12 May, 2025
भारत में पशु संरक्षण विधेयक की आवश्यकता
Thu 02 May, 2024
सन्दर्भ
- हाल ही में, क्रोएशिया ने क्रूरता के कृत्यों, विशेषकर घरेलू पालतू जानवरों के परित्याग के लिए सख्त दंड लगाया।
प्रमुख बिंदु
- क्रोएशियाई दंड संहिता में संशोधन जानवरों को अनावश्यक दर्द या पीड़ा पहुंचाने और जानवरों को मारने या गंभीर रूप से दुर्व्यवहार करने के लिए सजा को बढ़ाता है।
- वर्तमान में जब दुनिया भर के देश अपने पशु क्रूरता कानूनों में सुधार कर रहे हैं और पशु क्रूरता के लिए दंड बढ़ा रहे हैं। तब लगभग उसी दौरान, भारत में, मुंबई में एक हाउसिंग सोसाइटी के निवासी द्वारा सामुदायिक कुत्ते, जय की हत्या से जुड़ी एक घटना ने पशु क्रूरता के लिए भारतीय कानून द्वारा निर्धारित दंड को बढ़ाने की मांग को तेज कर दिया है।
- #जस्टिस फॉर जय पशु क्रूरता के खिलाफ सख्त आपराधिक कानूनों की मांग को लेकर प्रार्थना सभाओं और मोमबत्ती जुलूसों के अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी प्रसारित हो रहा है।
- सज़ा सिद्धांतों पर पिछले कुछ वर्षों में, पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम (1960) में अपर्याप्तता के बारे में बहुत चर्चा हुई है, जो देश में जानवरों के प्रति क्रूरता के विभिन्न रूपों को अपराध घोषित करने वाला प्राथमिक कानून है।
- इस कानून के खराब कार्यान्वयन और इसके द्वारा निर्धारित कम दंड को अक्सर जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकने के अपने मुख्य उद्देश्य को प्राप्त करने में विफलता के कारणों के रूप में उद्धृत किया जाता है।
पुराने कानून की अप्रभाविता
- इस कानून में जब सजा के सिद्धांतों की बात की जाए तो पीसीए अधिनियम बहुत अप्रभावी दिखाई पड़ता है।
- सज़ा के विभिन्न सिद्धांतों के अनुसार, किसी को अपराध करने के लिए सज़ा देने के तीन मुख्य लक्ष्य हो सकते हैं: प्रतिशोध (अपराध का बदला लेने के लिए दी गई सज़ा); निवारण (अपराधी और आम जनता को भविष्य में ऐसे अपराध करने से रोकने के लिए दी गई सज़ा), और सुधार या पुनर्वास (अपराधी के भविष्य के व्यवहार को सुधारने और आकार देने के लिए दी गई सज़ा)।
- जमानती अपराध, कमज़ोर जुर्माना अपने वर्तमान स्वरूप में, पीसीए अधिनियम ये सब हासिल करने में विफल है।
- इस अधिनियम के तहत अधिकांश अपराध जमानती और गैर-संज्ञेय हैं।
- इसके अलावा पीसीए अधिनियम के तहत जुर्माने के रूप में निर्धारित राशि वही है जो इसके पूर्ववर्ती, पीसीए अधिनियम 1890 में निर्धारित है।
- इसका अर्थ है कि जुर्माना राशि महत्वहीन है (कई मामलों में न्यूनतम ₹10 तक) क्योंकि उनमें 130 वर्षों से संशोधन नहीं किया गया है।
- इसके साथ ही कानून को इस तरह से लिखा गया है कि इस मुद्दे से निपटने वाली अदालत के पास आरोपी पर कारावास या जुर्माना लगाने के बीच चयन करने का विवेक है।
- यह पशु क्रूरता के अपराधियों को अधिकांश मामलों में केवल जुर्माना अदा करके पशु क्रूरता के सबसे क्रूर रूपों से बच निकलने की अनुमति देता है।
- उपर्युक्त के अलावा कानून में 'सामुदायिक सेवा' के लिए कोई प्रावधान नहीं है जैसे कि सजा के रूप में पशु आश्रय में स्वयंसेवा करना, जो संभावित रूप से अपराधियों को सुधार सकता है।
- ये कमियाँ पशु क्रूरता के अपराधों को दंडित करने में पीसीए अधिनियम को अप्रभावी बनाने में योगदान करती हैं।
नए विधेयक के लिए किये गए प्रयास
- नवंबर 2022 में, पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा ड्राफ्ट पीसीए (संशोधन) विधेयक, 2022 को सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए प्रकाशित किया गया था।
- मसौदा विधेयक को व्यापक जन समर्थन के बावजूद, इसे संसद में पेश नहीं किया गया।
- ड्राफ्ट बिल में 1960 के अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधन शामिल हैं जैसे कि जानवरों के लिए पांच मौलिक स्वतंत्रता को शामिल करना, विभिन्न अपराधों के लिए दंड और जुर्माने के रूप में भुगतान की जाने वाली धनराशि में वृद्धि और नए संज्ञेय अपराधों को शामिल करना।
- हालाँकि यह निश्चित रूप से वर्तमान कानून की तुलना में एक बड़ा सुधार है, लेकिन केवल कुछ मामलों में यथा ;भीषण क्रूरता और किसी जानवर की हत्या आदि।
- इसलिए, भले ही मसौदा विधेयक के कानून बनने पर भी अपराधियों के लिए मामूली जुर्माना भरना और अत्यधिक क्रूरता के कुछ कृत्यों के लिए कारावास से बचना संभव होगा।
- हालाँकि, यह समझना महत्वपूर्ण है कि अपनी सीमाओं के बावजूद, मसौदा विधेयक का अधिनियमन भारत में पशु कानून के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है।
परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
भारत में जानवरों के संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण कानून
- भारतीय दंड संहिता (IPC)
- भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860
- IPC की धारा 428 और 429
- पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972