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आर्थिक पूंजी ढांचा (ECF)

Sun 09 Feb, 2025

संदर्भ:

  • आर्थिक पूंजी ढांचा (Economic Capital Framework - ECF) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का एक महत्वपूर्ण नीति तंत्र है, जो यह निर्धारित करता है कि केंद्रीय बैंक को अपनी जिम्मेदारियों और जोखिमों के आधार पर कितना पूंजी भंडार बनाए रखना चाहिए।
  • यह ढांचा जोखिम प्रावधान (Risk Provisioning) और अधिशेष वितरण (Surplus Distribution) नीतियों को परिभाषित करता है।
  • वर्तमान में, RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में इस ढांचे की समीक्षा की जा रही है।
  • यह समीक्षा ऐसे समय हो रही है जब RBI की पूंजी पर्याप्तता, जोखिम प्रबंधन, और वित्तीय स्थिरता पर गहन ध्यान दिया जा रहा है। इस संदर्भ में, ECF, इसके घटकों और RBI द्वारा अपनाए गए अन्य महत्वपूर्ण ढाँचों को समझना आवश्यक हो जाता है।

आर्थिक पूंजी ढांचा (ECF) क्या है?

  • आर्थिक पूंजी ढांचा RBI द्वारा अपनाई गई एक ऐसी नीति है, जो इसके जोखिम, देनदारियों और जिम्मेदारियों के आधार पर आवश्यक पूंजी की मात्रा निर्धारित करती है।

प्रमुख उद्देश्य :

1. केंद्रीय बैंक के पास अप्रत्याशित वित्तीय संकट का सामना करने के लिए पर्याप्त भंडार होना।

2. अधिशेष निधियों का वितरण RBI और सरकार के बीच इष्टतम रूप से करना।

3. ऐसे पूंजी बफ़र बनाए रखना जो बैंक के कार्यों को बिना वित्तीय प्रणाली पर प्रभाव डाले जारी रखने में सक्षम बनाएं।

  • इसमें पूंजी पर्याप्तता का मूल्यांकन विभिन्न जोखिम कारकों के आधार पर किया जाता है, जैसे:
  • बाजार जोखिम: ब्याज दरों और विदेशी मुद्रा दरों में उतार-चढ़ाव।
  • ऋण जोखिम: वित्तीय प्रणाली में डिफॉल्ट से उत्पन्न जोखिम।
  • संचालनात्मक जोखिम: तकनीकी विफलताओं, मानवीय त्रुटियों या बाहरी घटनाओं से जुड़े जोखिम।
  • तरलता जोखिम: वित्तीय अस्थिरता के समय।
  • यह ढांचा यह भी निर्धारित करता है कि RBI द्वारा उत्पन्न अधिशेष निधियों को किस प्रकार वितरित किया जाए, जैसे कि इन्हें भंडार में रखा जाए या लाभांश के रूप में सरकार को दिया जाए।

आर्थिक पूंजी ढांचे के प्रमुख घटक:

1. पूंजी भंडार: RBI के पूंजी भंडार वित्तीय जोखिमों का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन भंडारों में ऋण, बाजार, संचालनात्मक और तरलता जोखिमों के लिए प्रावधान शामिल होते हैं। ये भंडार RBI को मौद्रिक नीति प्रबंधन, विनिमय दर स्थिरता बनाए रखने और सरकारी ऋण प्रबंधन जैसे कार्यों को पूरा करने में सहायता करते हैं।

2. जोखिम प्रावधान: जोखिम प्रावधान आर्थिक जोखिमों से उत्पन्न संभावित नुकसान को कवर करने के लिए निधियों को अलग रखने को संदर्भित करता है। RBI अपने प्रावधानों का निर्धारण जोखिम के प्रकार और संभावित जोखिम के आधार पर करता है। ये प्रावधान बैंक की साख बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।

3. अधिशेष वितरण: अपनी सभी आवश्यकताओं को पूरा करने और पर्याप्त भंडार सुनिश्चित करने के बाद, RBI अपना अधिशेष सरकार को वितरित करता है। यह वितरण RBI के वित्तीय प्रदर्शन पर निर्भर करता है, और पिछले कुछ वर्षों में यह बहस का विषय रहा है। अधिशेष भुगतान में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है ताकि RBI की स्थिरता प्रभावित न हो।

RBI द्वारा उपयोग किए जाने वाले अन्य ढांचे:

1. मौद्रिक नीति ढांचा:

  • यह ढांचा मूल्य स्थिरता बनाए रखने, आर्थिक विकास का समर्थन करने और मुद्रास्फीति को प्रबंधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण प्रणाली (Inflation Targeting Regime) अपनाई गई है, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति के लिए लक्ष्य सीमा निर्धारित करती है।

2. वित्तीय स्थिरता ढांचा:

  • भारतीय वित्तीय प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए RBI इस ढांचे का उपयोग करता है। इसमें प्रणालीगत जोखिमों की निगरानी, वित्तीय संस्थानों के लिए पर्याप्त पूंजी बफ़र सुनिश्चित करना और संकट के समय हस्तक्षेप करना शामिल है।

3. तरलता प्रबंधन ढांचा:

  • RBI बैंकिंग प्रणाली में तरलता प्रबंधन के लिए रेपो दर, रिवर्स रेपो दर और ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) जैसे विभिन्न उपकरणों का उपयोग करता है। ये उपकरण अल्पकालिक ब्याज दरों को प्रभावित करने और धन आपूर्ति प्रबंधन के लिए RBI के मौद्रिक संचालन का हिस्सा हैं।

4. जोखिम प्रबंधन ढांचा:

  • RBI ने अपने संचालन से उत्पन्न जोखिमों का आकलन और शमन करने के लिए एक व्यापक जोखिम प्रबंधन ढांचा विकसित किया है। इसमें संचालनात्मक, ऋण और बाजार जोखिमों की पहचान, माप, निगरानी और नियंत्रण के लिए प्रणालियाँ शामिल हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) : 

तथ्य विवरण
स्थापना वर्ष 1935
मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र
गवर्नर संजय मल्होत्रा (वर्तमान)
सहायक इकाइयाँ भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड, NABARD, आदि।
मुख्य कार्य मौद्रिक नीति तैयार करना, विनिमय दरों का प्रबंधन, और वित्तीय संस्थानों की निगरानी।
मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (CPI-आधारित) 4% ± 2%।
पूंजी भंडार RBI का पूंजी भंडार मुख्य रूप से सोना, विदेशी मुद्रा भंडार और सरकारी बॉन्ड में होता है।
अधिशेष वितरण वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद अधिशेष सरकार को स्थानांतरित किया जाता है।

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