28 April, 2025
भारत में साइबर क्राइम
Thu 23 May, 2024
संदर्भ
- भारत में साइबर अपराध में वृद्धि हो रही है, इस साल मई तक औसतन प्रतिदिन 7,000 से अधिक शिकायतें आ रही हैं।
- इसी के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने साइबर क्राइम के नए तरीकों को लेकर एक अलर्ट जारी किया है।
प्रमुख बिंदु
- भारत साइबर अपराध में वृद्धि का सामना कर रहा है, इस वर्ष मई तक प्रतिदिन औसतन 7,000 से अधिक शिकायतें आईं।
- भारत को निशाना बनाने वाले कई साइबर धोखेबाज दक्षिण पूर्व एशिया के प्रमुख स्थानों से काम कर रहे हैं, जिनमें कंबोडिया के पुर्साट, कोह कांग, सिहानोकविले, कंडाल, बावेट और पोइपेट शामिल हैं। वहीं थाईलैंड; और म्यांमार के म्यावाड्डी और श्वे कोक्को आदि स्थान भी सम्मिलित हैं।
- साइबर अपराध में वृद्धि की प्रवृत्ति स्पष्ट है, 2021 से 2022 तक शिकायतों में 113.7% और 2022 से 2023 तक 60.9% की वृद्धि हुई है।
- दरअसल, साइबर ठग अब सरकारी एजेंसियों के नाम पर अर्थात पुलिस अधिकारी, सीबीआई, नारकोटिक्स विभाग, रिजर्व बैंक, प्रवर्तन निदेशालय और अन्य एजेंसियों की ओर से ब्लैकमेल और डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी देकर लोगों से वसूली को अंजाम दे रहे हैं।
- इन मामलों में जालसाज आमतौर पर संभावित पीड़ित को कॉल कर कहते हैं कि पीड़ित ने कोई पार्सल भेजा है या प्राप्त किया है जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नक़ली पासपोर्ट या अन्य कोई प्रतिबंधित वस्तु है।
- कभी-कभी वो ये भी सूचित करते हैं कि पीड़ित का कोई करीबी या प्रिय व्यक्ति किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है। ऐसे कथित केस में समझौता करने के लिए पैसों की मांग की जाती है।
डिजिटल अरेस्ट
- कुछ मामलों में पीड़ितों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ का सामना करना पड़ता है और उनकी माँग पूरी न होने तक पीड़ित को स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग प्लेटफ़ॉर्म पर धोखेबाज़ों के लिए उपलब्ध रहने के लिए मजबूर किया जाता है। ये जालसाज़ पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों की तर्ज़ पर बनाए गए स्टूडियो का उपयोग करने में माहिर होते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं।
साइबर क्राइम बना संगठित अपराध
- साइबर क्राइम आज एक संगठित आर्थिक अपराध का रूप ले चुका है जिसे सीमा पार से अपराध सिंडिकेट द्वारा संचालित किया जाता है।
- गृह मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) देश में साइबर अपराध से निपटने और उसकी रोकथाम के लिए कार्य करता है।
साइबर अपराध की रोकथाम के लिए गृह मंत्रालय के प्रयास
- ऑनलाइन धोखाधड़ी से निपटने के लिए यह संस्था गृह मंत्रालय, अन्य मंत्रालयों और उनकी एजेंसियों, आर.बी.आई और अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम करती है।
- साथ ही साइबर क्राइम के मामलों की पहचान और जाँच के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों को इनपुट और तकनीकी सहायता भी प्रदान करती है।
- I4C ने माइक्रोसॉफ़्ट के सहयोग से ऐसी गतिविधियों में शामिल 1000 से अधिक स्काइप आईडी को भी ब्लॉक कर दिया है।
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘Cyberdost X’, फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर इन्फोग्राफिक्स और वीडियो के माध्यम से विभिन्न अलर्ट भी जारी किए हैं।
- नागरिकों को इस प्रकार की जालसाज़ी से सावधान रहने और इनके बारे में जागरूकता फैलाने की सलाह दी जाती है। ऐसी कॉल आने पर नागरिकों को तत्काल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर सहायता के लिए रिपोर्ट करने की सलाह दी जाती है।
भारत में साइबर अपराधों से निपटने हेतु सरकार की पहल
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)
- राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला
- साइट्रेन पोर्टल (CyTrain Portal)
- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल
- नागरिक वित्तीय साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली
- महिलाओं एवं बच्चों के प्रति साइबर अपराध निवारण (CCPWC) योजना
- संयुक्त साइबर समन्वय दल
- पुलिस के आधुनिकीकरण के लिये केंद्रीय सहायता
परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
CERT-In
- यह एक नोडल एजेंसी है जिसका कार्य हैकिंग और फिशिंग जैसे साइबर सुरक्षा खतरों से निपटना है।
- मंत्रालय : इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
- CERT-In जनवरी 2004 से परिचालन में है।
CERT-In के कार्य
- सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम, 2008 के अनुसार, CERT-In को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य करने के लिये राष्ट्रीय एजेंसी के रूप में नामित किया गया है:
- साइबर घटनाओं पर सूचना का संग्रहण, विश्लेषण और प्रसार।
- साइबर सुरक्षा घटनाओं का पूर्वानुमान और अलर्ट।
- साइबर सुरक्षा घटनाओं से निपटने हेतु आपातकालीन उपाय।
- साइबर घटना प्रतिक्रिया गतिविधियों का समन्वय आदि।