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कॉलेजियम प्रणाली

Wed 17 Jul, 2024

संदर्भ

न्यायमूर्ति कोटिश्वर सिंह और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के साथ, सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 34 हो जाएगी।

मुख्य बिंदु

  • न्यायमूर्ति कोटिश्वर सिंह मणिपुर से सर्वोच्च न्यायालय (SC) के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने वाले पहले न्यायाधीश होंगे, जबकि न्यायमूर्ति आर. महादेवन तमिलनाडु से हैं। कोटिश्वर सिंह वर्तमान में जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे और न्यायमूर्ति महादेवन मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे।

सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति

  • अनुच्छेद 124 में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान है।
  • राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
  • राष्ट्रपति अन्य न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के परामर्श के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की नियुक्ति करता है।
  • मुख्य न्यायाधीश के अलावा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में भारत के मुख्य न्यायाधीश का 'परामर्श' आवश्यक है।

कॉलेजियम प्रणाली

  • इस प्रणाली या व्यवस्था के तहत, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण का निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के एक मंच द्वारा किया जाता है।
  • किसी उच्च न्यायालय के कॉलेजियम का नेतृत्व उसके मुख्य न्यायाधीश और उस न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश करते हैं।

कॉलेजियम प्रणाली का गठन

प्रथम न्यायाधीश मामला (1981) न्यायिक नियुक्तियों और तबादलों पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के सुझाव की "प्राथमिकता/प्रधानता" को "ठोस कारणों" के चलते अस्वीकार किया जा सकता है। इसमें न्यायालय ने कहा की परामर्श का मतलब सहमति नहीं, बल्कि विचारों का आदान-प्रदान है।
दूसरा न्यायाधीश मामला (1993) सर्वोच्च न्यायालय ने अपने पूर्व के फैसले को परिवर्तित करते हुए कहा कि 'परामर्श' का मतलब 'सहमति' है। अर्थात न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में सर्वोच्च/उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा दी गई सलाह, राष्ट्रपति को माननी ही होगी। लेकिन यहाँ पर एक व्यवस्था ये जोड़ दी गई, कि, भारत का मुख्य न्यायाधीश यह सलाह अपने दो वरिष्ठतम सहयोगियों से विचार-विमर्श करने के बाद ही देगा।
तीसरा न्यायाधीश मामला, (1998) भारत के मुख्य न्यायाधीश को चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों से सलाह करनी होगी, इनमें से अगर दो का मत भी पक्ष में नहीं है तो वह नियुक्ति के लिए सिफ़ारिश नहीं भेज सकता। 5 न्यायाधीशों के इसी समूह को ‘कॉलेजियम’ कहा जाता है।  

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC)

  • इसे संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 द्वारा पारित किया गया था।
  • इसमें कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर एक स्वतंत्र आयोग के गठन का भी प्रावधान किया गया।

संरचना:

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश (अध्यक्ष)
  • सुप्रीम कोर्ट के दो अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश
  • केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश, भारत के प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता या लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता की समिति द्वारा नामित किए जाने वाले दो अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति
  • लेकिन वर्ष 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने चौथे न्यायाधीश मामले में इस अधिनियम को असंवैधानिक घोषित करते हुए कहा कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित होगी, इसलिए पुरानी कॉलेजियम प्रणाली को फिर बहाल कर दिया गया।

उच्चतम न्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट

  • संविधान का भाग 5 (अनुच्छेद 124 से अनुच्छेद 147 तक): उच्चतम न्यायालय के गठन, स्वतंत्रता, न्यायक्षेत्र, शक्तियाँ, प्रक्रिया आदि का उल्लेख है।
  • अनुच्छेद 124: 1950 के मूल संविधान में 1 मुख्य न्यायाधीश और 7 उप-न्यायाधीशों के साथ सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई थी।
  • न्यायाधीशों की अधिकतम संख्या: भारत के मुख्य न्यायाधीश और 33 अन्य न्यायाधीश
  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय में दो प्रकार की पीठें/बेंच हैं: खंडपीठ और संवैधानिक पीठ
  • खंडपीठ: इन पीठों में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सहित अन्य दो या तीन न्यायाधीश होते हैं।
  • संवैधानिक पीठ: इन पीठों में पाँच या अधिक न्यायाधीश होते हैं, और कानून के मौलिक प्रश्नों को निपटाने के लिए गठित किये जाते हैं।
  • अब तक की सबसे बड़ी बेंच: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामला, 1973 (13 जज शामिल थे।)

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