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शिलांग-सिलचर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर को मंजूरी

Thu 01 May, 2025

संदर्भ :

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 30 अप्रैल 2025 को मेघालय के मावलिंग्खुंग से असम के पंचग्राम तक 166.80 किलोमीटर लंबे ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर के विकास को मंजूरी दी है, जिसकी कुल लागत ₹22,864 करोड़ होगी।
  • यह परियोजना हाइब्रिड एन्युटी मोड (HAM) के तहत विकसित की जाएगी और इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत में कनेक्टिविटी, आर्थिक विकास और पर्यटन को बढ़ावा देना है।

परियोजना के मुख्य बिंदु:

  • लंबाई और मार्ग: यह चार लेन वाला ग्रीनफील्ड एक्सेस-नियंत्रित हाई-स्पीड कॉरिडोर मावलिंग्खुंग (शिलांग के पास) से पंचग्राम (सिलचर के पास) तक फैला होगा।
  • राज्यवार वितरण: कुल 166.80 किमी में से 144.80 किमी मेघालय में और 22.00 किमी असम में स्थित होगा।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग: यह कॉरिडोर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 06 (NH-6) का हिस्सा होगा।
  • निर्माण मोड: हाइब्रिड एन्युटी मोड (HAM) के तहत निर्माण किया जाएगा, जो सार्वजनिक-निजी भागीदारी का एक मॉडल है।

परियोजना के लाभ:

  • यातायात में सुधार: गुवाहाटी से सिलचर के बीच यात्रा की दूरी और समय में कमी आएगी, जिससे ट्रैफिक सेवा स्तर में सुधार होगा।
  • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी: त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर और असम के बराक घाटी क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार होगा, जिससे लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ेगी और परिवहन लागत में कमी आएगी।
  • औद्योगिक विकास: मेघालय के सीमेंट और कोयला उत्पादन क्षेत्रों से होकर गुजरने वाला यह कॉरिडोर राज्य के औद्योगिक विकास को समर्थन देगा।
  • पर्यटन को बढ़ावा: गुवाहाटी, शिलांग और सिलचर हवाई अड्डों से आने वाले पर्यटकों के लिए पूर्वोत्तर के पर्यटन स्थलों तक पहुंच में सुधार होगा।
  • यातायात भीड़ में कमी: मौजूदा NH-06 पर भीड़ में कमी आएगी और यह NH-27, NH-106, NH-206 और NH-37 जैसे प्रमुख मार्गों के साथ एकीकृत होगा।
  • सामाजिक-आर्थिक विकास: यह परियोजना मेघालय, असम, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा जैसे पांच पूर्वोत्तर राज्यों में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देगी, रोजगार सृजन करेगी और सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगी।

ग्रीनफील्ड कॉरिडोर :

  • किसी ऐसे क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे का विकास करना जहाँ पहले से कोई विकास नहीं है।
  • ग्रीनफील्ड कॉरिडोर योजनाएँ, विशेष रूप से राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर विकास कार्यक्रम (NICDP) के तहत, भारत के आर्थिक विकास और संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

भारत में बुनियादी ढांचे का विकास :

  • सार्वजनिक अवसंरचना आर्थिक विकास की रीढ़ है, जो कनेक्टिविटी, व्यापार और समग्र जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाती है।
  • विश्‍व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत ने पिछले दशक में अवसंरचना विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है।
  • भारत का कुल बुनियादी ढांचा व्यय तेजी से बढ़ा है, 2023-24 में बजट आवंटन बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपए हो गया है।

पीएम गति शक्ति :

  • शुरूआत : 2021
  • उद्देश्य: विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को एकीकृत कर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की समन्वित योजना और कुशल निष्पादन सुनिश्चित करना

प्रमुख विशेषताएँ:

  • मंत्रालयों का समन्वय: रेलवे और सड़क परिवहन सहित कुल 44 केंद्रीय मंत्रालय और 36 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश इस योजना से जुड़े हैं।
  • डिजिटल एकीकरण: अक्टूबर 2024 तक 1,614 डेटा लेयर्स को प्लेटफॉर्म पर एकीकृत किया गया है।
  • भारत की विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (LPI) रैंकिंग 2018 में 44 से 6 स्थान सुधरकर 2023 में 139 देशों में 38 हो गई है ।
  • पीएम गतिशक्ति के पूरक के रूप में, सितंबर 2022 में राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति शुरू की गई थी । अब तक 26 राज्यों ने अपनी राज्य-स्तरीय लॉजिस्टिक्स नीति को अधिसूचित किया है।

राजमार्ग और सड़क नेटवर्क :

  • भारत में विश्‍व का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है और इसके राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 1,46,145 किलोमीटर है
  • भारत सरकार ने भारतमाला परियोजना जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को बढ़ाने और मजबूत करने के लिए कई पहल की हैं, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी), पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विशेष त्वरित सड़क विकास कार्यक्रम (एसएआरडीपी-एनई) और कई अन्य चल रही परियोजनाएं शामिल हैं।
  • भारत का राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) नेटवर्क 2004 में 65,569 किमी से बढ़कर 2014 में 91,287 किमी और 2024 में 1,46,145 किमी हो गया।
  • चार या अधिक लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग खंडों की लंबाई 2014 में 18,371 किमी से 2.6 गुना बढ़कर 2024 में 48,422 किमी हो जाएगी।
  • परिचालन हाई-स्पीड कॉरिडोर 2014 में 93 किमी से बढ़कर 2024 में 2,138 किमी हो जाएगा ।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण की गति 2014-15 में 12.1 किमी/दिन से 2.8 गुना बढ़कर 2023-24 में 33.8 किमी/दिन हो गई ।

भारतमाला परियोजना :

  • 2017 में शुरू की गई भारतमाला परियोजना में लगभग 26,000 किलोमीटर लंबे आर्थिक गलियारों के विकास की परिकल्पना की गई है , जो स्वर्णिम चतुर्भुज (जीक्यू) और उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम (एनएस-ईडब्ल्यू) गलियारों के साथ मिलकर सड़कों पर अधिकांश माल ढुलाई करने की उम्मीद है।
  • नवंबर 2024 तक परियोजना के तहत कुल 18,926 किलोमीटर सड़कें पूरी हो चुकी हैं ।

नागरिक उड्डयन :

  • तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाज़ार – तेज़ी से बढ़ती मांग और सरकारी नीतियों के कारण
  • हवाई अड्डों की संख्या: 2014 में 74 → सितंबर 2024 तक 157
  • महिला पायलट: भारत में 15% से अधिक, जबकि वैश्विक औसत केवल 5%
  • एक दिन में यात्री रिकॉर्ड: 17 नवंबर 2024 को पहली बार 5 लाख से अधिक यात्री
  • उड़ान प्रशिक्षण संगठन (FTOs): जून 2016 में 29 → दिसंबर 2024 तक 38 (57 ठिकानों पर)
  • विमानों की संख्या: 2014 में ~400 → 2023 में 723, कोविड के बावजूद वृद्धि

क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (उड़ान) :

  • शुरुआत : 2016
  • 31 दिसंबर 2024 तक की उपलब्धियाँ:
  • यात्रियों को लाभ: 147.53 लाख
  • उड़ानों की संख्या: 2.93 लाख+
  • संचालित मार्ग: 619 RCS रूट
  • कनेक्टेड स्थान: 88 हवाई अड्डे, 13 हेलीपोर्ट, 2 जल हवाई अड्डे

भारत में शिपिंग और बंदरगाह क्षेत्र :

मुख्य उपलब्धियाँ (2014–2024):

  • कार्गो हैंडलिंग क्षमता: 800.5 मिलियन टन/वर्ष (2014) → 1,630 मिलियन टन/वर्ष (2024) 87% वृद्धि
  • अंतर्राष्ट्रीय शिपमेंट रैंकिंग: 44वां (2014) → 22वां (अब)
  • टर्न अराउंड टाइम (TRT): 94 घंटे (2013-14) → 48.06 घंटे (2023-24)
  • औसत बर्थ-डे आउटपुट: 52% सुधार (2014-15 की तुलना में)
  • समुद्री पर्यटन: क्रूज पर्यटक: 3.08 लाख, लाइटहाउस पर्यटक: 12.3 लाख (2022-23)

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