20 May, 2025
नोबेल पुरस्कार, 2024
Wed 16 Oct, 2024
संदर्भ
- विभिन्न क्षेत्रों (विज्ञान, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र) में उल्लेखनीय योगदान देने वाले वैज्ञानिकों, साहित्यकारों और समाज सेवकों को 2024 का नोबेल पुरस्कार प्रदान दिया गया।
नोबेल शांति पुरस्कार: निहोन हिदानक्यो
- हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम हमले में बचे लोगों के जमीनी स्तर के आंदोलन, जिसे 'हिबाकुशा' के नाम से भी जाना जाता है, को परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया बनाने के अपने प्रयासों के लिए प्रतिनिधि जापानी संगठन, निहोन हिदानक्यो को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया।
साहित्य: हान कांग
- साहित्य में नोबेल पुरस्कार 2024 दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को उनके गहन काव्य गद्य के लिए दिया गया है, जो ऐतिहासिक आघातों का सामना करता है और मानव जीवन की नाजुकता को उजागर करता है।
- वे पहली एशियाई महिला बन गई हैं जिन्हें इस सम्मान से नवाजा गया है।
फिजियोलॉजी या मेडिसिन: विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन
- विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन ने माइक्रोRNA की खोज की, जो छोटे RNA अणुओं का एक नया वर्ग है एवं जीन विनियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। छोटे कृमि सी. एलिगेंस (C. elegans) के सन्दर्भ में उनकी अभूतपूर्व खोज ने जीन विनियमन के एक बिल्कुल नए सिद्धांत का खुलासा किया।
- यह मनुष्यों सहित अन्य बहुकोशिकीय जीवों के लिए आवश्यक साबित हुआ। माइक्रोRNA जीवों के विकास और कार्य करने के तरीके के लिए मौलिक रूप से महत्वपूर्ण भी साबित हो रहे हैं।
रसायन विज्ञान: डेविड बेकर, डेमिस हसाबिस और जॉन जंपर
डेविड बेकर का योगदान:
- प्रोटीन इंजीनियरिंग में क्रांतिकारी बदलाव: बेकर के अनुसंधान समूह ने प्रोटीन इंजीनियरिंग की संभावनाओं को नया आकार देते हुए, नए प्रोटीनों को डिज़ाइन करने के लिये कम्प्यूटेशनल विधियों का उपयोग किया है।
- चिकित्सा और प्रौद्योगिकी में अनुप्रयोग: इन कृत्रिम रूप से डिज़ाइन किये गए प्रोटीनों में विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स, टीके, नैनोमैटेरियल्स और बायोसेंसर के विकास में व्यापक संभावनाएँ हैं।
डेमिस हसाबिस और जॉन जंपर का योगदान:
- वर्ष 2020 में हसबिस और जंपर ने अल्फाफोल्ड-2 प्रस्तुत किया, जो एक AI-संचालित प्रणाली है एवं जिसने भविष्य में प्रोटीन संरचना में क्रांति ला दी।
- यह मॉडल लगभग प्रत्येक ज्ञात प्रोटीन, 200 मिलियन, की संरचना का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम था। साथ ही इस उपलब्धि से संरचनात्मक जीव विज्ञान की 50 वर्ष पुरानी समस्या का समाधान हो गया।
भौतिक विज्ञान: जॉन हॉपफील्ड और जेफ्री हिंटन
- जॉन हॉपफील्ड को ‘हॉपफील्ड नेटवर्क’ बनाने के लिये जाना जाता है, जो एक प्रकार का रिकरेंट न्यूरल नेटवर्क (RNN) है जो ANN और AI में आधारभूत रहा है। 1980 के दशक में विकसित हॉपफील्ड नेटवर्क को कृत्रिम नोड्स (कृत्रिम न्यूरॉन्स) के नेटवर्क में सरल बाइनरी पैटर्न (0 और 1) को संग्रहीत करने के लिये डिज़ाइन किया गया।
- हॉपफील्ड के कार्य के आधार पर 2000 के दशक में हिंटन ने प्रतिबंधित बोल्ट्ज़मैन मशीनों (RBMs) के लिये एक लर्निंग एल्गोरिदम विकसित किया, जिसके द्वारा न्यूरॉन्स की कई परतों को जोड़कर गहन लर्निंग को सक्षम बनाया गया।
अर्थशास्त्र: डेरॉन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स रॉबिन्सन
- 2024 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया जाने वाला नोबेल पुरस्कार कमजोर और समृद्ध देशों के बीच खुशहाली के अंतर को समझने के लिए किए उनके शोध के लिए दिया गया है।
- इन तीनों अर्थशास्त्रियों ने अपने शोध में यह बताया है, कि कैसे कमजोर देश वर्षों की तरक्की के बावजूद अमीर देशों की तरह विकसित नहीं हो पाए हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस बात का भी अध्ययन किया है कि संस्थाएं बनती कैसे हैं और समाज की तरक्की और खुशहाली को कैसे प्रभावित करती हैं।
नोबेल पुरस्कार
- नोबेल पुरस्कार एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन लोगों को मान्यता देता है जिन्होंने पिछले वर्ष में मानव जाति को सबसे बड़ा लाभ पहुंचाया है।
- यह पुरस्कार छह अलग-अलग क्षेत्रों में प्रदान किया जाता है: भौतिकी, रसायन विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य, अर्थशास्त्र और शांति।
- नोबेल पुरस्कार का प्रबंधन स्टॉकहोम, स्वीडन में नोबेल फाउंडेशन द्वारा किया जाता है।
- यह स्वीडिश आविष्कारक और उद्यमी अल्फ्रेड नोबेल की याद में दी जाती है, जिन्होंने डाइनामाइट कीखोज की थी।
- पुरस्कारों का पहला वितरण 10 दिसंबर, 1901 को नोबेल की मृत्यु की पांचवीं वर्षगांठ पर हुआ था।
नोबेल फाउंडेशन ने 2023 नोबेल पुरस्कारों के लिए पुरस्कार राशि को 1 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (यानी 90,000 US डॉलर) से बढ़ाकर 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (यानी 9 लाख 86 हज़ार 270 US डॉलर) कर दी थी। नोबेल फाउंडेशन के अनुसार, यह राशि,स्वीडिश मुद्रा के मूल्यह्रास की भरपाई के लिए बढ़ाई गयी। |
नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले भारतीय/भारतीय मूल के लोग
1913 | रवीन्द्रनाथ टैगोर | साहित्य |
1930 | सी. वी. रमन | भौतिकी |
1979 | मदर टेरेसा | शांति |
1998 | अमर्त्य सेन | अर्थशास्त्र |
2014 | कैलाश सत्यार्थी | शांति |
1968 | हर गोबिंद खोराना (भारतीय मूल के) | चिकित्सा |
1983 | सुब्रह्मण्यम चन्द्रशेखर (भारतीय मूल के) | भौतिकी |
2009 | वेंकटरमन रामकृष्णन (भारतीय मूल के) | रसायन विज्ञान |
2019 | अभिजीत बनर्जी (भारतीय मूल के) | अर्थशास्त्र |