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58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार

Sat 17 May, 2025

संदर्भ :

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 16 मई, 2025 नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया।

विजेता :

58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 2023 के लिए दो उत्कृष्ट साहित्यकारों को प्रदान किया गया:

  • गुलज़ार (संपूर्ण सिंह कलरा): प्रसिद्ध उर्दू कवि और हिंदी सिनेमा के गीतकार, जिन्हें उनके साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
  • जगद्गुरु रामभद्राचार्य: संस्कृत साहित्य में उल्लेखनीय कार्यों के लिए जाने जाते हैं, विशेष रूप से आध्यात्मिक और शैक्षिक क्षेत्र में। (स्वास्थ्य कारणों से समारोह में शामिल नहीं हो सके)

 यह पुरस्कार दूसरी बार संस्कृत के लिये तथा पाँचवीं बार उर्दू के लिये दिया गया ।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य: संस्कृत के प्रणेता :

  • प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक नेता, शिक्षक और लेखक हैं।
  • रामभद्राचार्य का जन्म गिरिधर मिश्रा के रूप में हुआ था और उनके प्रारंभिक वर्षों के दौरान उनके दादा ने घर पर ही शिक्षा प्राप्त की थी।
  • आठ वर्ष की आयु में ही उन्हें पूरी भगवत गीता और पूरी रामचरितमानस याद हो गई थी।
  • चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख हैं और उन्होंने चार महाकाव्यों सहित 240 से अधिक किताबें और ग्रंथ लिखे हैं।
  • 1982 से रामानंद संप्रदाय के तहत वर्तमान चार जगद्गुरु रामानंदाचार्य में से एक के रूप में पद संभाल रहे हैं
  • ट्रेकोमा के कारण दो महीने की उम्र से अंधे होने के बावजूद, रामभद्राचार्य एक बहुभाषी हैं जो 22 भाषाएँ बोल सकते हैं।
  • वह संस्कृत, हिंदी, अवधी और मैथिली सहित कई भारतीय भाषाओं के कवि और लेखक भी हैं।

गुलज़ार (संपूर्ण सिंह कलरा):

  • हिंदी सिनेमा की एक प्रसिद्ध हस्ती और एक उच्च सम्मानित उर्दू कवि हैं।
  • प्रमुख पुरस्‍कार : उर्दू के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार : 2002, दादा साहब फाल्के पुरस्कार : 2013, पद्म भूषण : 2004
  • उल्लेखनीय कार्यों में शामिल : फिल्म "स्लमडॉग मिलियनेयर" का गाना "जय हो" (2009 में ऑस्कर और 2010 में ग्रैमी पुरस्कार जीता)

ज्ञानपीठ पुरस्कार:

  • सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है, जिसकी स्थापना 1961 में भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट द्वारा की गई थी।
  • प्रथम पुरस्कार 1965 में मलयालम कवि जी. शंकर कुरुप को उनकी कृति ओटक्कुष़ल के लिए दिया गया
  • उद्देश्य: भारतीय भाषाओं में साहित्यिक उत्कृष्टता को सम्मानित करना
  • पुरस्कार राशि: वर्तमान में 11 लाख रुपये, वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति-पत्र

चयन प्रक्रिया एवं पात्रता :

  • भाषाएँ: भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची की 22 भाषाएँ (2013 से अंग्रेजी भी शामिल)
  • चयन मानदंड: लेखक का समग्र साहित्यिक योगदान (1982 से पहले एकल कृति के लिए दिया जाता था)
  • भाषा सलाहकार समिति और चयन बोर्ड द्वारा मूल्यांकन
  • अयोग्यता: मरणोपरांत पुरस्कार नहीं दिया जाता

उल्लेखनीय विजेता:

  • सुमित्रानंदन पंत (1968, हिंदी), महादेवी वर्मा (1982, हिंदी)
  • 2023 के विजेता: संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य और उर्दू कवि गुलज़ार
  • 2024 के विजेता: हिंदी लेखक विनोद कुमार शुक्ल (छत्तीसगढ़ के पहले विजेता)

संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल हैं :

  1. असमिया (Assamese)
  2. बंगाली (Bengali)
  3. गुजराती (Gujarati)
  4. हिंदी (Hindi)
  5. कन्नड़ (Kannada)
  6. कश्मीरी (Kashmiri)
  7. कोंकणी (Konkani)
  8. मैथिली (Maithili)
  9. मलयालम (Malayalam)
  10. मणिपुरी (Manipuri)
  11. मराठी (Marathi)
  12. नेपाली (Nepali)
  13. उड़िया (Odia)
  14. पंजाबी (Punjabi)
  15. संस्कृत (Sanskrit)
  16. संथाली (Santali)
  17. सिंधी (Sindhi)
  18. तमिल (Tamil)
  19. तेलुगु (Telugu)
  20. उर्दू (Urdu)
  21. बोडो (Bodo)
  22. डोगरी (Dogri)

कुछ मुख्य तथ्य:

  • प्रारंभ में (1950 में) केवल 14 भाषाएँ शामिल थीं
  • Sindhi भाषा को 1967 में जोड़ा गया (21वाँ संशोधन)
  • Konkani, Manipuri, Nepali को 1992 में जोड़ा गया (71वाँ संशोधन)
  • Bodo, Dogri, Maithili, Santhali को 2003 में जोड़ा गया (92वाँ संशोधन)

 

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