 करोड़)
विशेषताएँ :
- समावेशिता: सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के निरक्षरों को कवर करता है।
- सामाजिक जिम्मेदारी: ‘कर्तव्य बोध’ की भावना और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देता है।
- सतत प्रगति: शिक्षार्थियों और शिक्षकों को डिजिटल प्रमाणपत्र, जिससे आत्मविश्वास और निरंतर सीखने की प्रेरणा मिलती है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) :
परिचय :
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित की गई थी।
- यह नीति 1986 में जारी हुई पिछली शिक्षा नीति के बाद पहली बार व्यापक बदलाव लेकर आई है।
- नीति का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना और शिक्षा को समावेशी, समग्र, लचीला तथा 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना है।
मुख्य उद्देश्य :
- 2030 तक 100% सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio) प्राप्त करना।
- शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 6% तक सार्वजनिक व्यय सुनिश्चित करना।
- गुणवत्तापूर्ण, समावेशी और समान शिक्षा सबके लिए उपलब्ध कराना।
- छात्रों के सर्वांगीण विकास (शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, नैतिक) पर बल देना।
- तकनीकी, व्यावसायिक और कौशल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना।
प्रमुख विशेषताएँ :
क्षेत्र | विशेषताएँ |
स्कूली शिक्षा
|
- 5+3+3+4 संरचना (3-18 वर्ष की आयु के लिए)
- कक्षा 5 तक मातृभाषा/स्थानीय भाषा में शिक्षा पर बल - प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ECCE) पर ज़ोर - ड्रॉपआउट दर कम करना और सार्वभौमिक शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करना |
उच्च शिक्षा
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- मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम
- स्नातक कोर्स 3 या 4 वर्ष के, बीच में छोड़ने पर सर्टिफिकेट/डिप्लोमा - भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (HECI) के तहत एकल नियामक निकाय - रिसर्च और नवाचार को बढ़ावा |
भाषा नीति
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- तीन-भाषा फॉर्मूला
- कम-से-कम दो भारतीय भाषाएँ अनिवार्य - मातृभाषा को प्राथमिकता |
शिक्षक प्रशिक्षण
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- शिक्षकों के लिए बेहतर प्रशिक्षण और मूल्यांकन व्यवस्था
- शिक्षकों की योग्यता और क्षमता विकास पर ज़ोर |
अन्य पहलें
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- डिजिटल शिक्षा, वर्चुअल लैब्स, टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन
- व्यावसायिक शिक्षा का स्कूली स्तर से समावेश - समावेशी और समान शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान |
संरचना (5+3+3+4) :
- 5 वर्ष: फाउंडेशनल स्टेज (3 साल प्री-प्राइमरी + कक्षा 1-2)
- 3 वर्ष: प्रिपरेटरी स्टेज (कक्षा 3-5)
- 3 वर्ष: मिडिल स्टेज (कक्षा 6-8)
- 4 वर्ष: सेकेंडरी स्टेज (कक्षा 9-12)
मिज़ोरम की साक्षरता दर:
- मिज़ोरम ने वर्ष 2025 में 98.2% साक्षरता दर के साथ भारत का प्रथम "पूर्ण साक्षर राज्य" (Fully Literate State) बनने का गौरव प्राप्त किया ।
- यह उपलब्धि शिक्षा मंत्रालय द्वारा निर्धारित 95% के मानक को पार करने के बाद मिली है।
- PLFS 2023-24 सर्वेक्षण के अनुसार, मिज़ोरम की साक्षरता दर 98.2% दर्ज की गई है।
- 2011 की जनगणना में मिज़ोरम की साक्षरता दर 91.33% थी, जो अब 98.2% तक पहुँच गई है।
- मिज़ोरम ने केरल और त्रिपुरा जैसे राज्यों को पीछे छोड़ते हुए यह स्थान हासिल किया है।
- ULLAS – नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत राज्य ने वयस्क शिक्षा, कार्यात्मक साक्षरता, डिजिटल और वित्तीय साक्षरता पर विशेष ध्यान दिया।
- साक्षरता की परिभाषा अब केवल पढ़ना-लिखना ही नहीं, बल्कि समझ के साथ गणना, डिजिटल और जीवन कौशल भी शामिल करती है।
- मिज़ोरम सरकार अब डिजिटल साक्षरता और सतत शिक्षा की दिशा में नए कदम उठा रही है।
नोट :- .केरल ने 2011 की जनगणना और उसके बाद के वर्षों में लगातार सबसे अधिक साक्षरता दर (93.91%) बनाए रखी थी, लेकिन 2025 में मिज़ोरम ने केरल को पीछे छोड़ दिया है