28 April, 2025
“भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य"
Tue 30 Jan, 2024
सन्दर्भ
- भारत ने “मराठा सैन्य परिदृश्य" को वर्ष 2024-25 के लिए यूनेस्को की विश्व विरासत सूची के रूप में मान्यता हेतु नामांकित किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस नामांकन के बारह घटक भाग हैं- महाराष्ट्र में सालहेर किला, शिवनेरी किला, लोहागढ़, खंडेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजय दुर्ग, सिंधुदुर्ग और तमिलनाडु में जिंजी किला।
- 17वीं और 19वीं शताब्दी के बीच विकसित हुए भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य तत्कालीन मराठा शासकों द्वारा परिकल्पित की गई एक असाधारण किलेबंदी और सैन्य प्रणाली का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- किलों का यह असाधारण तन्त्र, पदानुक्रम, पैमाने और प्रतीकात्मक वर्गीकरण की विशेषताओं में भिन्नता लिए हुए भारतीय प्रायद्वीप में सह्याद्री पर्वत श्रृंखलाओं, कोंकण तट, दक्कन के पठार और पूर्वी घाटों के लिए विशिष्ट परिदृश्य,क्षेत्र एवं भौगोलिक विशेषताओं को एकीकृत करने का परिणाम है।
- महाराष्ट्र में विद्यमान 390 से अधिक किलों में से केवल 12 किले भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य के अंतर्गत चुने गए है और इनमें से आठ किले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया) द्वारा संरक्षित हैं। ये हैं शिवनेरी किला, लोहगढ़, रायगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और जिंजी किलाI
- जबकि सालहेर किला, राजगढ़, खंडेरी किला और प्रतापगढ़ पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय, महाराष्ट्र सरकार द्वारा संरक्षित हैं।
भारत के वैश्विक धरोहर स्थल
- वर्तमान में भारत में 42 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें से 34 सांस्कृतिक स्थल हैं, सात प्राकृतिक स्थल हैं जबकि एक मिश्रित स्थल है।
महाराष्ट्र में अवस्थित वैश्विक धरोहर स्थल
- गौरतलब है कि महाराष्ट्र में छह विश्व धरोहर स्थल हैं, पांच सांस्कृतिक और एक प्राकृतिकI
- ये इस प्रकार हैं - अजंता गुफाएं (1983), एलोरा गुफाएं (1983), एलीफेंटा गुफाएं (1987), छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस) (2004), विक्टोरियन स्थापत्य शैली (गोथिक) तथा मुंबई के आर्ट डेको एन्सेम्बल्स (2018) और महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के पश्चिमी घाट प्राकृतिक श्रेणी (2012) में क्रमिक संपदाएं हैं।
परीक्षापयोगी तथ्य
यूनेस्को
- संयुक्त राष्ट्र का घटक निकाय
- स्थापना-16 नवम्बर 1945
- मुख्यालय -पेरिस ,फ्रांस
- कार्य -शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति तथा संचार के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना।