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भारत को HawkEye 360 तकनीक

Sun 04 May, 2025

संदर्भ

संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को HawkEye 360 नामक उपग्रह-आधारित निगरानी तकनीक की बिक्री को मंजूरी दी है, जिसकी अनुमानित लागत 131 मिलियन डॉलर है। यह निर्णय अमेरिका के विदेश विभाग द्वारा पारित किया गया है और इसका उद्देश्य भारत की समुद्री डोमेन जागरूकता (Maritime Domain Awareness - MDA) को मजबूत करना है, विशेषकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ते समुद्री तनावों की पृष्ठभूमि में।

HawkEye 360 क्या है?

HawkEye 360 एक अमेरिकी निजी कंपनी है, जिसका मुख्यालय हर्नडन, वर्जीनिया में है। यह कंपनी निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में उपग्रहों का एक नेटवर्क संचालित करती है जो रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सिग्नल्स को ट्रैक करते हैं — विशेष रूप से जहाजों, विमानों, वाहनों और तटीय प्रणालियों से निकलने वाले संकेतों को।

मुख्य क्षमताएं:

  • रियल टाइम में RF उत्सर्जनों की निगरानी।
  • बहु-स्तरीय सेंसर तकनीक:
    • इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल (EO) – दिन में ली गई तस्वीरें।
    • इन्फ्रारेड (IR) – थर्मल सिग्नेचर की पहचान।
    • सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) – सभी मौसमों और रोशनी की स्थितियों में कार्यशील।
  • AIS (Automatic Identification System) को बंद कर देने वाले उन "डार्क शिप्स" की भी पहचान कर लेने में सक्षम है।
  • AIS में बार-बार आने वाले अंतराल और RF गतिविधि के बीच संबंध बनाकर संदेहास्पद गतिविधियों की पहचान करता है।

भारत के लिए रणनीतिक महत्व:

1. समुद्री डोमेन जागरूकता में वृद्धि:

यह तकनीक भारत को 24x7 निगरानी की क्षमता देगी, जिससे वह अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में बेहतर निगरानी कर सकेगा।

2. मौजूदा प्रणालियों के साथ तालमेल:

यह तकनीक भारत की मौजूदा संपत्तियों को पूरक करेगी जैसे:

  • P8i पोसाइडन समुद्री गश्ती विमान।
  • सी गार्जियन ड्रोन।
  • सूचना संलयन केंद्र – हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR)।

3. अवैध गतिविधियों पर लगाम:

इस तकनीक से निम्न गतिविधियों की निगरानी की जा सकेगी:

  • तस्करी।
  • अवैध मछली पकड़ना।
  • मानव/मादक पदार्थ तस्करी।
  • समुद्री लूटपाट और गैरकानूनी सैन्य गतिविधियाँ।

4. तेज प्रतिक्रिया समय:

शंकास्पद RF गतिविधियों की त्वरित पहचान से भारत की नौसेना या तटरक्षक बल को तेजी से प्रतिक्रिया देने में मदद मिलेगी।

 

भूराजनीतिक और रणनीतिक परिप्रेक्ष्य:

1. भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग में मजबूती:

यह सौदा "प्रमुख रक्षा भागीदार (Major Defence Partner)" के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करता है और अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों के अनुरूप है।

2. क्वाड (QUAD) लक्ष्यों के साथ संरेखण:

HawkEye 360 बिक्री क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) की समुद्री डोमेन जागरूकता पहल (2022) के तहत आती है, जिसे 2024 में भारतीय महासागर तक विस्तारित किया गया था। यह साझेदारी क्षेत्रीय सुरक्षा और निगरानी को सहयोग देती है।

3. चीन की गतिविधियों का मुकाबला:

चीन द्वारा इंडो-पैसिफिक में बढ़ती समुद्री गतिविधियों और ग्रे ज़ोन रणनीतियों के बीच, यह तकनीक भारत को एक सक्रिय और सशक्त क्षेत्रीय शक्ति के रूप में उभारती है।

 

तकनीकी सहयोग और नागरिक उपयोग की संभावनाएं:

HawkEye 360 के डेटा का उपयोग केवल सैन्य उद्देश्यों तक सीमित नहीं है। यह मदद कर सकता है:

  • पर्यावरणीय निगरानी (जैसे तेल रिसाव या अवैध अपशिष्ट फेंकना)।
  • आपदा प्रबंधन और राहत कार्य।
  • व्यावसायिक नौवहन और लॉजिस्टिक्स में।

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