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ब्रह्मोस मिसाइल इकाई का उद्घाटन और सामरिक महत्व

Mon 12 May, 2025

संदर्भ :

  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 मई 2025 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल की अत्याधुनिक उत्पादन इकाई (BrahMos Missile Production Unit) का उद्घाटन किया।
  • यह यूनिट उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लखनऊ नोड पर स्थापित की गई है।

इकाई की विशेषताएँ:

  • निर्माण लागत: 300 करोड़ रुपये
  • क्षेत्रफल: 80 हेक्टेयर
  • उत्पादन क्षमता: प्रति वर्ष 80 से 100 ब्रह्मोस मिसाइलें
  • मिसाइल की मारक क्षमता: 290 से 400 किलोमीटर
  • अधिकतम गति: मैक 2.8 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज)
  • यह इकाई भारत-रूस संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा संचालित होगी।

रणनीतिक महत्व:

  • यह भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है।
  • ब्रह्मोस मिसाइलें थल, जल और वायु-तीनों प्लेटफॉर्म से दागी जा सकती हैं और इनका 'फायर एंड फॉरगेट' गाइडेंस सिस्टम अत्याधुनिक है।
  • उद्घाटन ऐसे समय हुआ है जब भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव है, और हाल ही में "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान ब्रह्मोस मिसाइलों की ताकत देखने को मिली।

पृष्ठभूमि:

  • इस यूनिट की आधारशिला 2021 में रखी गई थी।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 के वैश्विक निवेशक सम्मेलन में डिफेंस कॉरिडोर की घोषणा की थी।

ब्रह्मोस मिसाइल :

  • एक लंबी दूरी की परमाणु-सक्षम सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली है।
  • इसे भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस के एनपीओ मशिनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में विकसित किया गया है।
  • इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्क्वा नदियों के नाम पर रखा गया है।
  • 12 जून 2001 को ब्रह्मोस का पहला सफल परीक्षण हुआ।
  • मिसाइल को उड़ीसा के चांदीपुर तट पर अंतरिम परीक्षण रेंज में एक भूमि-आधारित लांचर से प्रक्षेपित किया गया था।

कार्य:

  • ब्रह्मोस एक बहु-भूमिका वाली मिसाइल है जिसे विभिन्न लक्ष्यों को भेदने के लिए डिज़ाइन किया गया है
  • इनमें शामिल हैं:
  • भूमि-आधारित लक्ष्य: दुश्मन के कमांड सेंटर, बंकर, पुल और अन्य सामरिक प्रतिष्ठान
  • समुद्री लक्ष्य: युद्धपोत और अन्य नौसैनिक जहाजों
  • हवाई लक्ष्य: (कुछ संस्करणों में, हालांकि मुख्य रूप से सतह-से-सतह भूमिका में)
  • इसकी मुख्य कार्यक्षमता उच्च गति, सटीक निशाना और विभिन्न प्लेटफार्मों से लॉन्च करने की क्षमता में निहित है।
  • "दागो और भूलो" सिद्धांत पर काम करने के कारण, एक बार लॉन्च होने के बाद इसे आगे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती है।

विभिन्न संस्करण:

संस्करण लॉन्च प्लेटफॉर्म रेंज (किमी) प्रमुख विशेषता
ब्लॉक I भूमि, युद्धपोत 290 (बाद में 400) मूल संस्करण
वायु-लॉन्च (A) Su-30MKI ~400 हल्का, वायुसेना हेतु
विस्तारित रेंज भूमि, युद्धपोत 450–800 बढ़ी हुई रेंज
ब्रह्मोस-एनजी भूमि, वायु, पनडुब्बी ~290–300 हल्का, स्टील्थ, AESA रडार
ब्रह्मोस-II सभी संभावित प्लेटफॉर्म ~290 (विकासाधीन) हाइपरसोनिक (Mach 7 अनुमानित)

महत्व:

  • ब्रह्मोस मिसाइल भारत के लिए कई तरह से महत्वपूर्ण है:
  • रक्षा क्षमता में वृद्धि: यह भारतीय सशस्त्र बलों को लंबी दूरी तक सटीक हमला करने की क्षमता प्रदान करता है, जिससे उनकी निवारक क्षमता मजबूत होती है।
  • रणनीतिक लाभ: इसकी उच्च गति और कम रडार सिग्नेचर इसे दुश्मन के रक्षा प्रणालियों के लिए भेदना मुश्किल बनाते हैं।
  • बहुमुखी प्रतिभा: इसे विभिन्न प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है, जो परिचालन लचीलापन प्रदान करता है।
  • आत्मनिर्भरता को बढ़ावा: भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है और आयात पर निर्भरता कम करता है।
  • निर्यात क्षमता: ब्रह्मोस मिसाइल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी रुचि है, जिससे भारत एक प्रमुख हथियार निर्यातक के रूप में उभर सकता है। फिलीपींस को इसका पहला बैच 2024 में दिया गया था।
  • औद्योगिक विकास: इसके उत्पादन से रक्षा औद्योगिक गलियारों का विकास होता है और रोजगार सृजन होता है, जैसा कि हाल ही में लखनऊ में उद्घाटन की गई इकाई से स्पष्ट है।

डिफेंस कॉरिडोर :

  • एक विशेष औद्योगिक क्षेत्र होता है जिसे सैन्य उपकरणों, हथियारों, रक्षा प्रणालियों के निर्माण, अनुसंधान और विकास के लिए विकसित किया जाता है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य देश की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाना और 'मेक इन इंडिया' अभियान को मजबूती देना है।

प्रमुख उद्देश्य :

  • रक्षा उपकरणों और हथियारों का स्वदेशी उत्पादन बढ़ाना
  • रक्षा क्षेत्र में विदेशी निर्भरता कम करना
  • रक्षा बलों की परिचालन क्षमता को बढ़ाना
  • स्थानीय उद्योगों, MSME, पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर को रक्षा उत्पादन से जोड़ना
  • रोजगार और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना

भारत में डिफेंस कॉरिडोर :

वर्तमान में भारत में दो प्रमुख डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर स्थापित किए जा रहे हैं:

उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारा (UPDIC):

  • घोषणा: 2018 में
  • नोडल एजेंसी: उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA)।
  • मुख्य नोड: लखनऊ, कानपुर, आगरा, अलीगढ़, झांसी और चित्रकूट।
  • हाल ही में लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण इकाई का उद्घाटन इस गलियारे के भीतर एक महत्वपूर्ण विकास है।
  • UPDIC का लक्ष्य पर्याप्त निवेश (₹50,000 करोड़ का लक्ष्य) आकर्षित करना और रोजगार के अवसर पैदा करना है।
  • यह निर्माताओं को भूमि लागत में छूट, स्टाम्प ड्यूटी छूट और पूंजी सब्सिडी सहित विभिन्न प्रोत्साहन प्रदान करता है।

तमिलनाडु रक्षा औद्योगिक गलियारा (TNDIC):

  • उद्घाटन: 2019
  • नोडल एजेंसी: तमिलनाडु औद्योगिक विकास निगम (TIDCO)
  • मुख्य नोड: चेन्नई, कोयंबटूर, होसुर, सलेम और तिरुचिरापल्ली
  • तमिलनाडु में एक मजबूत मौजूदा औद्योगिक आधार है और यह कई रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) और निजी उद्योगों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य है।
  • TNDIC भी निवेश आकर्षित करने और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रोत्साहन प्रदान करता है।

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