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"भारतीय MSME क्षेत्र को समझना: प्रगति और चुनौतियां" रिर्पोट : SIDBI

Wed 14 May, 2025

संदर्भ :

  • भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) ने "भारतीय MSME क्षेत्र को समझना: प्रगति और चुनौतियां" रिर्पोट जारी की है, जिसके अनुसार, व्यापक नीतिगत पहलों के बावजूद MSME क्षेत्र को जरूरत पड़ने पर पर्याप्त ऋण उपलब्ध नहीं हो पाता है।

प्रमुख निष्कर्ष:

  • औपचारिकता में वृद्धि: मार्च 2025 तक उद्यम पंजीकरण (Udyam Registration) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2.5 करोड़ से बढ़कर 6.2 करोड़ हो गई है। हालांकि, माइक्रो उद्यमों में 35% अभी भी पंजीकृत नहीं हैं।
  • ऋण की पहुंच: सर्वेक्षण में MSMEs ने समय पर और पर्याप्त ऋण की कमी को प्रमुख चुनौती बताया है। माइक्रो उद्यमों में 12% अभी भी अनौपचारिक स्रोतों से ऋण लेते हैं, जबकि छोटे और मध्यम उद्यमों में यह प्रतिशत कम है।
  • डिजिटल ऋण और भुगतान: 18% MSMEs डिजिटल ऋण प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं और 90% डिजिटल भुगतान स्वीकार करते हैं, जो क्रेडिट पहुंच और वित्तीय समावेशन के लिए सकारात्मक संकेत हैं।
  • क्रेडिट गैप: MSME क्षेत्र में लगभग 24% या ₹30 लाख करोड़ का क्रेडिट गैप मौजूद है, जो सेवा क्षेत्र में 27% और महिला स्वामित्व वाली MSMEs में 35% तक अधिक है।
  • महिला उद्यमिता: 26.2% स्वामित्व वाली MSMEs महिलाओं के हैं, जिनमें 76% को ऋण की पहुंच है, लेकिन वे उच्च प्रतिस्पर्धा और क्रेडिट बाधाओं का सामना करती हैं।
  • बाजार पहुंच: लगभग 70% MSMEs पारंपरिक विपणन तरीकों पर निर्भर हैं, जिससे उनकी विस्तार क्षमता और प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होती है। ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग के बेहतर उपयोग से सुधार संभव है।
  • निर्यात क्षमता: MSMEs का निर्यात हिस्सा FY23 से FY24 तक 43.6% से बढ़कर 45.7% हुआ है, लेकिन आपूर्ति श्रृंखला, क्रेडिट और प्रतिस्पर्धा चुनौतियां बनी हुई हैं।
  • कुशल श्रम की कमी: लगभग 25% MSMEs ने कुशल श्रम की कमी को प्रमुख चुनौती बताया है, विशेषकर रक्षा उपकरण, रेडीमेड गारमेंट्स, होटल, टाइल्स और सैनिटरीवेयर क्षेत्रों में।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी अंतर: अपर्याप्त बुनियादी ढांचा और तकनीकी अपनाने में कमी उत्पादकता और प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करती है, खासकर ऑटो कंपोनेंट्स, आयरन एंड स्टील, और ट्रांसपोर्ट एवं लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में।
  • स्थिरता प्रयास: एक तिहाई से अधिक MSMEs ने स्थायी प्रथाओं को अपनाया है, जिनमें 31% ऊर्जा-कुशल प्रणालियों और 21% नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करते हैं, लेकिन 33% ने जागरूकता की कमी को बाधा बताया है।

 

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