28 April, 2025
क्लोरपायरीफॉस पर प्रतिबंध
Mon 05 May, 2025
संदर्भ
भारत ने हाल ही में क्लोरपायरीफॉस नामक एक जहरीले कीटनाशक के वैश्विक प्रतिबंध का विरोध किया है। यह मुद्दा 28 अप्रैल से 9 मई, 2025 तक जिनेवा में आयोजित बासेल, रॉटरडैम और स्टॉकहोम (BRS) सम्मेलनों के दौरान उठाया गया, जहाँ इसे स्टॉकहोम कन्वेंशन के अनुच्छेद-A में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया था। जबकि कई देशों ने इसके पूर्ण प्रतिबंध का समर्थन किया, भारत ने भोजन सुरक्षा और विकल्पों की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए इस प्रस्ताव का विरोध किया।
स्टॉकहोम कन्वेंशन का उद्देश्य
स्टॉकहोम कन्वेंशन, जिसे 2001 में अपनाया गया और 2004 से लागू किया गया, एक वैश्विक पर्यावरणीय संधि है जिसका उद्देश्य है:
- स्थायी जैविक प्रदूषकों (Persistent Organic Pollutants - POPs) से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करना।
- हानिकारक रसायनों के उत्पादन और उपयोग को समाप्त या प्रतिबंधित करना।
- अनजाने उत्पादन और उत्सर्जन को कम करना।
क्लोरपायरीफॉस के बारे में
- प्रकार: ऑर्गेनोफॉस्फेट कीटनाशक
- भारत में पंजीकरण: 1977 से, कीटनाशक अधिनियम के अंतर्गत
- उपयोग: प्रमुख फसलों जैसे धान, कपास, गन्ना, सरसों, मूंगफली, बैंगन, प्याज, पत्तागोभी आदि पर
- स्वास्थ्य संबंधी खतरे:
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- तंत्रिका तंत्र को नुकसान, बच्चों में मानसिक विकास बाधित, तथा कैंसर के खतरे से जुड़ा हुआ
- एसिटाइलकोलिनएस्ट्रेस (acetylcholinesterase) एंजाइम को बाधित करता है, जो स्नायु कार्य के लिए आवश्यक है
- संपर्क मार्ग: सांस द्वारा, त्वचा द्वारा, या भोजन में अवशेषों के माध्यम से
- WHO द्वारा वर्गीकरण: मध्यम रूप से खतरनाक
- भारत में 2024 के एक अध्ययन में यह सबसे अधिक बार पाए जाने वाला कीटनाशक रहा (33% नमूनों में उपस्थिति)
सम्मेलन में भारत की स्थिति
भारत ने क्लोरपायरीफॉस को अनुच्छेद A (पूर्ण समाप्ति) में शामिल करने का विरोध किया।
- भारत के तर्क:
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- भोजन सुरक्षा पर खतरा: प्रतिबंध से फसल उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
- आर्थिक निर्भरता: कई प्रमुख फसलों में कीट नियंत्रण हेतु इसकी आवश्यकता है।
- विकल्पों की कमी: छोटे किसानों के पास सस्ते और प्रभावी विकल्प उपलब्ध नहीं हैं।
- भारत में स्थिति:
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- कम से कम 8 फसलों पर इसका अनुमोदित उपयोग।
- कृषि एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों क्षेत्रों में व्यापक उपयोग।
वैश्विक समर्थन
भारत के विरोध के बावजूद कई देशों ने क्लोरपायरीफॉस पर वैश्विक प्रतिबंध का समर्थन किया:
- यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, उरुग्वे, इराक, गयाना आदि
- कुछ देशों जैसे केन्या और कैमरून ने सीमित उपयोग के लिए विशेष छूट की मांग की।
इन देशों ने इसके लंबे समय तक रहने वाले पर्यावरणीय खतरे और स्वास्थ्य प्रभावों पर चिंता जताई।
वैज्ञानिक समिति की सिफारिश
2024 में स्थायी जैविक प्रदूषकों की समीक्षा समिति (POPRC) ने क्लोरपायरीफॉस को अनुच्छेद A में सूचीबद्ध करने की सिफारिश की। कारण:
- यह पर्यावरण में दीर्घकालिक रूप से बना रहता है।
- खाद्य श्रृंखला में जैव संचय करता है।
- दीर्घ दूरी तक फैलता है – हवा व जल के माध्यम से सीमाओं के पार भी पहुंच सकता है।
स्वास्थ्य और पर्यावरणीय जोखिम
- तंत्रिका तंत्र पर असर: एंजाइम निषेध के कारण स्नायु तंत्र को क्षति
- बच्चों के विकास पर प्रभाव: जन्म के समय कम वजन और मानसिक विकास में बाधा
- पर्यावरण में फैलाव: मिट्टी, जल और जीव-जंतुओं में जमा होता है
पृष्ठभूमि और तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य
- भारत ने पहले भी 2010 में एंडोसल्फान पर वैश्विक प्रतिबंध का विरोध किया था।
आज 40 से अधिक देश क्लोरपायरीफॉस को प्रतिबंधित कर चुके हैं।
भारत और चीन इसके सबसे बड़े उत्पादक हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य (परीक्षा उपयोगी)
विषय | विवरण |
संधि | स्टॉकहोम कन्वेंशन (Persistent Organic Pollutants) |
अपनाया गया | 2001 |
प्रभावी तिथि | 2004 |
अनुच्छेद A | सूचीबद्ध रसायनों के पूर्ण समाप्ति का आह्वान |
अन्य अनुच्छेद | B (प्रतिबंध), C (अनजाने उत्पादन में कमी) |
2025 BRS बैठक स्थल | जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड |
2025 में अन्य रसायन | MCPPs, LC-PFCAs (अन्य जहरीले रसायन) |