20 May, 2025
चक्रवातों का अध्ययन और जलवायु परिवर्तन से बदलते स्वरूप
Thu 22 May, 2025
संदर्भ
चक्रवात पृथ्वी के सबसे शक्तिशाली प्राकृतिक तूफानों में से एक हैं। हालांकि ये प्राकृतिक घटनाएँ हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण इनकी तीव्रता और भौगोलिक सीमा में तेजी से बदलाव देखा जा रहा है। 2025 में स्विट्ज़रलैंड के ETH ज़्यूरिख संस्थान द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है कि यदि वर्तमान उत्सर्जन दर बनी रही तो विश्व के कई क्षेत्र चक्रवातों से और अधिक बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।
अध्ययन के प्रमुख तथ्य
ETH ज़्यूरिख के अध्ययन में SSP5-8.5 जलवायु परिदृश्य के तहत चक्रवातों के प्रभावों का मूल्यांकन किया गया है। यह वह परिदृश्य है जिसमें दुनिया जीवाश्म ईंधनों का तेजी से उपयोग करती है और विकिरणीय बल (radiative forcing) 2100 तक 8.5 W/m² तक पहुँच जाता है।
चक्रवातों की बदलती प्रवृत्ति
- नए क्षेत्रों में अधिक बार और अधिक तीव्र चक्रवात आने की संभावना।
- सुदृढ़ पारिस्थितिकी क्षेत्रों में पुनर्प्राप्ति समय 19 वर्षों से घटकर 12 वर्ष तक हो सकता है।
- 290 पारिस्थितिकी क्षेत्र वर्तमान में प्रभावित हैं, जबकि 200 नए क्षेत्र और 26 सुदृढ़ क्षेत्र अब अधिक संवेदनशील माने जा रहे हैं।
- पूर्वी एशिया, मध्य अमेरिका, कैरिबियन, मेडागास्कर और ओशिनिया में जोखिम सबसे अधिक बढ़ने की संभावना है।
मैंग्रोव व पारिस्थितिकीय तंत्र पर प्रभाव
दूसरे अध्ययन में बताया गया है कि:
- 2100 तक 56% मैंग्रोव क्षेत्र उच्च से अत्यधिक जोखिम में होंगे।
- दक्षिण-पूर्व एशिया में यह खतरा सबसे अधिक है (52–78% क्षेत्र)।
- मैंग्रोव तटीय रक्षा, कार्बन भंडारण और जैव विविधता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में चक्रवातों के नामकरण क्षेत्र
क्षेत्र | जिम्मेदार एजेंसी | उदाहरण |
उत्तर अटलांटिक | NHC (अमेरिका) | कैटरीना, सैंडी |
पूर्वी उत्तर प्रशांत | NHC (अमेरिका) | पैट्रिशिया, डोरा |
पश्चिमी उत्तर प्रशांत | JMA (जापान) | हैयान, गोनी |
उत्तरी हिंद महासागर | IMD (भारत) | फानी, अम्फान |
दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर | Meteo-France | इदाई, केनेथ |
ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्र | ऑस्ट्रेलियन मौसम विभाग | यासी, डेबी |
दक्षिण प्रशांत | फिजी मौसम विभाग | विंस्टन, पैम |
महत्वपूर्ण संगठन और उनका कार्यक्षेत्र (चक्रवात निगरानी एवं नामकरण)
संगठन | क्षेत्र | कार्य |
IMD (भारत) | उत्तर हिंद महासागर | चक्रवात की निगरानी, चेतावनी और नामकरण |
RSMCs | वैश्विक | क्षेत्रीय चेतावनी और समन्वय |
NOAA | अमेरिका | अटलांटिक और प्रशांत क्षेत्र की निगरानी |
JMA | जापान | पश्चिमी प्रशांत के लिए चक्रवात पूर्वानुमान |
WMO | वैश्विक | वैश्विक मानकों और नामकरण की निगरानी |
नीतिगत सुझाव और आगे की राह
- जोखिम आकलन में पुनर्प्राप्ति समय को शामिल किया जाए।
- मैंग्रोव संरक्षण को जलवायु अनुकूलन रणनीति में प्राथमिकता दी जाए।
- जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम कर SSP5-8.5 परिदृश्य से बचा जाए।
- नवीन और लचीले शहरी नियोजन की आवश्यकता।
निष्कर्ष
ETH ज़्यूरिख के इस अध्ययन से स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन चक्रवातों की आवृत्ति, स्थान और प्रभाव को तेजी से बदल रहा है। भारत सहित सभी देशों को अब अपनी आपदा प्रबंधन रणनीतियों को इन बदलते जोखिमों के अनुसार तैयार करना होगा और पारिस्थितिकीय संरक्षण को प्राथमिकता देनी होगी।