21 July, 2025
भारत पूर्वानुमान प्रणाली (Bharat Forecast System - BFS)
Mon 26 May, 2025
संदर्भ :
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार ने 26 मई 2025 को एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन (6 किलोमीटर) संख्यात्मक वैश्विक मॉडल भारत पूर्वानुमान प्रणाली (Bharat Forecasting System - BFS) का उद्घाटन किया।
मुख्य बिन्दु :
- इसका उद्घाटन केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में किया।
- इस प्रणाली को भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे द्वारा विकसित किया गया है।
- यह प्रणाली 6 किलोमीटर के उच्च-रिज़ॉल्यूशन के साथ विकसित की गई है, जो इसे विश्व में सबसे सटीक मौसम पूर्वानुमान मॉडल बनाती है।
- इसका उद्देश्य पंचायत स्तर तक सटीक और स्थानीयकृत मौसम पूर्वानुमान प्रदान करना है, जिससे कृषि, आपदा प्रबंधन, जल संसाधन और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में बेहतर निर्णय लिए जा सकें।
मुख्य विशेषताएँ :
उच्च-रिज़ॉल्यूशन (6 किमी)
- BFS 6 किलोमीटर के ग्रिड रिज़ॉल्यूशन पर काम करता है, जो पहले के वैश्विक पूर्वानुमान मॉडल (12 किमी ग्रिड) की तुलना में दोगुना सटीक है।
- यह विश्व में सबसे उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाला मौसम पूर्वानुमान मॉडल है, जो स्थानीय स्तर पर मौसम की सूक्ष्म भविष्यवाणी को संभव बनाता है।
पंचायत स्तर पर मौसम भविष्यवाणी
- यह प्रणाली पंचायत स्तर तक सटीक मौसम पूर्वानुमान प्रदान करेगी, जिससे ग्रामीण समुदायों, विशेष रूप से किसानों को लाभ होगा।
- यह पहल पंचायती राज मंत्रालय, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संयुक्त पहल है।
नाउकास्ट (2 घंटे का पूर्वानुमान)
- BFS अगले 2 घंटों के लिए 'नाउकास्ट' प्रदान करेगा, जो त्वरित और स्थानीय मौसम परिवर्तनों (जैसे बादल फटना, तूफान) की भविष्यवाणी में सहायक होगा।
- यह 40 Doppler Weather Radars से डेटा प्राप्त करता है, और भविष्य में 100 रडार तक विस्तार की योजना है।
सुपरकंप्यूटर 'अर्का'
- BFS सुपरकंप्यूटर 'अर्का' (11.77 पेटाफ्लॉप्स, 33 पेटाबाइट्स स्टोरेज) द्वारा संचालित है, जो पहले के 'प्रत्युष' सुपरकंप्यूटर की तुलना में तेज़ डेटा प्रोसेसिंग (10 घंटे से घटकर 4 घंटे) प्रदान करता है।
आपदा प्रबंधन और अन्य लाभ
- यह प्रणाली चक्रवात, भारी बारिश, हीटवेव, और अन्य चरम मौसम घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी करेगी, जो आपदा जोखिम में कमी, कृषि, जल संसाधन प्रबंधन, और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
विश्लेषण:
1. तकनीकी उन्नति और आत्मनिर्भरता
- महत्व: BFS भारत का पहला स्वदेशी उच्च-रिज़ॉल्यूशन मौसम मॉडल है, जो वैश्विक मॉडलों (जैसे अमेरिका के GFS या CFS) पर निर्भरता को कम करता है। यह भारत की वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
- तुलना: पहले के मॉडल (12 किमी ग्रिड) की तुलना में BFS का 6 किमी रिज़ॉल्यूशन अधिक स्थानीयकृत और सटीक भविष्यवाणी प्रदान करता है। यह विशेष रूप से बादल फटने जैसी स्थानीय घटनाओं की भविष्यवाणी में उपयोगी है, जो पहले कठिन थी।
- सुपरकंप्यूटर अर्का: 'अर्का' की उच्च गणना शक्ति और डेटा स्टोरेज क्षमता BFS को तेज और विश्वसनीय बनाती है, जिससे मौसम पूर्वानुमान का समय कम हो गया है।
2. पंचायत स्तर पर प्रभाव
- कृषि और ग्रामीण समुदाय: पंचायत स्तर पर मौसम भविष्यवाणी से किसानों को फसल बुआई, सिंचाई, और कटाई के लिए बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी। यह फसल उत्पादन और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देगा।
- ई-ग्रामस्वराज और मेरी पंचायत ऐप: ये डिजिटल प्लेटफॉर्म ग्रामीण समुदायों को मौसम अपडेट प्रदान करेंगे, जिससे जमीनी स्तर पर आपदा तैयारी और योजना में सुधार होगा।
3. आपदा प्रबंधन
- सटीक चेतावनियाँ: BFS चरम मौसम घटनाओं (चक्रवात, भारी बारिश, हीटवेव) की सटीक भविष्यवाणी करेगा, जिससे आपदा प्रबंधन में सुधार होगा और जीवन-क्षति को कम किया जा सकेगा।
- नाउकास्ट: 2 घंटे की अल्पकालिक भविष्यवाणी स्थानीय प्रशासन को त्वरित कार्रवाई (जैसे बाढ़ या तूफान चेतावनी) के लिए सक्षम बनाएगी।
4. आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
- कृषि उत्पादकता: सटीक मौसम पूर्वानुमान से किसानों को मौसम के अनुसार फसल प्रबंधन में मदद मिलेगी, जिससे आर्थिक नुकसान कम होगा।
- सार्वजनिक सुरक्षा: स्थानीय स्तर पर मौसम चेतावनियाँ जनता को सुरक्षित स्थानों पर जाने और नुकसान से बचने में मदद करेंगी।
- पर्यावरणीय प्रबंधन: जल संसाधन प्रबंधन और बाढ़ नियंत्रण में BFS का योगदान महत्वपूर्ण होगा।
5. वैश्विक स्थिति
- BFS का 6 किमी रिज़ॉल्यूशन इसे विश्व में सबसे उन्नत मौसम मॉडल बनाता है। यह भारत को मौसम विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करता है।
- यह भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करता है और वैश्विक मंचों पर भारत की साख बढ़ाता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences - MoES) :
- स्थापना: जुलाई 2006 में, भारत सरकार ने पृथ्वी विज्ञान विभाग को मंत्रालय का दर्जा देकर इसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय नाम दिया।
प्रमुख कार्य और दायित्व :-
मौसम और जलवायु पूर्वानुमान : भारतीय मौसम विभाग (IMD) के माध्यम से, मानसून, चक्रवात, हीटवेव आदि की भविष्यवाणी
- भूकंप और सूनामी की निगरानी : राष्ट्रीय सूनामी चेतावनी केंद्र और भूकंपीय निगरानी प्रणाली का संचालन
- समुद्र विज्ञान और तटीय निगरानी : समुद्र की स्थिति, मछली पकड़ने के संभावित क्षेत्र की जानकारी
- अंतरिक्ष से पृथ्वी का अवलोकन: उपग्रह और रडार के माध्यम से मौसम और समुद्री डेटा संग्रह
- वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहन : वैज्ञानिक संस्थानों और अनुसंधान केंद्रों के ज़रिए गहन अध्ययन
प्रमुख संगठन:
संस्थान का नाम | स्थापना वर्ष | मुख्यालय | प्रमुख कार्य/भूमिका |
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) | 1875 | नई दिल्ली | मौसम और जलवायु पूर्वानुमान, चक्रवात चेतावनी, मानसून निगरानी, BFS के तहत पंचायत स्तर पर पूर्वानुमान |
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) | 1962 | पुणे, महाराष्ट्र | मानसून अनुसंधान, जलवायु मॉडलिंग, BFS जैसे उन्नत मॉडल का विकास, सुपरकंप्यूटर 'अर्का' का उपयोग |
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) | 2006 | नई दिल्ली | भूकंपीय निगरानी, भूकंप जोखिम मूल्यांकन, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, भूकंपीय जोखिम नक्शे का अपडेट |
राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (NIO) | 1966 | डोना पाउला, गोवा | समुद्री जैव विविधता, समुद्री संसाधन, ब्लू इकोनॉमी, गहरे समुद्र में खनिज अन्वेषण |
राष्ट्रीय अंटार्कटिक और समुद्र अनुसंधान केंद्र (NCAOR) | 1998 | वास्को-दा-गामा, गोवा | अंटार्कटिका में भारत के अनुसंधान स्टेशन (मैत्री, भारती) का प्रबंधन, ध्रुवीय जलवायु अध्ययन, समुद्री अनुसंधान |
नोट : राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS): इसकी शुरुआत 1964 में 'इंडियन मीटरोलॉजिकल डिपार्टमेंट' के भूकंप प्रभाग के रूप में हुई थी, लेकिन 2006 में इसे स्वतंत्र 'NCS' के रूप में स्थापित किया गया।