ओज़ोन परत -
 
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ओज़ोन परत -

Sat 16 Sep, 2023

सन्दर्भ -

  • प्रतिवर्ष ओज़ोन परत के संरक्षण हेतु जागरूकता लाने के लिए 16 सितंबर को विश्व ओज़ोन दिवस मनाया जाता है । विश्व ओजोन दिवस 2023 का विषय है - "मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: ओजोन परत को ठीक करना और जलवायु परिवर्तन को कम करना" ।

पृष्ठभूमि -

  • 16 सितंबर 1987 को ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को स्वीकार किया गया था । 

ओज़ोन परत क्या है ?

  • पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है जिसमें ओजोन गैस की सघनता अपेक्षाकृत अधिक होती है। 
  • ओज़ोन परत के कारण ही धरती पर जीवन संभव है। 
  • यह परत सूर्य के उच्च आवृत्ति के पराबैंगनी प्रकाश की 90-99 % मात्रा अवशोषित कर लेती है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिये हानिकारक है। 
  • पृथ्वी के वायुमंडल का 91% से अधिक ओज़ोन यहां मौजूद है।
  • यह मुख्यतः स्ट्रैटोस्फियर(समताप मंडल) के निचले भाग में पृथ्वी की सतह के ऊपर लगभग 10 किमी से अधिक तथा पृथ्वी से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी तक स्थित है, यद्यपि इसकी मोटाई मौसम और भौगोलिक दृष्टि से बदलती रहती है।

ओजोन का क्षरण

  • ओजोन परत के क्षरण का वैज्ञानिक व प्रामाणिक ज्ञान सबसे पहले अमेरिकी वैज्ञानिक शेरवुड रॉलैंड और मेरिओं मोलिका ने 1973 में बताया।
  • उनके अनुसार ओजोन परत को मानव निर्मित गैस क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) नष्ट कर सकती है।

 ओज़ोन परत के क्षरण के कारण -

  • प्राकृतिक कारकों में सौर क्रिया, नाइट्रस ऑक्साइड, प्राकृतिक क्लोरीन, वायुमंडलीय संरचरण, पृथ्वी के रचनात्मक प्लेट किनारों से निकलने वाली गैस तथा केन्द्रीय ज्वालामुखी उद्गार से निकलने वाली गैसें प्रमुख हैं।
  • मानवीय कारकों में क्लोरोफ्लोरोकार्बन या सीएफसी का अत्यधिक प्रयोग ओज़ोन परत के क्षरण में लिए उत्तरदायी है । 
  • ये साबुन, सॉल्वैंट्स, स्प्रे एरोसोल, रेफ्रिजरेटर, एयर-कंडीशनर, आदि द्वारा उत्सर्जित किए जाते हैं।
  • इसके अलावा हैलोन्स(अग्निशमन तत्वों के रूप में प्रयोग )  एवं कार्बन टेट्रा क्लोराइड (सफाई में प्रयुक्त ) द्वारा भी ओज़ोन परत को हानि पहुंचती है।

ओज़ोन परत के क्षरण के प्रभाव -मोतियाबिंद ।

  • निमोनिया, ब्रोन्काइटिस, अल्सर नामक रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है ।
  • सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से त्वचा का कैंसर ।
  • ओजोन स्तर के क्षरण से आनुवांशिक विसंगतियाँ।
  • विकृतियाँ तथा चिरकालिक रोगों का उत्पन्न होना।
  • सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों से आँखों के घातक रोग-सूजन, मोतियाबिन्द, घाव हो जाना ।

तापमान में वृद्धि

  • खाद्य श्रृंखला पर नकारात्मक प्रभाव इत्यादि ।
  • ओज़ोन परत के क्षरण को रोकने हेतु किये गए उपाय -
  • विएना अभिसमय -वर्ष 1985
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल -1987
  • किगाली संसोधन -मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) के उत्पादन और खपत को कम करने पर सहमत हुए।

 परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य

  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल - 16 सितंबर,1987
  • भारत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का पक्षकार बना - जून 1992

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