28 April, 2025
चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर
Tue 12 Sep, 2023
सन्दर्भ -
- द डिप्लोमेट की एक रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2023 में चीन के निर्यात में 14.5 फीसदी एवं आयात में 12.4 फीसदी की गिरावट आई है ।
- इसके अलावा चार प्रमुख पश्चिमी बैंकों ने चीन के लिए अपने 2023 सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के विकास के पूर्वानुमान में कटौती की है। यूबीएस, स्टैंडर्ड चार्टर्ड, बैंक ऑफ अमेरिका (BoA) और जेपी मॉर्गन के अनुसार चीन की GDP वृद्धि इस वर्ष 5.2 फीसदी से 5.7 फीसदी के बीच होगी, जो पहले 5.7 फीसदी से 6.3 फीसदी के बीच थी।
पृष्ठभूमि -
- चीन लगभग 25 सालों से लगातार विकास का पर्याय बना हुआ है। परन्तु हालिया आंकड़ों के अनुसार चीनी अर्थव्यवस्था वर्तमान समय में अपस्फीति की स्थिति से गुजर रही है। जिससे दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए जोखिम पैदा हो रहा है।
चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण -
- शून्य-कोविड नीति से बाहर निकलने में देरी ।
- निर्यात एवं निवेश उन्मुख अर्थव्यवस्था से घरेलू व्यय एवं नवाचार उन्मुख अर्थव्यवस्था के रूप में स्वयं को स्थापित करने जैसे संरचनात्मक परिवर्तन का प्रभाव,
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का चीनी पूंजी बाजार से बाहर निकलना ,
- आवक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का तेजी से घटना,
- खुदरा बिक्री और औद्योगिक उत्पादन, दोनों ही अनुमानित अपेक्षाओं से कम होना,
- उपभोक्ता व्यय में गिरावट,
- ऋण के बोझ का बढ़ते जाना ,
- बेरोजगारी का बढ़ना,
- रियल स्टेट संकट इत्यादि ।
चीन की मंदी का वैश्विक प्रभाव -
- आई एम एफ के अनुसार चीन की विकास दर में 1 प्रतिशत अंक की वृद्धि से दूसरे देशों की विकास दर 0.3 आधार अंक बढ़ जाती है। इसमें गिरावट का असर भी विपरीत ही होगा।
- चीन में आई मंदी का निश्चित रूप से पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि चीन वर्त्तमान में दुनिया में नंबर 1 कमोडिटी उपभोक्ता है।
- इसके अलावा पिछले दशक में चीन वैश्विक आर्थिक विकास का अकेले 40 फीसदी से ज्यादा का भागीदार रहा है, जबकि अमेरिका की हिस्सेदारी इसमें महज 22 फीसदी है और यूरोपीय 20 देशों की हिस्सेदारी सिर्फ 9 फीसदी है।
- फलस्वरूप चीन की अर्थव्यवस्था का धीमे पड़ना वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए संकट सिद्ध होगा ।
चीन की मंदी का भारत पर प्रभाव -
- धीमी वैश्विक वृद्धि भारत के लिए भी अच्छी नहीं होगी।
- यदि भारत द्वारा जरूरी कदम उठाया जाता है तो जिंसों की कम कीमतों से भारत की अर्थव्यवस्था को फायदा हो सकता है एवं इस प्रकार ज्यादा वैश्विक बचत आकर्षित किया जा सकता है।
- इसके अलावा चीन से निकलने को तैयार विनिर्माताओं को भारत अपने यहां आधार बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
- फिर भी, विकास में संभावित अंतर और दूसरे कारणों से चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा और बढ़ सकता है।
- दूसरे पहलू की ओर देखें तो चीन की अर्थव्यवस्था में व्याप्त मंदी भारत के लिए एक अवसर है ।
- एक तरफ अप्रैल से जून तिमाही में चीन का जीडीपी 6.3 फीसदी रहा है जबकि आरबीआई ने इस अवधि में भारत का जीडीपी 8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
- ऐसे में भारत विदेशी निवेश को आकर्षित कर सकता है ।
- इसके अलावा भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाकर लाभ उठा सकता है।
- नवाचार एवं अनुसंधान को बढ़ावा देकर भविष्य में ऐसी चुनौतियों से पार पाने का उपाय ढूंढ सकता है
परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण तथ्य
आईएमएफ-
- मुख्यालय - वाशिंगटन डीसी
- स्थापना - जुलाई, 1944
- प्रबंध निदेशक-क्रिस्टालिना जॉर्जीवा
- मुद्रा -एसडीआर
चीन - राजधानी -शंघाई
राष्ट्रपति -
- शी जिनपिंग
- मुद्रा -रेनमिनबी
- वर्तमान में चीन टिन के उत्पादन में प्रथम स्थान पर है।
- प्रमुख लौह अयस्क उत्पादक क्षेत्र - लियाउनिंग (मंचूरिया )
- चीन की सबसे लंबी नदी -यांग्त्सीक्यांग