28 April, 2025
I4C धन शोधन निवारण अधिनियम में शामिल
Wed 30 Apr, 2025
संदर्भ :
- केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी कर भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 की धारा 66 के अंतर्गत शामिल किया है।
- इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य : साइबर-सक्षम वित्तीय अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी जटिल चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटना।
प्रमुख बिंदु :
धारा 66 (PMLA):
- प्रीवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (PMLA) की धारा 66(1)(ii) के अन्तर्गत केंद्र सरकार को सार्वजनिक हित में अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त सूचनाएँ अन्य अधिकारी या प्राधिकरणों के साथ साझा करने का अधिकार प्राप्त है।
- यह अधिसूचना इसी प्रावधान का प्रयोग करते हुए जारी की गई है। उदाहरणतः- पहले कई अन्य एजेंसियाँ जैसे SEBI, RBI, CCI, GST काउंसिल आदि को भी धारा 66(1)(ii) के तहत शामिल किया जा चुका है।
- अब I4C के शामिल होने से भी I4C सरकार द्वारा अधिकृत संस्थान बन गया है जिससे यह ED और अन्य सरकारी एजेंसियों से वित्तीय गुप्त सूचनाएँ प्राप्त कर सकेगा।
- PMLA धारा 66 का मूल उद्देश्य है कि ED को प्राप्त जाँच संबंधी सूचनाओं को जरूरत पड़ने पर अन्य सक्षम संस्थाओं के साथ साझा किया जा सके, जिससे अपराधों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो।
PMLA में I4C को शामिल करने के कारण :
- साइबर धोखाधड़ी में वृद्धि : देश में ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी की घटनाएँ तेजी से बढ़ रही हैं। इनमें डिजिटल अरेस्ट, मनी लॉन्ड्रिंग फ्रॉड आदि शामिल हैं, जो प्रायः जालसाजों द्वारा विभिन्न ऑनलाइन माध्यम (जैसे फर्जी वेबसाइट, सोशल मीडिया पेज, नकली विज्ञापन) से अंजाम दिए जाते हैं
- अंतरराष्ट्रीय प्रकृति: अधिकांश साइबर फ्रॉड ट्रांसनेशनल (अंतरराष्ट्रीय) माने जाते हैं। नाबालिगों और लिंग-भेद से बाहर के अपराधी विभिन्न देशों से मिलकर वित्तीय अपराध करते हैं। I4C को शामिल करने से इन अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क्स की पहचान करना आसान होगा
- ED के सहयोग में वृद्धि: इस परिवर्तन का उद्देश्य ED को साइबर अपराधों से जुड़े पैसों के रूट की जांच में I4C द्वारा तकनीकी और सूचना सहयोग देना है।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) :
- इसे अक्टूबर 2018 में अनुमोदित किया गया था और 10 जनवरी 2020 को तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह द्वारा नई दिल्ली में राष्ट्र को समर्पित किया गया
- नोडल मंत्रालय : गृह मंत्रालय
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- उद्देश्य : समन्वित और व्यापक तरीके से साइबर अपराध से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों (LEA) के लिए एक ढांचा और पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करना
- कार्य : यह महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर अपराधों के खिलाफ प्रयासों को मजबूत करने के लिए काम करता है।
- प्रथम स्थापना दिवस समारोह : 10 सितंबर, 2024
- जुलाई 2024 में, इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय का एक अनुलग्नक कार्यालय (Attached office) बनाया गया
I4C की प्रमुख इकाइयाँ :
I4C की संरचना सात प्रमुख घटकों पर आधारित है:
- राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई (TAU) : साइबर अपराध के रुझानों का विश्लेषण
- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल : नागरिकों के लिए साइबर अपराधों की ऑनलाइन रिपोर्टिंग का माध्यम
- राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र : कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम
- साइबर अपराध पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन इकाई : साइबर जागरूकता और समन्वय को बढ़ावा देना
- राष्ट्रीय साइबर अपराध अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र : अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करना
- राष्ट्रीय साइबर अपराध फॉरेंसिक प्रयोगशाला (NCFL) : साइबर अपराधों की फॉरेंसिक जांच
- संयुक्त साइबर अपराध जांच टीमों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र मंच : विभिन्न एजेंसियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना
साइबर अपराध:
- साइबर अपराध वह गैरकानूनी गतिविधि है जिसमें कंप्यूटर, इंटरनेट या अन्य डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके अपराध किए जाते हैं।
साइबर अपराध के प्रकार :
- आर्थिक धोखाधड़ी : ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, फिशिंग
- पहचान की चोरी : किसी की निजी जानकारी का दुरुपयोग
- साइबर स्टॉकिंग और बुलिंग : महिलाओं, बच्चों को ऑनलाइन डराना, पीछा करना
- हैकिंग (Hacking) : अनधिकृत रूप से कंप्यूटर/नेटवर्क में प्रवेश करना
- मालवेयर और वायरस : सिस्टम को नुकसान पहुँचाने वाला सॉफ्टवेयर
- साइबर आतंकवाद : राष्ट्र की सुरक्षा को डिजिटल माध्यम से खतरा