28 April, 2025
फिलिस्तीन की संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता
Wed 29 May, 2024
सन्दर्भ
- मई, 2024 में आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन ने फिलिस्तीन को औपचारिक रूप से मान्यता प्रदान कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- नॉर्वे, स्पेन और आयरलैंड का यह कदम पश्चिमी शक्तियों के लंबे समय से चले आ रहे इस दृष्टिकोण से अलग है कि फिलिस्तीनियों को केवल इजरायल के साथ बातचीत के जरिए शांति के हिस्से के रूप में ही राज्य का दर्जा मिल सकता है।
- इन यूरोपीय देशों के इस कदम के परिणामस्वरूप इज़रायल द्वारा प्रतिक्रिया एवं असंतोष व्यक्त करने पर आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन ने अपने राजदूतों को तत्काल स्वदेश लौटने का आदेश दिया।
- इसके अतिरिक्त, हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में संयुक्त राष्ट्र के 193 में से 143 सदस्य देशों ने फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता प्रदान करने के पक्ष में मतदान किया।
यूएन में सदस्यता प्राप्त करने के मानदंड
- संयुक्त राष्ट्र को सदस्यता चाहने वालों को "शांतिप्रिय" राज्य होना चाहिए और अपने निर्णय में, चार्टर के दायित्वों को पूरा करने में सक्षम और इच्छुक होना चाहिए।
- यूएनजीए द्वारा प्रवेश अनुरोध स्वीकार करने से पहले सदस्यता आवेदनों को पांच स्थायी सदस्यों पी5 में से किसी के स्पष्ट विरोध के बिना सिफारिश की आवश्यकता होती है।
- दूसरे शब्दों में, यदि P5 में से कोई भी अपनी वीटो शक्ति का प्रयोग करके नकारात्मक वोट डालता है, तो UNSC की सिफारिश को खारिज कर दिया जाता है।
- वहीं UNGA में ऐसी कोई वीटो शक्ति लागू नहीं होती है, सिवाय इसके कि निर्णय को दो-तिहाई बहुमत से मंजूरी दी जानी चाहिए।
भारत का दृष्टिकोण
- मई 2024 में सदस्यता के लिए फिलिस्तीन के मामले के पक्ष में यूएनजीए के प्रस्ताव में भारत 143 सदस्य देशों में शामिल हो गया।
- भारत की राय है कि सदस्यता का दर्जा लंबे समय से चले आ रहे इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के लिए दो-राज्य समाधान की संभावना को बढ़ा सकता है।
- विशेष रूप से, सदस्यता के प्रश्न पर भारत की स्थिति अब पूरी तरह से नेहरूवादी युग के दौरान व्यक्त दृष्टिकोण के अनुरूप है - कि संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता बिना किसी भेदभाव के सभी राज्य आवेदकों के लिए खुली होनी चाहिए।
- दरअसल, अब तक भारत द्वारा किसी देश की सदस्यता का विरोध करने का एक भी उदाहरण नहीं है।
- भारत ने 1947 में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रवेश का समर्थन किया और 1971 में चीन के साथ लंबे समय तक सीमा संघर्ष के बावजूद पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के प्रतिनिधित्व का भी समर्थन किया।
आगे की राह
- गौरतलब है कि फिलिस्तीन यूएनएससी और अमेरिका को दरकिनार कर संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता ग्रहण नहीं कर सकता है।
- चीन और रूस आशंकित हैं कि इस तरह की अनदेखी बाद में ताइवान या कोसोवो के प्रवेश के लिए एक मिसाल बन सकती है।
- कम संभावित परिदृश्य में, अमेरिका एक बार फिर अपना वीटो लगाने से बच सकता है या मतदान से दूर रह सकता है, जो कि गाजा के नागरिकों के खिलाफ हमलों को रोकने की सलाह की अनदेखी करने के लिए इजरायल के प्रति नाराजगी की अभिव्यक्ति है, जिससे फिलिस्तीन की सदस्यता के लिए यूएनजीए की मंजूरी का मार्ग प्रशस्त होगा।
- इज़राइल विरोध कर सकता है और संयुक्त राष्ट्र छोड़ सकता है। यदि यूएनएससी गतिरोध जारी रहता है, तो यूएनजीए संभवतः इज़राइल को अपने विचार-विमर्श से बाहर रखने पर विचार कर सकता है।
परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
संयुक्त राष्ट्र
- स्थापना:1945
- पूर्ववर्ती संस्था: लीग ऑफ नेशंस
संयुक्त राष्ट्र के मुख्य अंग हैं:
- संयुक्त राष्ट्र महासभा।
- सुरक्षा परिषद।
- संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद।
- संयुक्त राष्ट्र न्यास परिषद।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय।
- संयुक्त राष्ट्र सचिवालय।
- नोट - इन सभी 6 अंगों की स्थापना वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय की गई थी।
फिलिस्तीन
- राष्ट्रपति: महमूद अब्बास
- राजधानियाँ: जेरूसलम, रामल्लाह
- नोट : अल्जीरिया फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश था।