घरेलू बचत पर संकट -
 
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घरेलू बचत पर संकट -

Sun 24 Sep, 2023

सन्दर्भ-

  • किसी देश की अर्थव्यवस्था इस पैमाने पर भी आंकी जाती है कि उसकी घरेलू बचत, प्रति व्यक्ति आय और क्रयशक्ति की स्थिति क्या है।
  • मगर भारत में घरेलू बचत लगातार गिरावट की ओर है।
  • आरबीआई द्वारा जारी रिपोर्ट में अनुसार 2021-22 में देश की शुद्ध घरेलू बचत जीडीपी के 7.2 फीसदी पर थी जो इस साल और घटकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के लगभग 5 दशक के निचले स्तर 5.1 प्रतिशत पर आ गई है।
  • वित्त वर्ष 2022-23 में देश की शुद्ध घरेलू बचत पिछले साल की तुलना में 19 फीसदी कम रही है।

 बचत में आ रही कमी का कारण - 

  • बचत घटने और कर्ज बढ़ने के पीछे बढ़ती महंगाई काफी हद तक जिम्मेदार है।
  • इसके अलावा महामारी के बाद से लोग काफी सचेत हुए हैं इसलिए वे जोखिम वाले निवेश से बच रहे हैं।
  • दूसरी बात, बचत खातों पर ब्याज दर बहुत आकर्षक नहीं है , ऐसे में लोग प्रतिभूतियों आदि में ज्यादा निवेश कर रहे हैं।

 वित्त मंत्रालय का तर्क -

  • भारतीय वर्तमान में दूसरे फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में निवेश कर रहे हैं साथ ही घर और व्हीकल खरीद रहे हैं।
  • वित्त मंत्रालय ने कहा कि लोगों की बचत में कमी नहीं आई है बल्कि उनके निवेश को लेकर नजरिया परिवर्तित हुआ है। 
  • अब लोग बचत के लिए म्यूचुअल फंड्स और स्टॉक मार्केट जैसे अलग अलग फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में अपनी बचत को निवेश कर रहे हैं। 

आगे की राह -

  • देश की कुल बचत में महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी रखने वाली घरेलू बचत का लगातार गिरना निम्न और मध्यवर्ग ही नहीं, पूरी अर्थव्यवस्था के लिए चिंता की बात है।
  • सरकार को मंदी के जोखिम से बचने के लिए राष्ट्रीय बचत दर को बेहतर रखना ही होगा।
  • इसके पक्ष में अर्थशास्त्री स्पष्ट कहते हैं कि वर्ष 2008 की वैश्विक मंदी का असर भारत पर इसलिए भी कम पड़ा था कि भारतीयों की घरेलू बचत मजबूत स्थिति में थी।
  • फलसवरूप सरकार को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा जरूरतों के परिप्रेक्ष्य में बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में वृद्धि करनी चाहिए।
  • इसके साथ ही बचत प्रोत्साहन के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।

 परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य

आरबीआईमुख्यालय -मुम्बई

  • स्थापना -1 अप्रैल 1935
  • गर्वनर -शक्तिकांत दास
  • मुद्रा - भारतीय रुपया (₹)

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