28 April, 2025
राजकोषीय घाटा
Sat 01 Jun, 2024
संदर्भ
- वित्त वर्ष 2024 में अनुमान से ज्यादा कर प्राप्त होने के कारण केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) संशोधित अनुमान से भी कम रहा।
- संशोधित अनुमान में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5.8 फीसदी राजकोषीय घाटा रहने की बात कही गई थी किन्तु आंकड़ा जीडीपी का 5.6 फीसदी रहा।
प्रमुख बिन्दु
- सरकारी आंकड़ों के अनुसार केंद्र के राजस्व और व्यय में 16.54 लाख करोड़ रुपये का अंतर रहा, जबकि बजट में यह अंतर 17.86 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था।
- पिछले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.9 फीसदी रहने का शुरुआती अनुमान था, जिसे अंतरिम बजट में घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया गया था।
- गौरतलब है कि जब सरकार आय से अधिक व्यय करती है तो खजाने को घाटा अर्थात राजकोषीय घाटा होता है।
- आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में शुद्ध कर प्राप्तियां 23.27 लाख करोड़ रुपये रहीं, जो अनुमान से ज्यादा थीं। इस दौरान सरकार का कुल खर्च 44.43 लाख करोड़ रुपये रहा, जो बजट राशि का 99 फीसदी है।
- इस बीच अप्रैल में अप्रत्याशित राजस्व खर्च करने के कारण 2.1 लाख करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा हो गया, जो पूरे साल के लक्ष्य का 12.5 फीसदी है।
- गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.1 फीसदी या 16.85 लाख करोड़ रुपये पर रोकने का लक्ष्य रखा है।
राजकोषीय घाटा
- राजकोषीय घाटा किसी सरकार के खर्च की तुलना में उसके राजस्व में कमी को संदर्भित करता है।
- जब किसी सरकार का व्यय उसके राजस्व से अधिक हो जाता है, तो सरकार को घाटे को पूरा करने के लिये धन उधार लेना होगा या संपत्ति बेचनी होगी।
- दूसरी ओर, जब किसी सरकार के पास राजकोषीय अधिशेष होता है, तो उसकी आय उसके खर्चों से अधिक हो जाती है।
- हालाँकि सरकारें अक्सर अधिशेष में नहीं चलती हैं।
- अधिकांश सरकारें राजकोषीय अधिशेष बनाने या बजट को संतुलित करने के बजाय राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने को प्राथमिकता देती हैं।
परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
भारत में राजकोषीय प्रबंधन हेतु कानून
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम 2003
- यह अधिनियम परिभाषित करता है कि सरकारी राजस्व और सरकारी व्यय के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाए।
- इसका मुख्य उद्देश्य है - सरकार के वित्तीय संचालन में उचित पारदर्शिता बनाए रखना।
- लागू - जुलाई 2004