20 May, 2025
नेस्ले कम्पनी एवं शर्करायुक्त प्रसंस्कृत उत्पाद सम्बन्धी विवाद
Sun 21 Apr, 2024
सन्दर्भ
- स्विटजरलैंड की एक एनजीओ जांच एजेंसी पब्लिक आई एंड इंटरनेशनल बेबी फुड एक्शन नेटवर्क (आइबीएफएएन) ने अपनी रिपोर्ट में नेस्ले कंपनी पर आरोप लगाया है कि वह भारत व दूसरे विकासशील देशों में जो डब्बाबंद शिशु आहार बेचती है उसमें अतिरिक्त चीनी (एडेड शुगर) की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। जबकि अमेरिका व विकसित देशों में इन्हीं उत्पादों में चानी की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मानकों के अनुसार होता है।
प्रमुख बिंदु
- यह निष्कर्ष विशेषकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मोटापे और पुरानी बीमारियों को रोकने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों की अवहेलना करता है ।
- नेस्ले इंडिया ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि कम्पनी के द्वारा भारत में अपने उत्पादों में पिछले पांच वर्षों में 30 फीसद तक अतिरिक्त चीनी की मात्रा कम की है।
- इस मामले के सामने आने के बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने नेस्ले के सेरेलैक उत्पादों में चीनी सामग्री पर विवाद की जांच शुरू कर दी है।
- एफएसएसएआई के अनुसार यदि नेस्ले की गलती पाई जाती है, तो नियामक संस्था द्वारा ब्रांड के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
- गौरतलब है कि अकेले भारतीय बाजार में वर्ष 2022 में इन उत्पादों की 250 मिलियन डॉलर से अधिक की बिक्री हुई ।
- पब्लिक आई की हालिया जांच से पता चला है कि जर्मनी, फ्रांस और यूके में नेस्ले द्वारा छह महीने के शिशुओं के लिए तैयार किए गए सेरेलैक गेहूं-आधारित अनाज में अतिरिक्त चीनी नहीं होती है।
- इसके विपरीत, इथियोपिया में एक ही उत्पाद की प्रति सेवारत मात्रा 5 ग्राम से अधिक और थाईलैंड में 6 ग्राम से अधिक है।
- गौरतलब है कि नेस्ले का ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म, जो शिशु पोषण पर मार्गदर्शन प्रदान करता है, स्पष्ट रूप से उल्लेख करता है: शिशु के लिए भोजन तैयार करते समय या उन्हें मीठा पेय प्रदान करते समय चीनी को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
- इसके अलावा प्रारंभिक वर्ष में फलों के रस में प्राकृतिक शर्करा की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होने के कारण जूस मिश्रणों या पूरक मिठास वाले एजेंटों वाले वैकल्पिक मिश्रित पेय पदार्थों से भी दूर रहने का सुझाव दिया गया है।
- उपर्युक्त सुझाव के अनुसार यद्यपि अमेरिका और यूरोप में तो नेस्ले बेबी फूड में चीनी नहीं मिलाया जाता है, किंतु भारत में कंपनी के बेबी फ़ूड में चीनी मिलाया जाता है।
प्रभाव
बच्चों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव
- अधिक चीनी खाने की वजह से शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है। इससे शरीर में ग्लूकोज भी ज्यादा बनता है। ये समस्याएं मोटापे और डायबिटीज का कारण बन सकती हैं।
- जो बच्चे मोटापे का शिकार होते हैं उनमें टाइप 2 डायबिटीज के मामले ज्यादा देखे जाते हैं। मोटापा बढ़ने का एक बड़ा कारण डाइट में ज्यादा शुगर होता है। जिन बच्चों का लाइफस्टाइल खराब है और डाइट में चीनी ज्यादा है तो उनको डायबिटीज होने का खतरा सामान्य बच्चों की तुलना में कई गुना अधिक होती है।
- ज्यादा चीनी बच्चों के हार्मोन के फंक्शन को भी खराब कर सकती है। कुछ बच्चों में चीनी की ज्यादा सेवन उनकी इम्यूनिटी को भी कमजोर कर देता है। इससे बच्चे आसानी से किसी भी प्रकार के संक्रमण का शिकार हो जाते हैं।
- कई स्टडी में यह भी बताया गया है कि चीनी के अधिक सेवन से ब्रेन के फंक्शन पर असर पड़ता है। इससे बच्चे डिप्रेशन जैसी खतरनाक बीमारी का शिकार हो जाते हैं।
परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
डब्ल्यूएचओ
- स्थापना :1948
- मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड
- सदस्यता:संयुक्त राष्ट्र के सदस्य इस संगठन के सदस्य बन सकते हैं।