20 May, 2025
सुप्रीम कोर्ट का गर्भपात पर हालिया निर्णय
Tue 23 Apr, 2024
सन्दर्भ
- हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय में 14 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को 30 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देकर करुणा और कानूनी कौशल का प्रदर्शन किया।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि इस निर्णय ने बॉम्बे हाई कोर्ट के पिछले आदेश को पलट दिया और इसे न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता वाले "असाधारण मामले" के रूप में चिह्नित किया।
- मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में शीर्ष अदालत का फैसला मेडिकल रिपोर्टों के गहन मूल्यांकन और नाबालिग की भलाई के विचारों पर आधारित था।
- सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने चिकित्सा जोखिमों और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच नाजुक संतुलन को रेखांकित किया।
- विशेष रूप से, अदालत ने केवल चिकित्सा मूल्यांकन से परे, उत्तरजीवी की स्थिति के समग्र मूल्यांकन की आवश्यकता पर जोर दिया।
भारत में गर्भपात की स्थिति
- भारत में गर्भपात को लेकर वर्ष 1971 का मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट लागू है।
- कुछ विशेष परिस्थितियों में 20 हफ्ते तक के गर्भ को गिराने की इजाजत है।
- इस कानून के मुताबिक एक रजिस्टर्ड डॉक्टर गर्भपात कर सकता है।
- लेकिन इसके लिए कुछ परिस्थितियां तय की गई हैं यथा ; यदि गर्भवती महिला की सेहत को खतरा हो या भ्रूण के गंभीर मानसिक तौर से पीड़ित होने की आशंका हो या प्रसव होने पर शारीरिक असामान्यताएं हो सकती हों, तब जाकर गर्भपात की अनुमति मिलती है।
- वर्ष 2021 में इस कानून में संशोधन किया गया और इस अवधि को 24 हफ्ते तक बढ़ा दिया गया है।
- हालांकि इसके लिए बलात्कार, एक ही परिवार के सदस्यों के बीच अवैध संबंध, नाबालिग, मानसिक या शारीरिक तौर पर बीमार महिलाओं को ही इजाजत है।
- इस अधिकार के साथ यह भी तय किया गया है कि इसके लिए दो रजिस्टर्ड डॉक्टरों की मंजूरी जरूरी होगी।
- इसके अलावा भ्रूण में किसी तरह की विकलांगता या दूसरे समस्या होने पर गर्भपात की अनुमति मिल सकती है। इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं है।
- लेकिन इसके लिए राज्य सरकार के बनाए गए डॉक्टरों के विशेष मेडिकल बोर्ड से इजाजत लेनी होगी।
परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
- सर्वोच्च न्यायालय
- न्यायाधीशों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत की जाती है।
- सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- नोट - वर्ष 1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट के प्रवर्तन से कलकत्ता सर्वोच्च न्यायाधिकरण (Supreme Court of Judicature) की स्थापना की गई थी।