28 April, 2025
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2024
Mon 06 May, 2024
संदर्भ: रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2024 में भारत की प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग 161वें से सुधरकर 159वें स्थान पर पहुंच गई है, परंतु पत्रकारों के लिए भारत में अभी भी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसा कि इस रैंकिंग से विदित होता है । यह रैंकिंग पड़ोसी देश पाकिस्तान (152वें) और श्रीलंका (150वें) से भी कम है।
महत्वपूर्ण बिंदु
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक ( WPFI ) क्या है -
- 'विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक' वर्ष 2002 से फ्रांस स्थित एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन "रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स" (Reporters Without Borders) द्वारा संकलित और प्रकाशित देशों की प्रेस स्वतंत्रता से संबंधित वार्षिक रैंकिंग है।
- यह केवल प्रेस की स्वतंत्रता से संबंधित है तथा जिन देशों का यह मूल्यांकन करता है, वहां पत्रकारिता की गुणवत्ता को नहीं मापता है, न ही यह सामान्य रूप से मानवाधिकार उल्लंघनों पर गौर करता है।
- प्रेस स्वतंत्रता प्रश्नावली में पांच श्रेणियां शामिल हैं - राजनीतिक संदर्भ, कानूनी ढांचा, आर्थिक संदर्भ, सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ और सुरक्षा।
- इस प्रकार, सूचकांक का उद्देश्य प्रत्येक देश में पत्रकारों, समाचार संगठनों और नेटिज़न्स को प्राप्त स्वतंत्रता और अधिकारियों द्वारा इस स्वतंत्रता का सम्मान करने के लिए किए गए प्रयासों को प्रतिबिंबित करना है।
WPFI 2024 में सर्वश्रेष्ठ और सबसे खराब प्रदर्शन:
- राजनीतिक संकेतक में समग्र गिरावट ने WPFI के शीर्ष तीन देशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- नॉर्वे, जो अभी भी पहले स्थान पर बना हुआ है, के राजनीतिक स्कोर में गिरावट आयी है और आयरलैंड (8वां), जहां राजनेताओं ने मीडिया संस्थानों को न्यायिक धमकियों के अधीन किया है, ने यूरोपीय संघ में अपना शीर्ष स्थान डेनमार्क (दूसरा) और उसके बाद स्वीडन (तीसरा) का स्थान आता है।
- पिछले वर्ष के सूचकांक में सबसे नीचे रहने वाले तीन एशियाई देशों - वियतनाम, चीन और उत्तर कोरिया - ने अपना स्थान अफगानिस्तान, सीरिया और इरिट्रिया (अंतिम) के साथ साझा कर दी है।
- इस वर्ष मतदान करने वाले देशों में, प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में अमेरिका सबसे अधिक चिंताजनक था।
WPFI 2024 में भारत से संबंधित मुख्य तथ्य:
प्रेस की स्वतंत्रता पर संकट:
- रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) के अनुसार विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में प्रेस की स्वतंत्रता संकट में है।
- भारत में आज तक 9 पत्रकारों और 1 मीडियाकर्मी को हिरासत में लिया गया है, जबकि जनवरी 2024 के बाद से देश में किसी भी पत्रकार/मीडियाकर्मी की हत्या नहीं हुई है।
कठोर कानून:
- सरकार ने कई नए कानून पेश किए हैं जो सरकार को मीडिया को नियंत्रित करने, समाचारों को सेंसर करने और आलोचकों को चुप कराने की असाधारण शक्ति देंता है ।
- इस नए कानून में दूरसंचार अधिनियम 2023 , मसौदा प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक 2023 और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 शामिल हैं।
आपातकाल की अनौपचारिक स्थिति:
- रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) के विश्लेषण में उल्लेख किया गया है कि सरकार ने (सत्तारूढ़) पार्टी और मीडिया पर हावी होने वाले बड़े परिवारों के बीच तालमेल बनाया है। उदाहरण के लिए, रिलायंस समूह के पास 70 से अधिक मीडिया आउटलेट हैं जिन्हें कम से कम 800 मिलियन भारतीय फ़ॉलो करते हैं।
पत्रकारों का उत्पीड़न:
- रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) के अनुसार जो पत्रकार सरकार की आलोचना करते हैं, उन्हें नियमित रूप से ऑनलाइन उत्पीड़न, धमकी, धमकियों और शारीरिक हमलों के साथ-साथ आपराधिक मुकदमों और मनमानी गिरफ्तारियों का शिकार होना पड़ता है।
- कश्मीर में भी स्थिति बहुत चिंताजनक बनी हुई है, जहां पत्रकारों को अक्सर पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा परेशान किया जाता है।
परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF)
- मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस
- स्थापना : 1985
- महानिदेशक: क्रिस्टोफ़ डेलॉयर